
घरेलू जिम्मेदारियों का असमान बंटवारा–
लगभग 75% महिलाओं ने कहा कि घर के काम और बच्चों की देखभाल की अधिकतर जिम्मेदारी उनकी है. यह असंतुलन उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से थका देता है.
कई महिलाओं ने पतियों को ‘एक और बच्चा’ कहकर संबोधित किया. जब पति अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभाते, तो महिलाओं को लगता है कि उनकी भूमिका सिर्फ देखभाल तक सीमित हो गई है.
सहयोग और समय की कमी
हर पांच में से एक महिला ने शिकायत की कि उनके पति से उन्हें पर्याप्त मदद नहीं मिलती. इससे उनके दैनिक कार्य पूरे करने में बाधा आती है और तनाव बढ़ता है.
Penn State यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन ने बताया कि महिलाओं को घर पर ऑफिस की तुलना में ज्यादा तनाव महसूस होता है. UCLA की रिसर्च ने यह भी खुलासा किया कि जब पति आराम कर रहे होते हैं और पत्नी काम कर रही होती है, तो पतियों का तनाव स्तर गिरता है. वहीं, जब पति घर के काम में मदद करते हैं, तो महिलाओं का तनाव कम होता है.
मेंटल लोड जो नजर नहीं आता
‘मेंटल लोड’ उस मानसिक और भावनात्मक जिम्मेदारी को दर्शाता है, जो महिलाओं को घरेलू और पारिवारिक कार्यों में उठानी पड़ती है. शोध में पाया गया कि महिलाएं घर और बच्चों की पूरी प्लानिंग खुद करती हैं, जिससे उनकी भावनात्मक थकान बढ़ती है.
-जिम्मेदारियों का समान बंटवारा करें. घरेलू काम और बच्चों की देखभाल को साझा करें. इससे महिलाओं का बोझ कम होगा.
-महिलाओं को खुद के लिए समय निकालना चाहिए. योग, मेडिटेशन, या अपनी पसंद के काम करना तनाव कम करने में मदद करता है.
यह शोध बताता है कि रिश्ते में जिम्मेदारियों का असमान बंटवारा महिलाओं के तनाव का सबसे बड़ा कारण है. पतियों को चाहिए कि वे अपने लाइफ पार्टनर की मदद करें, काम में हाथ बंटाएं और मेंटली सपोर्ट करें. इससे न केवल महिलाओं का तनाव कम होगा, बल्कि रिश्ते भी मजबूत बनेंगे. याद रखें, एक खुशहाल परिवार तभी संभव है जब परिवार में बराबरी, समझदारी और सहयोग की भावना हो.
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