
भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के नए आदेश के अनुसार कई योजनाओं के जरिए वित्तीय मदद हासिल करने वाले देश के टेनिस खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम में खेलने की प्राथमिकत देनी चाहिए। अगर वे बिना किसी वैध स्पष्टीकऱण के खेलने से इनकार करते हैं तो उनसे धनराशि वसूल की जाएगी। खिलाड़ियों को प्राप्त धनराशि के लिए जवाबदेह बनाते हुए साई ने अपने आदेश में टारगेट एशियन गेम्स ग्रुप के अतंर्गत मदद के लिए चुने गए खिलाड़ियों को लिखित में देने को कहा है जिसमें वे स्वीकार करें कि वित्तीय मदद हासिल करना देश के खेल उत्कृष्टता में योगदान देने की जिम्मेदारी है।
एक सूत्र के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआई ने लिखा कि, ये मामला तब चर्चा में आया जब टीएजीजी में शामिल करने के लिए खिलाड़ियों के नामों पर चर्चा की गई। साई ने अपने आदेश में टॉप्स, एनएसएफ और टीएजीजी योजनाओं के अंतर्गत मदद हासिल करने वाले खिलाड़ियों से बिली जीन किंग कप, डेविस कप, एशियाई खेल और ओलंपिक जैसे प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए उनकी उपलब्धता और इच्छा की पुष्टि करने को कहा है।
साई के आदेश के अनुसार, ये टेनिस प्रतियोगिताएं राष्ट्रीय गौरव के लिए अहमियत रखती हैं इसलिए ये अहम है कि वित्तीय मदद हासिल करने वाले सभी खिलाड़ियों को अगर अखिल भारतीय टेनिस महासंघ द्वारा चुना जाता है तो वे भारत का प्रतिनिधित्व करने को प्राथमिकता दें। इसमें कहा गया है कि, हम आपको ये भी सूचित करना चाहेंगे कि एनएसएस द्वारा चयन की स्थिति में अगर आप बिना किसी वैध स्पष्टीकरण के इन टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लेने का फैसला करते हैं तो आज तक दी गई वित्तीय मदद लागू दिशानिर्देशों के अनुसार वसूली के अधीन होगी।
टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम की तर्ज पर जापान में 2026 एशियाई खेलों में भारत की पदक तालिका में इजाफा करने के उद्देश्य से टीएजीजी को इस साल अप्रैल में लॉन्च किया गया था। बीते समय में ऐसे कई उदाहरण हैं जब खिलाड़ियों ने डेविस कप खेलने से इनकार कर दिया था। शीर्ष एकल खिलाड़ी सुमित नागल ने पाकिस्तान की यात्रा नहीं करने का फैसला किया, जबकि उन्होंने स्वीडन और टोगो के खिलाफ मुकाबलों में भी हिस्सा नहीं लिया था।
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