
Bageshwar news in hindi : ये घाटी प्रकृति प्रेमियों और ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए जन्नत है. इसे यूनेस्को ने अपनी विश्व धरोहर स्थलों की सूची में जगह दे रखी है. हर साल हजारों पर्यटक इसका दीदार करने पहुंचते हैं.
- फूलों की घाटी का ट्रेक जून-अक्टूबर तक चलता है.
- भारतीय पर्यटकों के लिए डिजिटल परमिट 150 रुपये में मिलता है.
- बारिश में फिसलन, प्रशिक्षित गाइड और पोर्टर जरूरी.
बागेश्वर. राज्य के चमोली जिले की गोद में बसी ‘वैली ऑफ फ्लावर्स’ (फूलों की घाटी) प्रकृति प्रेमियों और ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है. यह घाटी यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है. हर साल हजारों पर्यटक इसकी खूबसूरती का दीदार करने पहुंचते हैं. फूलों की घाटी का ट्रेक सीजन हर साल जून से अक्टूबर तक चलता है. इस दौरान घाटी तरह-तरह के रंग-बिरंगे फूलों से ढक जाती है. बागेश्वर के वरिष्ठ पर्वतारोही भुवन चौबे Local 18 से कहते हैं कि ट्रेक की शुरुआत गोविंदघाट से होती है. जहां से 13 किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद घांघरिया पहुंचा जाता है. घांघरिया इस ट्रेक का बेस कैंप है. यहां से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी तय कर घाटी में प्रवेश किया जा सकता है.
इस साल से घाटी में प्रवेश के लिए डिजिटल परमिट प्रणाली लागू कर दी गई है. भारतीय पर्यटकों के लिए तीन दिन का पास 150 रुपये में मिलता है, जबकि विदेशी पर्यटकों को 600 रुपये का भुगतान करना होता है. यदि अधिक दिन रुकना हो तो भारतीयों के लिए 50 रुपये और विदेशियों के लिए 250 रुपये प्रति दिन देना पड़ता है. परमिट ऑनलाइन वेबसाइट के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है. ऑफलाइन परमिट की सुविधा घांघरिया चेकपोस्ट पर भी उपलब्ध है.
हालांकि ये ट्रेक आसान नहीं है. बारिश के मौसम में रास्ते फिसलन भरे हो जाते हैं, और पहाड़ों पर खिसकाव की स्थिति बनी रहती है. ऐसे में जलरोधक जैकेट, ऊनी कपड़े, प्राथमिक चिकित्सा किट और ट्रेकिंग शूज जरूरी सामान साथ रखें. प्रशिक्षित गाइड और पोर्टर की मदद जरूर लें. घाटी में ट्रेकिंग का समय सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक ही होता है. पर्यटकों को शाम तक लौटना अनिवार्य है, क्योंकि घाटी में रात में रुकने की अनुमति नहीं है.
जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीने ट्रेक के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं, क्योंकि इस दौरान फूलों की विविध प्रजातियां पूरी तरह खिल जाती हैं. ट्रेकिंग के दौरान नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व, ब्रह्मकमल, ऑर्किड जैसी दुर्लभ प्रजातियों के फूल और कई हिमालयी पक्षी और जीव-जंतु भी दिखाई देते हैं. अगर आप भी इस मानसून में कुछ अद्भुत और यादगार अनुभव लेना चाहते हैं, तो वैली ऑफ फ्लावर्स आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन है.
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