देश में होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले दो प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों ने बड़ा राजनीतिक कदम उठाया है. भारत राष्ट्र समिति (BRS) और बीजू जनता दल (BJD) ने सोमवार (08 सितंबर, 2025) को ऐलान किया कि वे आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं करेंगे. दोनों पार्टियों ने यह कदम अपनी राजनीतिक रणनीति और विशेष रूप से तेलंगाना में यूरिया संकट व ओडिशा के विकास को लेकर उठाया है.
BRS का फैसला: किसानों की पीड़ा पर ध्यान
भारत राष्ट्र समिति के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने कहा कि उनकी पार्टी उपराष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा नहीं लेगी. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की सरकारें- कांग्रेस और भाजपा – दोनों ही तेलंगाना में यूरिया की भारी कमी को सुलझाने में असफल रही हैं. रामा राव ने बताया कि यूरिया की कमी इतनी गंभीर हो गई है कि किसानों के बीच कतार में झड़पें हो रही हैं. उन्होंने स्पष्ट किया, “हम मतदान से दूर रहेंगे. हम इसमें भाग नहीं लेंगे.” साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि उपराष्ट्रपति चुनाव में नोटा (NOTA) का विकल्प होता, तो बीआरएस उसका उपयोग कर सकती थी.
बीजू जनता दल का भी समर्थन नहीं
ओडिशा की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजू जनता दल (बीजद) ने भी सोमवार को ऐलान किया कि उसके सांसद उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं करेंगे. पार्टी अध्यक्ष नवीन पटनायक के नेतृत्व में यह निर्णय लिया गया. बीजद सांसद सस्मित पात्रा ने बताया कि यह निर्णय पार्टी की नीति के अनुरूप है, जिसमें भाजपा-नीत राजग और कांग्रेस-नीत इंडिया गठबंधन दोनों से समान दूरी बनाए गई है. उन्होंने कहा, “हमारा पूरा ध्यान राज्य और उसके 4.5 करोड़ लोगों के विकास पर है.”
9 सितंबर को होना है उपराष्ट्रपति चुनाव
भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. इसके लिए मतदान 9 सितंबर को होगा और नतीजे उसी दिन घोषित किए जाएंगे. इसमें सत्तारूढ़ राजग उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन और संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच सीधा मुकाबला है. संसद के दोनों सदनों के सदस्य मंगलवार को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक अपने मत डालेंगे.
सत्ताधारी दल की प्रतिक्रिया
बीजद के मतदान से दूर रहने के निर्णय का भाजपा ने स्वागत किया है. भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम ने कहा कि बीजद ने परोक्ष रूप से राजग उम्मीदवार का समर्थन किया है. वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भक्त चरण दास ने इसे भाजपा का समर्थन मानते हुए कहा कि यह बीजद के लिए अपनी विपक्षी भूमिका साबित करने का अवसर था.