
दही जमाना जितना कॉमन है, इसे ठीक से जमाना उतना ही मुश्किल. कई बार आपने देखा होगा कि कुछ लोगों का दही इतना गाढ़ा होता है कि जहां से काटो वहीं से कटता है जबकि कुछ लोगों के दही में पानी बहता रहता है. दरअसल सही दही जमाने के लिए कुछ छोटे टिप्स और ट्रिक्स होते हैं, जिनका ध्यान रखा जाए तो बेहतरीन दही जमकर निकलता है.

पश्चिम चम्पारण जिला दही उत्पादन का हब माना जाता है. यहां के नौतन प्रखंड का मंगलपुर गांव यदुवंशियों का गढ़ है, जो दशकों से दही उत्पादन का काम करते आ रहे हैं. आज हम आपको उनके ही माध्यम से एकदम खाटी और मोटा दही जमाने की पूरी जानकारी देंगे.

डेयरी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर करीब 20 वर्षों तक प्रोडक्शन मैनेजर के साथ कई अन्य पदों पर काम कर चुके मंगलपुर निवासी उदय बताते हैं कि, मोटा और मीठा दही जमाने में दूध का तापमान और जामन की सबसे अहम भूमिका होती है.

घी से भरा, मीठे और मोटे दही के लिए दूध का तापमान 40 से 42 डिग्री सेल्सियस तक रखना है और फिर उसमें उच्च गुणवत्ता वाला जामन ( मीठा और गाढ़ा) डालना है. ध्यान रहे कि दही की मिठास के लिए दूध का सही तापमान सबसे जरूरी है. अंदाजा लगाना हो तो ये समझें कि जिस दूध में उंगली आसानी से चली जाए, यानी गुनगुना से थोड़ा ज्यादा हो, वो परफेक्ट होता है. ठंड के दिनों में दूध थोड़ा अधिक गर्म रखा जाता है.

सही तापमान सबसे जरूरी है अगर आप अधिक गर्म दूध में जामन को डालते हैं, तो फिर जामन में मौजूद सभी बैक्टीरिया मर जाएंगे, जिससे दही का स्वाद बेहद खट्टा होगा और उसमें पानी की अधिकता हो जाएगी. दूध ठंडा होगा तो दही जमेगा ही नहीं अगले दिन आपको वैसा ही दूध मिलेगा जो किसी काम का नहीं होगा.

इसी तरह अगर पतला और खट्टा जामन का इस्तेमाल करते हैं, तो दही खट्टा और पतला जमेगा. सही तापमान पर मीठा, ताजा और मोटे जामन का उपयोग करना है फिर उसे बिना हिलाए गर्म जगह पर ढककर रख देना है. चार-पांच घंटे कोई उसे न छुए, इस बात का ध्यान रखें. बेहतर नतीजे के लिए आप मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल कर सकते हैं. जामन की मात्रा गर्मी में कम और सर्दी में अधिक लगती है. फुल क्रीम दूध यूज करें और एकदम हलवाई जैसा इफेक्ट चाहते हैं तो उसमें एक-दो चम्मच मिल्क पाउडर मिला दें, बेहतरीन बर्फी जैसा दही तैयार होगा.
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