उन्हें लगता है कि राजनीति ने उनकी आवाज, साफगोई और स्वतंत्रता छीन ली थी. एक पॉडकास्ट में अपने फैसले को जीवन का सबसे अच्छा निर्णय बताते हुए ओझा सर ने साफ कहा, अब कोई पार्टी लाइन या फोन कॉल यह तय नहीं करेगा कि उन्हें क्या बोलना है. यही ईमानदार आवाज आज ओझा सर को फिर से उसी जगह लौटा लाई है, जहां छात्र उन्हें सबसे ज्यादा पसंद करते हैं वो है क्लासरूम और मंच पर.
क्यों कहा: बोलना बंद हो गया था
अवध ओझा ने खुलकर बताया कि राजनीति में रहते हुए वे खुद को सबसे ज्यादा इस बात से जूझता पाते थे कि वे दिल की बात नहीं कह पा रहे थे. उन्होंने कहा कि हर बयान से पहले उन्हें पार्टी लाइन देखनी पड़ती थी, और उनकी ईमानदार व साफ बोलने की आदत राजनीति के कठोर ढांचे में कहीं खोती जा रही थी. ओझा सर ने हंसते हुए कहा, अब इतनी आजादी है कि जो मन में आए, वही बोलेंगे. कोई फोन नहीं आएगा कि क्या बोलना है.
ओझा सर का कहना है कि राजनीति छोड़ने के बाद उनकी जिंदगी पहले से ज्यादा शांत और खुशहाल है. (फाइल फोटो PTI)
राजनीति का छोटा सफर, बड़ा अनुभव
इस साल उन्होंने AAP के टिकट पर पटपड़गंज से चुनाव लड़ा था, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा. पर असल मोड़ तब आया जब एक इंटरव्यू के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं ने बीच में हस्तक्षेप कर उन्हें अपनी बात रोकने पर मजबूर कर दिया. यही वह घटना थी जिसने उन्हें महसूस कराया कि राजनीति उनके जैसे साफगोई पसंद व्यक्ति के लिए सही रास्ता नहीं.
कौन हैं अवध ओझा?
- उत्तर प्रदेश के गोंडा में जन्म, पिता पोस्टमास्टर और मां वकील.
- UPSC की तैयारी के दौरान कठिनाइयों का सामना, यूपीएससी मेन्स में असफल.
- 2005 में पढ़ाने की शुरुआत, इतिहास विषय में महारत.
- MA, LLB, MPhil और PhD सहित कई डिग्रियां.
- 2019 में पुणे में IQRA IAS Academy की स्थापना.
- मोबाइल ऐप लॉन्च कर पढ़ाई को सभी के लिए सुलभ बनाया.
UPSC गुरु कैसे बने?
अवध ओझा की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं. बचपन में शरारती, स्कूल में बदनाम, पर पढ़ाई और IAS बनने का सपना लेकर दिल्ली तक पहुंच गए. UPSC मेन्स में हार मिली, पर यहीं से एक नया रास्ता खुला… शिक्षक बनने का. उनकी सादगी, रोचक अंदाज और इतिहास पढ़ाने की अनूठी शैली ने हजारों छात्रों को प्रभावित किया.
पॉलिटिक्स में आने का फैसला क्यों किया था?
AAP में शामिल होते समय उन्हें लगा कि वे शिक्षा सुधारों में योगदान दे पाएंगे. 2 दिसंबर 2024 को अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में वे पार्टी में शामिल हुए. उनका सपना था कि देश के गरीब छात्रों को भी बेहतर शिक्षा मिल सके. लेकिन राजनीति की जटिलताओं ने उनके इस सपने को धुंधला कर दिया.

दिसंबर 2024 को अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में वे पार्टी में शामिल हुए.
अवध ओझा के जीवन की 5 अहम बातें
- जन्म: 3 जुलाई 1984, गोंडा (UP).
- परिवार: पिता श्रिमता प्रसाद ओझा (पोस्टमास्टर), मां वकील.
- शिक्षा: हिंदी साहित्य में MA, LLB, MPhil, PhD.
- करियर: 2005 में शिक्षक बने, IAS कोचिंग में प्रसिद्धि.
- संस्थान: IQRA IAS Academy, पुणे.
| विशेष जानकारी | विवरण |
| UPSC में प्रयास | प्रीलिम्स पास, मेन्स में असफल |
| बड़ी पहचान | इतिहास विषय के मास्टर टीचर |
| मोबाइल ऐप | अवध ओझा एप के जरिए लाखों छात्रों तक पहुंच |
| राजनीति में शुरुआत | 2024 में AAP ज्वाइन |
| राजनीति का अंत | संन्यास लेने का ऐलान, खुशी जाहिर की |
अब क्या करेंगे ओझा सर?
उनका कहना है कि राजनीति छोड़ने के बाद उनकी जिंदगी पहले से ज्यादा शांत और खुशहाल है. वे अपनी अकादमी, छात्रों और शिक्षा सुधार के मिशन पर वापस लौट चुके हैं. ओझा सर मानते हैं, शिक्षा ही मेरी असली पहचान है, राजनीति नहीं.
ओझा सर की कहानी जिद, साफगोई और आत्मसम्मान की है
जो व्यक्ति लाखों छात्रों को अपने सपनों के लिए लड़ना सिखाता रहा, वही अब खुद अपनी आजादी और सच्चाई के लिए राजनीति छोड़ चुका है. ओझा सर की अनफिल्टर्ड कहानी यही कहती है कभी-कभी वापस लौटना भी आगे बढ़ने जैसा होता है.


