
उत्तराखंड का मिनी लद्दाख’
नेलांग घाटी को उत्तराखंड का ‘मिनी लद्दाख’ यूं ही नहीं कहा जाता. यहां के बंजर, ऊबड़-खाबड़ पहाड़, नीला आसमान और शांत वातावरण लद्दाख की याद दिलाते हैं, लेकिन यहां की आत्मा उत्तराखंड की लोक संस्कृति में रची-बसी है. यह जगह न सिर्फ आंखों को सुख देती है, बल्कि आत्मा को भी सुकून पहुंचाती है.
नेलांग घाटी सिर्फ भौगोलिक सुंदरता नहीं, बल्कि जैव विविधता का खजाना भी है. यहां पाए जाते हैं हिम तेंदुआ, भूरा भालू, कस्तूरी मृग और अन्य दुर्लभ प्रजातियां. अगर आप वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हैं या प्रकृति प्रेमी, तो यह घाटी आपके कैमरे और दिल, दोनों के लिए एक सपना है. नेलांग घाटी कोई आम हिल स्टेशन नहीं है, जहां हर कोई कभी भी चला जाए. यहां जिला प्रशासन से विशेष परमिट लेना ज़रूरी है. इसका मतलब यह भी है कि यहां भीड़ नहीं होती और आप शुद्ध, शांत यात्रा अनुभव का आनंद ले सकते हैं. भीड़ से दूर प्रकृति की गोद में कुछ पल जीने के लिए यह परफेक्ट जगह है.
नेलांग घाटी जाने का सबसे अच्छा समय
दिल्ली से उत्तरकाशी की दूरी लगभग 450 किमी है और वहां से भैरव घाटी होते हुए आप नेलांग पहुंचते हैं. यहां जाने के लिए मई से अक्टूबर का समय सबसे सटीक है, क्योंकि सर्दियों में यह घाटी भारी बर्फबारी और सेना की निगरानी के चलते बंद रहती है. यात्रा के लिए गर्मी और मानसून के शुरुआती महीने सबसे बेहतर माने जाते हैं.
इन बातों का रखें ध्यान
यह घाटी जितनी खूबसूरत है, उतनी ही कठिन भी. इसलिए साथ रखें गर्म कपड़े, पहचान पत्र, कैमरा, सनस्क्रीन और परमिट की कॉपी. खास बात, कुछ इलाके में फोटोग्राफी प्रतिबंधित है, तो नियमों का पालन जरूर करें और हां, मन में ले जाएं बस एक ही चीज़, घूमने का जुनून और सीखने का जज़्बा.
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