
Nagaur News Hindi: नाथ जी का मंदिर नागौर में गोरखनाथ संप्रदाय से जुड़ा है. वीर तेजा मंदिर खरनाल गांव में तेजाजी महाराज को समर्पित है. बाबा रामदेव का मंदिर मेड़ता सिटी में स्थित है. करणी माता मंदिर बीकानेर में है.

नाथ जी का मंदिर नागौर शहर के बीच में स्थित है और यह गोरखनाथ संप्रदाय का महत्वपूर्ण मंदिर है. यह साधुओं और नाथ योगियों की साधना का स्थान रहा है. इसकी स्थापत्य कला में राजस्थानी शिल्प की झलक साफ दिखती है. यहां सालभर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, खासकर गुरुपूर्णिमा पर बड़ा मेला लगता है. मंदिर के पास ही एक बड़ी बावड़ी और प्राचीन शिव मंदिर भी हैं.

वीर तेजा मंदिर नागौर जिले के खरनाल गांव में स्थित है, जो तेजाजी महाराज की जन्मभूमि है. यह मंदिर राजस्थान के लोकदेवता तेजाजी को समर्पित है, जिन्हें सर्पदंश से रक्षा करने वाले और सत्य के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है. मंदिर में तेजाजी की प्रतिमा घोड़े पर सवार योद्धा के रूप में स्थापित है. हर साल भादवा शुक्ल दशमी को यहां विशाल मेला लगता है, जिसमें दूर-दराज से श्रद्धालु आते हैं. भक्त यहां आकर मनोकामना पूर्ति की मन्नतें मांगते हैं और विशेष रूप से सर्पदंश से मुक्ति के लिए पूजा करते हैं.

बाबा रामदेव का प्रसिद्ध मंदिर मेड़ता सिटी में स्थित है और श्रद्धालुओं के लिए बहुत पवित्र स्थल माना जाता है. यह मंदिर रामदेवजी महाराज को समर्पित है, जो लोक देवता और समरसता के प्रतीक हैं. यहां हर साल भादवा मेले के दौरान लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. रामसापीर के नाम से प्रसिद्ध इस देवता को हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों में आदर प्राप्त है.

देशनोक का करणी माता मंदिर भले ही बीकानेर जिले में स्थित है, लेकिन नागौर के लोगों में इसकी गहरी आस्था है. करणी माता को दुर्गा का अवतार माना जाता है और यह मंदिर अपने अनोखे कारणों से प्रसिद्ध है. यहां हजारों चूहे बिना किसी डर के घूमते हैं जिन्हें ‘काबा’ कहा जाता है. भक्त इन चूहों को पूजते हैं और उनका प्रसाद खाना शुभ मानते हैं.

डेगाना कस्बे में स्थित बाल हनुमान मंदिर स्थानीय लोगों के लिए गहरी आस्था का केंद्र है. यह मंदिर भगवान हनुमान के बाल स्वरूप को समर्पित है. यहां हर मंगलवार को विशेष भंडारे और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं. मंदिर की मूर्ति बहुत ही आकर्षक और दिव्य मानी जाती है. लोगों का मानना है कि यहां आने से बुरी शक्तियों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है. यहां विशेष रूप से ‘सिंदूर चढ़ाने’ की परंपरा है जो भक्तों में बड़ी श्रद्धा से निभाई जाती है.

यह मंदिर नागौर किले के पास स्थित है और भगवान शिव के रौद्र रूप भैरव जी को समर्पित है. काल भैरव मंदिर को तंत्र साधना और रहस्यमयी परंपराओं से जोड़ा जाता है. यहां विशेष रूप से रात को पूजा का महत्व होता है. मंदिर में भैरवजी की प्रतिमा को मदिरा का भोग लगाया जाता है, जो इसे अद्वितीय बनाता है. भक्त यहां आकर तंत्र-बाधा, भय और मानसिक कष्टों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं. मंदिर का वातावरण रहस्यमयी और शक्ति से भरपूर महसूस होता है.

नागौर जिले में स्थित बुटाटी धाम एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक और धार्मिक स्थल है, जो संत चतुरदास जी महाराज की समाधि के लिए जाना जाता है. यह धाम नागौर-अजमेर मार्ग पर कुचेरा कस्बे के पास स्थित है और विशेष रूप से लकवा (पैरालिसिस) जैसी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है. यहां हर साल हजारों की संख्या में रोगी और श्रद्धालु आते हैं. बुटाटी धाम में लकवा पीड़ितों के लिए सात दिन का विशेष परिक्रमा अनुष्ठान होता है, जिसमें सुबह और शाम की आरती के बाद रोगी मंदिर की परिक्रमा करते हैं.
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