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मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 8 की वैल्यू बीते हफ्ते में 1.65 लाख करोड़ रुपए घटी है। इस दौरान HDFC बैंक टॉप लूजर रही। कंपनी का मार्केट कैप 47,075 करोड़ रुपए घटकर 14.68 लाख करोड़ रुपए रह गया है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज की वैल्यू ₹21,516 करोड़, SBI की ₹18,250 करोड़ और हिन्दुस्तान यूनिलीवर की ₹16,388 करोड़ घटी है। इधर, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) की वैल्यू 22,215 करोड़ रुपए बढ़कर 12.47 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है।
इन कंपनियों का मार्केट वैल्यू घटी
कंपनी |
मार्केट कैप में गिरावट (करोड़ में) |
मौजूदा मार्केट कैप (लाख करोड़ में) |
HDFC बैंक |
₹47,075.97 |
₹14.68 |
ICICI बैंक |
₹30,677 |
₹10.10 |
रिलायंस |
₹21,516 |
₹19.31 |
SBI बैंक |
₹18,250 |
₹7.7 |
HUL |
₹16,388 |
₹5.44 |
एयरटेल |
₹15,481 |
₹10.50 |
LIC |
₹13,693 |
₹5.93 |
बजाज फाइनेंस |
₹2,417 |
₹5.80 |
इन कंपनियों का मार्केट वैल्यू बढ़ी
कंपनी |
मार्केट कैप में बढ़ोतरी (करोड़ में) |
मौजूदा मार्केट कैप (लाख करोड़ में) |
TCS |
₹22,215 |
₹12.47 |
इंफोसिस |
₹15,578 |
₹6.65 |
मार्केट कैप के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियां
कंपनी |
मार्केट कैप (लाख करोड़ में) |
रिलायंस |
₹19.31 |
HDFC बैंक |
₹14.68 |
TCS |
₹12.47 |
एयरटेल |
₹10.50 |
ICICI बैंक |
₹10.10 |
SBI |
₹7.7 |
इंफोसिस |
₹6.65 |
LIC |
₹5.93 |
बजाज फाइनेंस |
₹5.80 |
HUL |
₹5.44 |
सोर्स: BSE (14, जून )
पिछले हफ्ते बाजार में तेजी रही थी
इजराइल के ईरान पर हमले के बाद आज यानी 13 जून को शेयर बाजार में गिरावट रही। सेंसेक्स 573 अंक गिरकर 81,118 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी में भी करीब 169 अंक की गिरावट रही, ये 24,718 के स्तर पर बंद हुआ।
सेंसेक्स के 30 शेयरों में 4 में तेजी और 26 शेयर में गिरावट रही। बैंकिंग, ऑयल एंड गैस, ऑटो और IT शेयर ज्यादा गिरे। कल के एअर इंडिया के विमान के क्रैश होने के बाद एयरलाइन कंपनियों के शेयर भी टूटे हैं।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, उनकी वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को उनकी कीमत से गुणा करके किया जाता है।
इसे एक उदाहरण से समझें…
मान लीजिए… कंपनी ‘A’ के 1 करोड़ शेयर मार्केट में लोगों ने खरीद रखे हैं। अगर एक शेयर की कीमत 20 रुपए है, तो कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 करोड़ x 20 यानी 20 करोड़ रुपए होगी।
कंपनियों की मार्केट वैल्यू शेयर की कीमतों के बढ़ने या घटने के चलते बढ़ता-घटता है। इसके और कई कारण हैं…
मार्केट वैल्यू कैसे बढ़ती है?
- शेयर की कीमत- बाजार में शेयरों का मांग बढ़ने से कॉम्पिटिशन होता है, इसके चलते कीमतें बढ़ती है।
- मजबूत वित्तीय प्रदर्शन: कंपनी की कमाई, रेवेन्यू, मुनाफा जैसी चीजों में बढ़ोतरी निवेशकों को अट्रैक्ट करती है।
- पॉजिटीव न्यूज या इवेंट- प्रोडक्ट लॉन्च, अधिग्रहण, नया कॉन्ट्रैक्ट या रेगुलेटरी अप्रूवल से शेयरों की डिमांड बढ़ती है।
- मार्केट सेंटिमेंट- बुलिश मार्केट ट्रेंड या सेक्टर स्पेसिफिक उम्मीद जैसे IT सेक्टर में तेजी का अनुमान निवेशकों के आकर्षित करता है।
- हाई प्राइस पर शेयर जारी करना: यदि कोई कंपनी हाई प्राइस पर नए शेयर जारी करती है, तो वैल्यू में कमी आए बिना मार्केट कैप बढ़ जाता है।
मार्केट वैल्यू कैसे घटती है?
- शेयर प्राइस में गिरावट- मांग में कमी के चलते शेयरों की प्राइस गिरती है, इसका सीधा असर मार्केट कैप पर होता है।
- खराब नतीजे- किसी वित्त वर्ष या तिमाही में कमाई-रेवेन्यू घटने, कर्ज बढ़ने या घाटा होने से निवेशक शेयर बेचते हैं।
- नेगेटिव न्यूज- स्कैंडल, कानूनी कार्रवाई, प्रोडक्ट फेल्योर या लीडरशिप से जुड़ी कोई भी नकारात्मक खबर निवेश को कम करता है।
- इकोनॉमी या मार्केट में गिरावट- मंदी, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और बेयरिश यानी नीचे जाता मार्केट शेयरों को गिरा सकता है।
- शेयर बायबैक या डीलिस्टिंग: यदि कोई कंपनी शेयरों को वापस खरीदती है या प्राइवेट हो जाती है, तो आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या कम हो जाती है।
- इंडस्ट्री चैलेंज: रेगुलेटरी चेंज, टेक्नोलॉजिकल डिसरप्शन या किसी सेक्टर की घटती डिमांड के चलते शेयरों की मांग घटती है।
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
- मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
- किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
- कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
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