
Thailand PM Suspended: थाईलैंड की PM पैटॉन्गटर्न शिनावात्रा की कंबोडिया के पूर्व नेता के साथ कॉल लीक होने के बाद, उनकी कुर्सी से हटा दिया गया है. अदालत ने नैतिकता के उल्लंघन का दोषी मानते हुए उन्हें सस्पेंड किय…और पढ़ें

हाइलाइट्स
- लीक कॉल में कंबोडियाई PM से करीबी ने बवाल मचाया था.
- थाई कोर्ट ने नैतिकता उल्लंघन मानते हुए पीएम को सस्पेंड किया.
- सीमा विवाद और सेना पर टिप्पणी से जनता में गुस्सा बढ़ गया था.
थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैटॉन्गटर्न शिनावात्रा को मंगलवार को उनके पद से सस्पेंड कर दिया गया. यह फैसला देश की संवैधानिक अदालत ने एक गंभीर मामले की जांच के चलते लिया है. इस जांच में एक फोन कॉल लीक होने की बात सामने आई है, जिसमें वो कंबोडिया के एक पूर्व नेता से बातचीत कर रही थीं. अदालत के नौ में से सात जजों ने उन्हें तुरंत ड्यूटी से हटाने का फैसला सुनाया. यह कदम उस याचिका के बाद उठाया गया जिसमें उन्हें नैतिकता के उल्लंघन का दोषी बताया गया है.
पैटॉन्गटर्न पहले से ही कंबोडिया के साथ सीमा विवाद को लेकर काफी आलोचना झेल रही थीं. 28 मई को हुए एक सशस्त्र झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत के बाद मामला और बिगड़ गया. इसके बाद से उनके इस्तीफे की मांग तेज हो गई.
पीएम के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन
पिछले हफ्ते ही बैंकॉक में लोगों ने प्रधानमंत्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि प्रधानमंत्री को तुरंत पद से हटाया जाए. विरोध का बड़ा कारण वो फोन कॉल था जिसमें पैटॉन्गटर्न की बातों से लगा कि वह थाई सेना के एक सीनियर अधिकारी की आलोचना कर रही हैं और साथ ही कंबोडिया के पूर्व नेता हुन सेन को खुश करने की कोशिश कर रही हैं.
इस महीने की शुरुआत में एक फोन कॉल लीक हुई थी जिसमें पैटॉन्गटर्न और कंबोडिया के पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन के बीच बातचीत सुनाई दी. कॉल में उन्होंने एक थाई सैन्य अधिकारी पर टिप्पणी की और हुन सेन को “अंकल” कहकर संबोधित किया. उन्होंने यह भी कहा कि अगर उन्हें (हुन सेन को) कुछ चाहिए तो वो उसका ख्याल रखेंगी.
कोर्ट ने क्या कहा?
संवैधानिक अदालत ने अपने बयान में कहा- “संवैधानिक अदालत ने 7-2 के बहुमत से तय किया कि 1 जुलाई से प्रधानमंत्री को उनके पद से निलंबित किया जाए, जब तक कि कोर्ट अंतिम फैसला नहीं दे देती.” यह फैसला कुछ कंजर्वेटिव सांसदों द्वारा दायर याचिका के आधार पर लिया गया था, जिसमें पैटॉन्गटर्न पर आरोप था कि उन्होंने कंबोडिया के सामने झुकाव दिखाया और थाई सेना की छवि को नुकसान पहुंचाया.
नैतिकता और संविधान का सवाल
विरोधियों का आरोप है कि पैटॉन्गटर्न ने मंत्री के पद पर रहते हुए ‘नैतिकता’ और ‘ईमानदारी’ की शर्तों का उल्लंघन किया है, जो एक तरह से संविधान का उल्लंघन है. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री की भाषा और रुख से देश की गरिमा को ठेस पहुंची है. वहीं, इस फैसले के बाद, पैटॉन्गटर्न ने कहा, “अगर आप मुझसे पूछें कि क्या मैं चिंतित हूं, तो हां, मैं हूं. लेकिन मैं कोर्ट की प्रक्रिया का सम्मान करती हूं और उसका पालन करूंगी. मैं नहीं चाहती कि मेरा काम रुक जाए.”
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