
रेमंड को हैदराबाद में इतना सम्मान और प्यार मिला कि वे स्थानीय जनता के बीच “मकबरा साहब” और “रहमान साहब” के नाम से लोकप्रिय हो गए. उनकी सादगी, अनुशासन और निष्कलंक सेवा के चलते, उनकी मृत्यु के बाद निज़ाम सरकार ने इस मकबरे का निर्माण करवाया.
रेमंड मकबरा, हैदराबाद के मलकपेट क्षेत्र की एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है. यह स्मारक किसी भव्य किले या संगमरमर के गुंबद की तरह नहीं, बल्कि सादगी और सम्मान का प्रतीक है. एक काले पत्थर का छोटा सा स्तंभ, जो आज भी रेमंड की यादों को ज़िंदा रखे हुए है.
इतिहास के पन्नों में अनमोल विरासत
रेमंड मकबरे की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह भारतीय भूमि पर किसी फ्रांसीसी अधिकारी को दी गई सर्वोच्च श्रद्धांजलि है. यह न केवल हैदराबाद के सैन्य इतिहास को दर्शाता है, बल्कि दो अलग संस्कृतियों – भारतीय और फ्रांसीसी – के बीच एक गहरे संबंध को भी दर्शाता है.
हालांकि यह मकबरा इतिहास प्रेमियों के लिए किसी खजाने से कम नहीं, लेकिन आज इसकी स्थिति उतनी सशक्त नहीं है. स्थानीय प्रशासन और पुरातत्व विभाग ने हाल के वर्षों में संरक्षण की दिशा में कुछ प्रयास किए हैं, लेकिन यह स्मारक अभी भी व्यापक ध्यान और देखरेख की मांग करता है.
रेमंड मकबरा एक ऐसा स्थल है, जो हमें वफादारी, सम्मान और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की गहराई का अहसास कराता है — वो भी बिना किसी दिखावे के, पूरी सादगी से.
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