संयुक्त राष्ट्र की नई World Urbanization Prospects 2025 रिपोर्ट ने वैश्विक शहरों की तस्वीर पूरी तरह बदलकर रख दी है. इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता लगभग 4.2 करोड़ की आबादी के साथ दुनिया का सबसे बड़ा शहर बनकर उभरा है. दशकों तक दुनिया के नंबर-1 शहर की सूची में शीर्ष पर रहने वाला टोक्यो अब तीसरे नंबर पर पहुंच चुका है. टोक्यो की आबादी 3 करोड़ 34 लाख है. इस बीच ढाका ने भी रिकॉर्ड तेजी से बढ़ते हुए दूसरे स्थान पर कब्ज़ा कर लिया है, जिसकी जनसंख्या 3 करोड़ 66 लाख है.
रिपोर्ट में पहली बार साफ दिखा कि आधुनिक दुनिया का दिल एशिया में धड़क रहा है. 2025 में दुनिया की लगभग 80% आबादी शहरों में रहने लगी है और इनमें से अधिकांश शहरी विस्तार एशिया में हुआ है. 1970 के दशक में जहां दुनिया में गिनी-चुनी मेगासिटी थीं, वहीं 2025 में इनकी संख्या 33 पार कर चुकी है, जिनमें से 19 अकेले एशिया में स्थित हैं.
एशिया का दबदबा और भारत की नई स्थिति
UN मॉडल के अनुसार, दुनिया के दस सबसे बड़े शहरों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी एशिया की है. जकार्ता पहले स्थान पर, ढाका दूसरे पर और टोक्यो तीसरे पर है. दिल्ली और कोलकाता भी शीर्ष सूची में शामिल हैं, लेकिन टॉप-3 से बाहर हो चुके हैं. दिल्ली चौथे स्थान पर है, जबकि कोलकाता आठवें नंबर पर है. दिल्ली की आबादी 3 करोड़ 2 लाख है. कोलकाता की 2 करोड़ 25 लाख है.
जकार्ता कैसे बना दुनिया का सबसे बड़ा महानगर?
दशकों पहले तक जकार्ता एक औसत आबादी वाला तटीय शहर था, लेकिन आजादी के बाद शुरू हुए तेज़ विकास, रोजगार के अवसर और लगातार हो रही आबादी के प्रवाह ने इसे एक विशाल महानगर में बदल दिया. 4.19 करोड़ की आबादी के साथ वह अब दुनिया की शहरी राजधानी जैसा दिखता है. हालांकि समुद्र के बढ़ते स्तर, बाढ़ और प्रदूषण इसकी सबसे बड़ी चुनौतियां हैं. यही वजह है कि इंडोनेशिया सरकार नई राजधानी नुसंतारा की तैयारी कर रही है.
क्या ढाका आगे जकार्ता को भी पीछे छोड़ देगा?
ढाका दक्षिण एशिया का तेज़ी से बढ़ता शहर है. कपड़ा उद्योग, ग्रामीण पलायन और शहर में होने वाली लगातार आबादी वृद्धि ने इसे दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले शहर में बदल दिया है. UN का अनुमान है कि 2050 तक ढाका की आबादी 5 करोड़ से भी अधिक हो सकती है.
टोक्यो के पीछे होने की असली वजह
टोक्यो की गिरती रैंक सीधे जापान की समस्याओं से जुड़ी है. जन्म दर कम, युवाओं की घटती संख्या और प्रवासन पर सख्त नियंत्रण की वजह से शहर की वृद्धि रुक गई है. लगातार 70 साल तक नंबर-1 रहने के बाद अब वह तीसरे स्थान पर पहुंच गया ह.
दुनिया के शहर होंगे और बड़े, समस्याएं भी
UN का अनुमान है कि आने वाले वर्षों में शहरीकरण और तेज होगा. भारत, पाकिस्तान और नाइजीरिया जैसे देशों में सबसे ज्यादा आबादी शहरों की ओर बढ़ रही है. भविष्य के शहरों को भीड़, प्रदूषण और जलवायु संकट जैसी चुनौतियों से जूझना पड़ेगा.
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