
Chamoli News: उत्तराखंड के पहाड़ों का स्वर्ग आली-बेदनी बुग्याल एक बार देखने की चीज नहीं, बल्कि महसूस करने का अनुभव है. ये यात्रा सिर्फ पहाड़ों की नहीं, आत्मा की भी होती है. अगर आप प्रकृति की गोद में कुछ दिन सुकून और रोमांच की तलाश में हैं, तो यह ट्रैक आपके लिए परफेक्ट है. हालांकि मानसून में ये ट्रैक खतरनाक हो सकता है.

उत्तराखंड की गोद में बसा आली-बेदनी बुग्याल एक ऐसा नाम है, जो हर ट्रैकर और प्रकृति प्रेमी के मन में एक अलग ही रोमांच भर देता है. ये वो जगह है जहां हरे-भरे मखमली मैदान आसमान से बातें करते हैं और जहां हर कदम पर हिमालय की भव्यता झलकती है. यह बुग्याल (अल्पाइन मीडोज़) न सिर्फ एक प्राकृतिक चमत्कार है, बल्कि एक आत्मिक अनुभव भी है जो जिंदगी भर याद रहता है. हरियाली, बर्फ से ढके पहाड़, और ठंडी हवा, यह सब कुछ एक जादुई अहसास की तरह है, जिसे महसूस किए बिना बयान नहीं किया जा सकता.

यह खूबसूरत बुग्याल चमोली जिले में स्थित है और उत्तराखंड के प्रमुख ट्रैकिंग स्थलों में गिना जाता है. आली और बेदनी (Aali Bedni Bugyal) दो अलग-अलग बुग्याल हैं जो एक ही ट्रैक रूट पर मिलते हैं. ये दोनों बुग्याल लगभग 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं और त्रिशूल पर्वत और नंदा घुंटी की अद्भुत झलक प्रदान करते हैं. बेदनी बुग्याल से आगे चलकर रूपकुंड और जूनारगली जैसे ट्रैक भी जुड़ते हैं, जो इस रूट को और भी रोमांचक बनाते हैं.

सबसे पहले ऋषिकेश या हरिद्वार से सड़क मार्ग द्वारा चमोली जिले के लोहाजंग या वान गांव तक पहुंचा जा सकता है, जो ट्रैक का शुरुआती बिंदु होता है. ऋषिकेश से लोहाजंग की दूरी लगभग 250 किलोमीटर है और इसमें 9–10 घंटे का समय लग सकता है. यहां से ट्रैक शुरू होता है जो पहले आली बुग्याल और फिर बेदनी तक जाता है. रास्ते में स्थानीय गांवों, जंगलों और झरनों से होकर गुजरना पड़ता है, जो सफर को बेहद रोमांचक बना देता है.

आली-बेदनी बुग्याल (Bedni Bugyal trek) का ट्रैक आमतौर पर 4 से 5 दिन का होता है, जिसमें पहले दिन ट्रैक की शुरुआत, दूसरे और तीसरे दिन बुग्यालों तक पहुंचना और वापसी का सफर शामिल होता है. हालांकि अगर रूपकुंड तक जाना हो, तो कुल ट्रैकिंग 7 से 8 दिन की हो सकती है. यह ट्रैक मध्यम श्रेणी का माना जाता है, इसलिए थोड़ी शारीरिक तैयारी भी जरूरी है.

इस ट्रैक ( पर जाने के लिए बेसिक ट्रैकिंग गियर जरूरी है. जैसे मजबूत ट्रैकिंग शूज, वाटरप्रूफ जैकेट, गर्म कपड़े (तापमान रात में माइनस तक जा सकता है), सनग्लासेस, सनस्क्रीन, कैप, पानी की बोतल, टॉर्च, ट्रैकिंग पोल और प्राथमिक चिकित्सा किट. कैंपिंग का सामान और खाने-पीने की आवश्यक वस्तुएं अगर आप स्वयं ट्रैक कर रहे हैं तो जरूर साथ रखें. डीहाइड्रेशन और ऊंचाई की दिक्कतों से बचाव के लिए एनर्जी ड्रिंक्स और स्नैक्स भी साथ ले सकते हैं.

आली-बेदनी बुग्याल की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय मई से जून और फिर सितंबर से अक्टूबर तक का होता है. गर्मियों में बुग्यालों में फूलों की बहार होती है और मौसम साफ रहता है, जबकि अक्टूबर के आसपास ठंड शुरू हो जाती है और पहाड़ों पर बर्फ की चादर बिछने लगती है. मानसून के समय (जुलाई-अगस्त) ट्रैक फिसलन भरा और जोखिम भरा हो सकता है, इसलिए उस दौरान यात्रा से बचना चाहिए.

अगर आप पहली बार ट्रैकिंग पर जा रहे हैं या ट्रैकिंग में नए हैं, तो गाइड लेना बहुत फायदेमंद होता है. गाइड न सिर्फ रास्ता दिखाता है बल्कि ,मौसम, कैंपिंग स्पॉट और सुरक्षा से जुड़ी जरूरी सलाह भी देता है. स्थानीय गाइडों को इस क्षेत्र की अच्छी जानकारी होती है, जिससे यात्रा और भी सुरक्षित और समृद्ध बन जाती है. इसके अलावा स्थानीय संस्कृति को समझने में भी उनकी अहम भूमिका होती है.
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