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डोनाल्ड ट्रम्प के पिछले कार्यकाल में एक अमेरिका की नेवी सील टीम ने 2019 में नॉर्थ कोरिया के तट पर एक खुफिया मिशन चलाया था।
इस मिशन का मकसद नॉर्थ कोरिया के शासक किम जोंग-उन की कम्युनिकेशन व्यवस्था की जासूसी करने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाना था। यह मिशन असफल रहा और इसमें निहत्थे नॉर्थ कोरियाई लोग मारे गए।
जनवरी 2019 की एक सर्द रात को अमेरिकी नेवी सील की एक टीम चुपचाप एक पनडुब्बी से निकली और नॉर्थ कोरिया के एक चट्टानी तट की ओर बढ़ी।
इस टीम में वही सैनिक थे जिन्होंने ओसामा बिन लादेन को मारा था। उनका लक्ष्य किम जोंग-उन की जासूसी करना था ताकि अमेरिका को परमाणु बातचीत में मदद मिल सके।
यह मिशन इतना खतरनाक था कि इसकी मंजूरी खुद तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दी थी। हालांकि, यह मिशन शुरू होते ही विफल हो गया।

SEAL टीम ने कई महीनों तक बर्फीले पानी में इस मिशन की तैयारी की। टीम को परमाणु ऊर्जा से चलने वाली अमेरिकी पनडुब्बी से भेजा जाना था। (फाइल फोटो)
मिशन कैसे हुआ फेल?
सील टीम को लगा कि तट पर कोई नहीं है। वे गहरे पानी में, नाइट-विजन चश्मे पहनकर और गीले कपड़ों में पहुंचे। लेकिन तभी एक छोटी नॉर्थ कोरियाई नाव अंधेरे से निकली। नाव से टॉर्च की रोशनी पानी पर पड़ रही थी।
मिशन कमांडर से संपर्क संभव नहीं था और पकड़े जाने का खतरा था। सील टीम को लगा कि वे पकड़े गए हैं, इसलिए उन्होंने तुरंत गोली चला दी।
कुछ ही सेकंड में नाव पर सवार सभी तीन लोग मारे गए। सील टीम को बाद में पता चला कि ये लोग निहत्थे नागरिक थे जो सीपियां इकट्ठा करने निकले थे।
इस घटना के बाद टीम ने डिवाइस लगाए बिना ही वापस समुद्र में जाकर अपनी पनडुब्बी से संपर्क किया और भाग निकले। अमेरिकी सेना का कोई भी जवान इस घटना में घायल नहीं हुआ।

योजना थी कि सैनिक कई घंटे तक 4 डिग्री तापमान वाले पानी में स्कूबा गियर और हीटेड सूट पहनकर तैरेंगे, किनारे पहुंचकर डिवाइस लगाएंगे और बिना पकड़े वापस लौटेंगे। (फाइल फोटो)
6 साल तक मिशन को सीक्रेट बनाकर रखा
यह मिशन आज तक गुप्त रखा गया था और न तो अमेरिका ने और न ही नॉर्थ कोरिया ने कभी इस पर कोई टिप्पणी की। इस मिशन के बारे में पहली बार खुलासा हुआ है।
यह जानकारी दो दर्जन से अधिक सरकारी अधिकारियों, पूर्व सैन्य कर्मियों और ट्रम्प प्रशासन के सदस्यों के साक्षात्कार पर आधारित है।
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक मारे गए नागरिकों के शवों को पानी में डुबो दिया गया था ताकि उनका पता न चल सके।
इस घटना के तुरंत बाद अमेरिका के जासूसी सैटेलाइट ने उस क्षेत्र में नॉर्थ कोरिया की सैन्य गतिविधियों में बढ़ोतरी देखी। लेकिन नॉर्थ कोरिया ने इन मौतों पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया।
यह भी साफ नहीं हुआ कि नॉर्थ कोरिया को घटना का पता चला या नहीं। ट्रम्प प्रशासन ने इस मिशन के बारे में कांग्रेस के प्रमुख सदस्यों को भी सूचित नहीं किया था।
मिशन की विफलता के बाद भी, 2019 के अंत में ट्रम्प और किम जोंग-उन के बीच परमाणु शिखर सम्मेलन हुआ लेकिन कोई समझौता नहीं हो सका। इसके बाद नॉर्थ कोरिया ने मिसाइल परीक्षण तेज कर दिए।