
इस ट्रोलिंग का कारण बनी फिल्म ‘परवाज है जुनून’, जो 2018 में आई थी. इसे मोमिना दुरैद ने प्रोड्यूस किया था और हसीब हसन ने डायरेक्ट किया था. लेकिन हाल ही में इसके फिर से वायरल होने के बाद इसकी आलोचना हो रही है. हमजा अली अब्बासी, अहद रजा मीर और हनिया आमिर की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फिल्म में पाकिस्तान वायु सेना को दिखाया गया था. कुछ लोगों ने युद्ध जैसी सेटिंग में जीवन, प्रेम कहानियों और बलिदानों को रोमांटिक बना दिया. ये देशभक्ति जगाने में विफल रही और इसे क्रूर ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ा.
ग्राफिक्स में भ्रम
इस फिल्म में पाकिस्तानी सैनिकों को हीरो और युद्ध में विजयी दिखाने वाले भव्य दृश्यों ने दर्शकों को नाराज कर दिया है. कई नेटिजन्स रिएक्शन दे रहे हैं कि ये वास्तव में एक दूर की कौड़ी है. एक ने लिखा, ‘पाकिस्तान ने अब तक एक भी युद्ध नहीं जीता है, तो ये सब शानदार चीजें क्यों?’ वे विरोध कर रहे हैं. एक ने लिखा, एक डिस्क्लेमर होना चाहिए कि इस फिल्म का वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है.’ एक ने व्यंग ने किया, ‘इस फिल्म का वीएफएक्स बजट एक आम भारतीय वेब सीरीज से भी कम है.’ कुछ लोग हंस रहे हैं कि लड़ाकू विमान ऐसे दिखते हैं जैसे उन्हें 90 के दशक के वीडियो गेम से लिया गया हो. फिल्म को 12 करोड़ में बनाया गया था और इसने 28 करोड़ का कलेक्शन किया था.
नेटिजंस ‘परवाज है जुनून’ की तुलना हॉलीवुड क्लासिक ‘टॉप गन’ (टॉम क्रूज़ अभिनीत) से करके एक खेल खेल रहे हैं. वे इसे ‘सस्ती कॉपी’ और प्यार से ‘टॉप कट’ कह रहे हैं. आलोचक इस फिल्म की आलोचना कर रहे हैं कि इसे सीन दर सीन कॉपी किया गया है, अभिनय में कमी है और स्पेशल इफेक्ट्स खराब हैं. एक ने कहा, ‘यह एक फिल्म नहीं है, यह निश्चित रूप से एक व्यंग्य है’, जबकि दूसरे ने टिप्पणी की, ‘मैंने इसे एमिरेट्स की फ्लाइट में देखने की कोशिश की, लेकिन कहानी इतनी उबाऊ थी कि मैंने इसे 15 मिनट बाद देखना बंद कर दिया.’
क्या उन्हें बॉलीवुड में एंट्री पर संदेह है?
इस फिल्म की एक हीरोइन हनिया आमिर पहले दिलजीत दोसांझ के साथ फिल्म ‘सरदार जी 3’ से बॉलीवुड में डेब्यू करने वाली थीं. लेकिन हाल ही में पहलगाम में हुए हमलों और ऑपरेशन सिंधुर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बाद उनकी इस फिल्म को लेकर कड़ा विरोध हुआ. नतीजतन, चर्चा है कि फिल्म को केवल विदेशी सिनेमाघरों में ही रिलीज किया जाएगा.
पाकिस्तानी सिनेमा
सिनेमा से उम्मीद की जाती है कि वो लोगों को प्रेरित करे, उन्हें जोड़े या कम से कम वास्तविकता को दर्शाए. लेकिन ‘परवाज है जुनून’ ऐसा नहीं है. राष्ट्रीय गौरव जगाने के बजाय इसने पाकिस्तानी सिनेमा की ज्यादतियों को उजागर किया है और दुनिया भर में हंसी का पात्र बन गया है. यह सिर्फ फिल्म की तकनीकी खामियों की समस्या नहीं है, बल्कि अतिरंजित सैन्य प्रचार के जरिए इतिहास को बदलने की कोशिश कई लोगों को पसंद नहीं आ रही है.
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