
हर बच्चे की जिंदगी में माता-पिता का बहुत महत्व होता है. मां की तरह पिता भी अपने बच्चे की अच्छी परवरिश के लिए कई चीजों का त्याग करते हैं. इस Father’s Day पर अपने पापा को ‘थैंक यू’ जरूर कहें.

हाइलाइट्स
- फादर्स डे हर साल जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता है.
- सोनोरा स्मार्ट डोड ने 1910 में पहला फादर्स डे मनाया.
- पिता बच्चों के लिए रोल मॉडल और सुपरहीरो होते हैं.
Importance of Father’s Day: पिता क्या है? कुछ के लिए वह रोल मॉडल होंगे, कुछ के लिए दोस्त तो कुछ के लिए मार्गदर्शक. हर किसी की जिंदगी में पिता की अलग ही अहमियत होती है. लड़के पापा का सहारा होते हैं और लड़कियां उनकी परी होती हैं. पिता को सम्मान देने के लिए जून के तीसरे रविवार को हर साल Father’s Day मनाया जाता है. इस साल यह दिन 15 जून को मनाया जाएगा.
पिता को सम्मान देने और दिल से शुक्रिया कहने के लिए Father’s Day जैसे खास दिन की शुरुआत अमेरिका से हुई. 1909 में अमेरिकी महिला सोनोरा स्मार्ट डोड ने सुझाव दिया कि जैसे मां के लिए मदर्स डे मनाया जाता है, ठीक उसी तरह पिता के लिए फादर्स डे मनाया जाना चाहिए. उनके पिता एक अमेरिकी सैनिक थे जो सिविल वॉर का हिस्सा रहे. उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई थी. उन्होंने अकेले ही अपने 6 बच्चों को पाला. सनोरा अपने पिता के समर्पण के लिए उन्हें सम्मान देना चाहती थीं. उन्होंने कई कोशिशों के बाद सभी लोगों का समर्थन जुटाया. यह उनके लिए किसी जंग से कम नहीं था. आखिरकार वाशिंगटन के YMCA में 19 जून 1910 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया. 1972 अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने इसे आधिकारिक तौर पर नेशनल हॉली डे घोषित किया. भारत में भी फादर्स डे जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता है.
बच्चे की पर्सनैलिटी की नींव रखते हैं पिता
जब एक बच्चा पैदा होता है तो उसकी दुनिया उसके मम्मी-पापा तक सिमटी होती है. बच्चे की पर्सनैलिटी की नींव पिता ही रखता है. मां से ज्यादा वह पिता से चीजें ज्यादा सीखता है. लेकिन हम मां के साथ लाड करते हैं क्योंकि मां सारी बात मानती हैं और पापा सख्त होते हैं. इसलिए हम कभी उन्हें बताते ही नहीं कि हम उनसे कितना प्यार करते हैं. जबकि हम उनकी ही छाया होते हैं. वह हमारी जिंदगी के सुपरहीरो और रोल मॉडल होते हैं.
जिन बच्चों के पिता मां को सम्मान देते हैं, वह बच्चे महिलाओं की कद्र करते हैं (Image-Canva)
बच्चे का पहला स्कूल उनका घर होता है. मां भले ही बच्चे को शब्द सिखाए लेकिन पिता उन्हें जाने-अनजाने में व्यवहार सिखाते हैं. उनके सामने ईमानदारी, मेहनत, धैर्य और अनुशासन का उदाहरण पेश करते हैं. जैसे अगर वह हर जगह जाने के लिए समय पर उठकर तैयार होते हैं, समय की कद्र करते हैं, कभी लोगों से झूठ नहीं बोलते, गुस्सा नहीं करते, अपशब्द का इस्तेमाल नहीं करते, सभी नियम कानून को मानते हैं तो बच्चा उनके बर्ताव को ऑर्ब्जव करता है और यहीं गुण उनके व्यक्तित्व में आने लगते हैं.
बच्चों के लिए समय है असली दौलत
भारत के अधिकतर घरों में मां ही बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताती हुई नजर आती हैं और पिता सारा दिन ऑफिस में बैठकर शाम को थके हुए घर पर आराम करते दिखते हैं. बच्चे पापा के पास जाएं भी तो वह थकान के चलते उनसे बात नहीं करते. यह बहुत बड़ी गलती है. बच्चों के लिए उनके पिता का समय असली दौलत है. जो पिता अपने बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताते हैं, उनके बच्चों की पर्सनैलिटी में अलग ही कॉन्फिडेंस होता है और बच्चे उनसे अपनी हर बात को बिना डरे शेयर करते हैं. हर पिता को अपने बच्चे के साथ खेलना चाहिए, सोते वक्त उन्हें स्टोरी सुनाएं, स्कूल छोड़कर आएं, वीकेंड पर घुमाएं या कोई एक्टिविटी उनके साथ करें. इससे बच्चों को यह महसूस होता है कि उनके पिता उन्हें अहमियत देते हैं.
पिता को दिखाने चाहिए इमोशन
पिता की छवि को कठोर पेश किया जाता है. वह अपने कंधों पर सारी जिम्मेदारी का बोझ उठाता है लेकिन उफ्फ तक नहीं करता. लेकिन यह इमेज बच्चों के लिए खतरनाक हो सकती है. हर इंसान के अंदर इमोशन होते हैं. पिता भी परेशान होते हैं, उन्हें भी रोना आता है इसलिए उन्हें अपने बच्चों के सामने इमोशंस दिखाने से डरना नहीं चाहिए. भावनाओं को जाहिर करना कमजोरी नहीं है. जो पिता अपने बच्चों से अपनी भावनाएं साझा करते हैं, उनके बच्चे इमोशनली ज्यादा मजबूत बनते हैं. इमोशनल सपोर्ट उन्हें ताकतवर बनाता है.
Active in journalism since 2012. Done BJMC from Delhi University and MJMC from Jamia Millia Islamia. Expertise in lifestyle, entertainment and travel. Started career with All India Radio. Also worked with IGNOU…और पढ़ें
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