
America Travel Advisary: अमेरिका ने भारत आने वाली अमेरिका महिला को सलाह दी है कि वे भारत में बाहर निकलते समय अकेली न निकलें. हैरानी तो यह है कि यह वही देश है जिस देस में 20 प्रतिशत महिलाएं अपने जीवनकाल में कभी …और पढ़ें

अमेरिकन ट्रैवल एडवाइजरी.
हाइलाइट्स
- अमेरिका ने भारत में अपने नागरिकों के लिए ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है.
- अमेरिका ने महिलाओं से कहा है कि वो भारत में अकेली न निकलें.
- अमेरिका को पता नहीं हमारे देश में अतिथि भगवान का रूप होता है.
America Travel Advisary: उम्र भर गालिब यही भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी और आईना पोंछता रहा। गालिब का यह शेर अमेरिका पर अक्षरशः सच साबित होता है. आज अमेरिका की साख हर मामलों में दरक रही है लेकिन अमेरिका है कि वह अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहा है. खासकर तब जब हमें वह संस्कारों का पाठ पढ़ाता है. वह भी उस देश को जो विश्व में अपना ज्ञान फैलाता है. अमेरिका हमें सीख दे रहा है कि हमारे यहां विदेशी महिलाएं सुरक्षित नहीं है. जिस अमेरिका में 20 प्रतिशत महिलाएं अपने जीवन काल में किसी न किसी मोड़ पर रेप की शिकार होती हैं, वह अमेरिका भारत में अमेरिकी महिला को यह सलाह दे रहा है कि यहां अकेली मत निकलना. अमेरिका का यह पाखंड उसके सतहीपन का अति है. उसे मालूम नहीं कि हम विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी का देश हैं. इसलिए हमें ज्ञान देने से पहले उसे सौ बार सोच लेना चाहिए था. उसे यह समझना चाहिए था कि जो एडवाइजरी उसने अपने नागरिकों के लिए जारी की है, उसकी यहां रत्ती भर जरूरी नहीं. अमेरिका यह भूल गया है कि हमारे खून में आज भी अतिथि देवो भवः विद्यमान है. हम आज भी अतिथि की पूजा करते हैं. ऐसे में हमें यह लेक्चर देकर अपनी सतहीपन का परिचय न दें. वह भी तब जब किसी का अपना ही दामन दागदार हो. अमेरिका में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के ऐसे-ऐसे वाकये भरे पड़े हैं जिसके लिए खुद अमेरिकी फिल्में और सीरीज भरे पड़े हैं.
दूसरी तरफ अमेरिका अपनी महिलाओं का सम्मान करना सीख जाए तो दूसरे को ज्ञान देना थोड़ा क्षम्य भी लगता है. महिलाओं को सम्मान देने में अमेरिका बेहद दागदार है. अमेरिका की खौफनाक कहानी का सच यह है कि यहां की 43.9 प्रतिशत महिलाएं अपने जीवन के किसी न किसी मोड़ पर यौन हिंसा की शिकार जरूर होती है. यहां के मर्दों की विकृत मानसिकता का आलम यह है कि यहां की 100 में से 20 महिलाएं कम उम्र में ही पुरुषों द्वारा रेप कर ली जाती है. रेप में भी यहां घिनौना रेप ज्यादा होता है. अगर क्रूर रेप की बात करें तो अमेरिका से वीभत्स कहानी कहीं और नहीं मिलती. यहां के मर्द अपने घरों की औरतों से ही यौन हिंसा करने में पीछे नहीं. 22 प्रतिशत महिलाएं अपने घरों में ही यौन हिंसा की शिकार हो जाती हैं. 18 साल से कम उम्र की 33 लाख अमेरिकी लड़कियां समय से पहले यौन हिंसा का दंश झेल चुकी होती हैं. और तो यहां अमेरिका ऐसा हैवानियत वाला देश है जहां महिलाओं का व्यापार अवैध लेकिन खुलमखुला होता है. अंटलाटा, डलास, डेनेवर, कंसास सिटी, मियामी, सिएटल, सेन डियागो और यहां तक कि वाशिंगटन में भी महिलाओं का व्यापार धड़ल्ले से हो रहा है. एडल्ट क्लब, केसिनो और पॉर्न इंडस्ट्री में महिलाओं के कारोबार से संबंधित 290 अरब डॉलर का व्यापार माना जाता है. अब ऐसा देश अगर किसी को ज्ञान दें तो इसे हास्यास्पदता नहीं माना जाए तो और क्या माना जाए. बेशक अमेरिका शक्तिशाली देश है. वह समृद्ध भी है. लेकिन ताकत की धौंस से किसी को संस्कार सिखाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता. अमेरिका को यह समझना चाहिए कि उसकी साख हर मामले में तेजी से दरक रही है, इसलिए दूसरों को ज्ञान देने से पहले अपने शीशे को घर को बचाना चाहिए.
एक-दो मामले का सामान्यीकरण अक्षम्य
हमें यह स्वीकार करने में कोई गुरेज नहीं कि हमारे देश में भी महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं. लेकिन पर्यटकों के साथ यौन हिंसा विरले ही होती है. सिर्फ एक-दो मामलों के आधार पर पूरे देश का सामान्यीकरण नहीं किया जाना चाहिए. हाल ही में जिस विदेशी महिला का झारखंड में रेप हुआ था, उसने अपने बयान में जो कहा उसे अमेरिका को समझ लेना चाहिए. उनने कहा कि कुछ गुंडे हर जगह होते हैं. हमें भारत के लोगों के साथ कोई शिकायत नहीं क्योंकि हमने भारत में 20 हजार किलोमीटर की यात्रा की है और हर जगह मुझे भारतीयों से प्यार मिला है और इस यात्रा में भी उन्होंने मुझे अथाह प्यार दिया है. इससे बड़ा उदाहरण अमेरिका के लिए और क्या हो सकता है. हमारे देश में प्रति एक लाख की आबादी पर 66 महिलाओं का रेप होता है लेकिन अमेरिका में प्रत्येक सौ पर 20 महिलाएं बलात्कार की दंश से गुजरती है. बेशक हममें बहुत सारी कमियां हैं लेकिन विदेशी पर्यटकों के साथ सामान्य तौर पर हमारा व्यवहार बहुत सम्मानीय होता है. कुछ इलाकों को छोड़ दें तो सामान्य तौर पर हमारे देश में महिलाएं बेहद सुरक्षित हैं. गुजरात जैसे राज्यों में तो दो-दो बजे रात को अकेली महिला बाहर निकल पड़ती है.
Excelled with colors in media industry, enriched more than 16 years of professional experience. Lakshmi Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. he professed his contribution i…और पढ़ें
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