
उत्तराखंड की हसीन वादियां हर मौसम में दिल जीत लेती हैं, लेकिन बरसात के बाद जब पहाड़ों पर हरियाली की चादर बिछ जाती है, बादल झुककर जमीन को चूमते हैं और हवा में ताजगी घुल जाती है, तब कुमाऊं की इन जगहों की खूबसूरती किसी स्वर्ग से कम नहीं लगती. खासतौर पर कुछ ऑफबीट डेस्टिनेशन ऐसे हैं, जहां लोग भीड़भाड़ से दूर प्रकृति के सुंदर नजारों का दीदार कर सकते हैं.

नैनीताल जिले में स्थित मुक्तेश्वर एक शांत और सुरम्य हिल स्टेशन है, जो बरसात के बाद और भी खूबसूरत नजर आता है. हरियाली से ढकी पहाड़ियां, सेब के बागान और खुला नीला आसमान मिलकर इस जगह को और भी ज्यादा खूबसूरत बना देते हैं. यहां से हिमालय की बर्फीली चोटियां साफ नजर आती हैं, और बादलों के बीच से झांकती धूप किसी चित्रकार की पेंटिंग सी लगती है. यहां का मुक्तेश्वर महादेव मंदिर, चौरी की जाली, रॉक क्लाइंबिंग पॉइंट और शांत वातावरण पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है.

‘फलों का कटोरा’ कहे जाने वाला रामगढ़, कुमाऊं के उन गिने-चुने स्थलों में से है जो भीड़ से कोसों दूर है. बरसात के बाद यहां के सेब, आड़ू और खुबानी के बागान नई जान से भर उठते हैं. रवींद्रनाथ टैगोर और महादेवी वर्मा जैसी हस्तियों से जुड़ी ये जगह साहित्यिक और प्राकृतिक रूप से बेहद समृद्ध है. मॉनसून में जब यहां की पगडंडियों पर नमी और ठंडी हवा चलती है, तब यहां एक कप चाय के साथ बैठना किसी मेडिटेशन से कम नहीं लगता.

रानीखेत, यानी रानी का खेत, अपने नाम की तरह ही शाही एहसास देता है. बरसात के मौसम में यहां की वादियां ताजगी से भर जाती हैं. आर्मी कंटोनमेंट वाला यह इलाका बेहद साफ-सुथरा और व्यवस्थित है. यहां से चौखंबा और त्रिशूल पर्वत की चोटियां दिखती हैं. मॉनसून में बर्फ से ढकी चोटियों के नीचे फैली हरी घास और फूलों की क्यारी हर पल को खास बना देती हैं. यहां का झूला देवी मंदिर और गोल्फ कोर्स पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं.

रानीखेत से कुछ दूरी पर स्थित चौबटिया अपने खूबसूरत ऑर्चर्ड्स और बोटैनिकल गार्डन के लिए जाना जाता है. बरसात के बाद ये बगान फूलों और फलों से लद जाते हैं. यहां की वादियों में घूमते हुए ऐसा लगता है जैसे आप किसी फिल्म के सीन में चल रहे हों. ठंडी हवा, नीले आकाश और कोहरे के पर्दे से झांकती धूप इसे और जादुई बना देती है. यहां का शांत वातावरण खासतौर पर फोटोग्राफर्स और कपल्स को बहुत लुभाता है.

कौसानी को ‘भारत का स्विट्जरलैंड’ कहा जाता है और बरसात के बाद यह बात पूरी तरह सच लगती है. त्रिशूल, नंदा देवी और पंचाचूली पर्वतों के शानदार दृश्य यहां से दिखाई देते हैं. हरी-भरी घाटियां, चाय बागान और गांधी जी द्वारा स्थापित आश्रम इस जगह को एक आध्यात्मिक स्पर्श देते हैं. मानसून में कौसानी की सुबहें कोहरे से ढकी होती हैं और शामें गुलाबी ठंड में डूबी होती हैं. हर तस्वीर में सुकून और संतुलन झलकता है.

शीतला एक छोटा लेकिन बेहद शांत गांव है, जो अभी तक ज्यादा लोगों की नजरों से दूर है. नैनीताल जिले में स्थित इस गांव की सबसे बड़ी खासियत है यहां की सुंदरता. बरसात के बाद शीतला गांव के खेत और घाटियां एक नए रंग में रंग जाती हैं. पक्षियों की चहचहाहट और बारिश की बूंदों की टप-टप यहां का संगीत बन जाती है. जो लोग आत्ममंथन और प्रकृति के करीब रहना चाहते हैं, उनके लिए शीतला परफेक्ट डेस्टिनेशन है. यहां से दिखने वाले विराट हिमालय के नजारे दिल को छू लेने वाले हैं.

नैनीताल से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर बसा पंगोट, पक्षी प्रेमियों की जन्नत है. यहां 250 से अधिक प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं. बरसात के मौसम में जब जंगलों की हरियाली और कोहरा एक साथ मिलते हैं, तब यह जगह बेहद जादुई लगती है. पंगोट में ट्रेकिंग ट्रेल्स, घने ओक और देवदार के जंगल, और शांत वातावरण इसे प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफर्स के लिए परफेक्ट बना देते हैं.
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