
अंग्रेजों ने चुपचाप मंदिर के अंदर की जासूसी कराई
अंग्रेजों के लिए पुरी सिर्फ़ एक मंदिर नगरी नहीं थी. यह जन ऊर्जा का केंद्र था. जगन्नाथ की पूजा से कहीं ज़्यादा उनकी आज्ञा का पालन किया जाता था. कोई भी औपनिवेशिक कानून यहां नहीं चलता था. ब्रिटिश एजेंटों को तीर्थयात्रियों और शोधकर्ताओं के वेश में भेजा गया. उनका काम जासूसी करना, नक्शा बनाना और मंदिर के रहस्यों को उजागर करना था. उन्होंने इसे खुफिया जानकारी कहा. स्थानीय लोगों को जब ये बात मालूम हुई तो वह इससे नाराज हो उठे.
ईस्ट इंडिया कंपनी के लेफ्टिनेंट स्टर्लिंग ने पुरी के मंदिर के रहस्य को लेकर एक गुप्त डायरी लिखी, जो रहस्यमय तरीके से गायब भी हो गई.
लेफ्टिनेंट स्टर्लिंग ने गुप्त डायरी लिखी
उन्हें महसूस हुआ कि भगवान की मूर्ति सांस लेती है, देखती है
स्टर्लिंग ने लिखा, “लोग भगवान के बारे में जिस तरह से बात करते हैं, उसमें कुछ ऐसा है जो बेचैन कर देता है, मानो वो जीवित मूर्ति हो, ऐसा लगता है कि जैसे वो अब भी सांस ले रहे हों.” स्टर्लिंग गया तो वहां जासूसी करने के लिए था. अहंकार उसके अंदर कूट कूटकर भरा था. अंग्रेज होने का भी अहंकार था. लेकिन वहां जाते ही खत्म होने लगा. उसकी जगह खौफ और डर ने ले ली.
जब अंग्रेज मंदिर के अंदर जासूसी करने गए तो गर्मगृह के आसपास के सन्नाटे से वो डर गए. भगवान की मूर्ति उन्हें सांस लेती हुई. एक अंग्रेज डर से चिल्लाने लगा कि मूर्ति की आंखें उसे देख रही हैं.
एक अंग्रेज पागल हो गया तो दूसरा चिल्लाने लगा
अंग्रेज गर्भगृह में जाने से कतराने लगे
स्थानीय लोगों का मानना था कि महाप्रभु जगन्नाथ खुद की रक्षा करते हैं. हालत ये हो गई कि अंग्रेज सैनिक और अफसर गर्भगृह में जाने से कतराने लगे. एक अधिकारी ने उन्हें “जीवित भगवान” कहना शुरू कर दिया.
रॉबर्ट क्लाइव और ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसरों ने अपनी डायरियों में भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं को “रहस्यमयी” और “अनियंत्रित” बताया.
लेफ्टिनेंट स्टर्लिंग की गुप्त डायरी गायब हो गई
वैसे हकीकत ये जरूर है कि तब अंग्रेजों को डर था कि मंदिर की यह अपार लोकप्रियता और संगठन शक्ति उनके औपनिवेशिक शासन के खिलाफ विद्रोह का कारण बन सकती है.
जगन्नाथ मंदिर की वार्षिक रथ यात्रा अंग्रेजों को हमेशा डराती थी, वो इसे संगठित जन आंदोलन की तरह देखते थे.
पाइका विद्रोह से भी डर गए अंग्रेज
ओडिशा में पाइका विद्रोह एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसमें स्थानीय योद्धाओं (पाइकों) ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया. यह विद्रोह जगन्नाथ मंदिर के प्रभाव क्षेत्र में हुआ. अंग्रेजों को डर था कि मंदिर की लोकप्रियता इस तरह के विद्रोह को और बढ़ावा दे सकती थी. जगन्नाथ मंदिर की वार्षिक रथ यात्रा में लाखों लोग शामिल होते थे, जो अंग्रेजों के लिए एक संगठित जन आंदोलन की तरह दिखता था. वह इसे अपने शासन के लिए संभावित खतरे के रूप में देखते थे.
जब अंग्रेजों ने मंदिर पर कब्जे की कोशिश की
अंग्रेज मंदिर की रथ यात्रा जैसे आयोजन और इसके रहस्यमयी अनुष्ठानों को कभी नहीं समझ पाए. उन्हें ये भी कभी नहीं समझ में आया कि मूर्तियों में मौजूद ये “ब्रह्म पदार्थ” क्या है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में एक पवित्र “ब्रह्म पदार्थ” होता है, जिसे कृष्ण का धड़कता हुआ दिल माना जाता है.
क्या है ब्रह्म पदार्थ का रहस्य यानि भगवान का धड़कता हुआ दिल
हिंदू परंपरा और विशेष रूप से जगन्नाथ मंदिर के अनुष्ठानों के अनुसार, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा की मूर्तियों में एक पवित्र “ब्रह्म पदार्थ” होता है. इसे श्रीकृष्ण का हृदय या एक आध्यात्मिक सार माना जाता है, जो मूर्तियों को जीवंत और पवित्र बनाता है. यह पदार्थ अत्यंत गोपनीय होता है. केवल विशिष्ट पुजारी ही इसके बारे में जानते हैं.
पुराणों में कहा गया है कि भगवान कृष्ण का हृदय अमर है।.
ब्रह्म पदार्थ की प्रकृति के बारे में कोई वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हुआ है, क्योंकि मंदिर के अनुष्ठान बाहरी लोगों के लिए बंद हैं. यह संभव है कि ब्रह्म पदार्थ कोई प्रतीकात्मक वस्तु हो, जिसे आध्यात्मिक महत्व दिया गया है.
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