
2015 में जब क्यूएस रैंकिंग में भारत के सिर्फ 11 संस्थानों को शामिल किया गया था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि कुछ ही वर्षों में यह संख्या पांच गुना से भी अधिक हो जाएगी. इस बार भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और चीन के बाद सबसे ज़्यादा संस्थान भेजने वाला चौथा देश बन गया है.
टॉप 5 भारतीय संस्थानों ने किया कमाल
आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi)
इस साल आईआईटी दिल्ली ने बड़ा कमाल करते हुए 27 रैंक की छलांग लगाई है और 123वें स्थान पर पहुंच गया है. यह भारत के किसी भी संस्थान की 2026 रैंकिंग में अब तक की सबसे बेहतरीन स्थिति है.
आईआईटी बॉम्बे (IIT Bombay)
हालांकि आईआईटी बॉम्बे की रैंकिंग थोड़ी गिरी है, लेकिन फिर भी यह टॉप 150 में बना हुआ है. इस बार इसका स्थान 129वां रहा, जबकि पिछले साल यह 118वें स्थान पर था.
आईआईटी मद्रास (IIT Madras)
आईआईटी मद्रास ने इस साल पहली बार टॉप 200 में एंट्री की है. पिछले साल यह 227वें स्थान पर था, लेकिन अब यह 180वें स्थान पर आ गया है.
आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur)
रैंकिंग के अनुसार आईआईटी कानपुर भी टॉप 300 में अपनी जगह बनाए हुए है. टेक्निकल और रिसर्च में इसकी पहचान काफी मजबूत है.
आईआईटी खड़गपुर (IIT Kharagpur)
देश के सबसे पुराने आईआईटी में से एक खड़गपुर ने भी रैंकिंग में अपनी स्थायी मौजूदगी बनाए रखी है.
क्यों खास है यह रैंकिंग?
क्यूएस रैंकिंग न केवल शिक्षा की गुणवत्ता बल्कि प्लेसमेंट, रिसर्च, फैकल्टी-स्टूडेंट रेशियो और इंटरनेशनल नेटवर्क जैसे पहलुओं को भी ध्यान में रखकर की जाती है. ऐसे में इन संस्थानों में पढ़ने का मतलब है ग्लोबल लेवल की शिक्षा और नौकरी के बेहतर मौके.
टॉप 10 ग्लोबल यूनिवर्सिटीज में कौन-कौन?
इस बार भी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) ने दुनिया की नंबर 1 यूनिवर्सिटी बनने का खिताब बरकरार रखा है. इसके बाद इंपीरियल कॉलेज लंदन, स्टैनफोर्ड, ऑक्सफोर्ड, और हार्वर्ड जैसे नाम शामिल हैं.
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