
TEJAS Mk-1A: तेजस मार्क 1 A की डीलिवरी में देरी से वायुसेना प्रमुख ने अपनी नाराजगी कई बार जता चुके है. माना जा रहा है कि जल्द इनकी नारजगी दूर होनी शुरू हो जाएगी. इस साल से तेजस मार्क 1A वायुसेना को मिलना शुरू ह…और पढ़ें

हाइलाइट्स
- तेजस Mk-1A की डिलीवरी इस साल शुरू होगी.
- HAL ने 2031 तक 83 तेजस Mk-1A देने का दावा किया.
- तेजस Mk-1A भारतीय वायुसेना की कमी पूरी करेगा.
TEJAS Mk-1A: फाइटर जेट बनाने की क्षमता दुनिया के कुछ ही देशों के पास है, लेकिन सबसे हल्का फाइटर जेट बनाने की क्षमता सिर्फ भारत के पास है. तेजस बनाकर भारत ने यह कर दिखाया. भारतीय वायुसेना के फाइटर स्क्वॉड्रन की कमी को तेजस के जरिए ही पूरा किया जाना है. तेजस के लिए इंजन मिलने में हो रही देरी से पूरा प्रोग्राम लटका हुआ था. थोड़ी राहत इस बात से है कि इंजन की डिलीवरी शुरू हो गई है. अमेरिकी कंपनी GE की तरफ से पहला इंजन मार्च में मिल चुका है. इस साल 12 और इंजन मिल जाएंगे. अब माना जा रहा है कि अगले महीने तक HAL की नासिक फैसेलिटी से पहला LCA Mk-1A रोल आउट हो जाएगा. एक बार इस फैसेलिटी से बाहर आने के बाद इसकी पहली फ्लाइट होगी. HAL ने तेजस का निर्माण तेजी से करने के लिए बेंगलुरु के 2 फैसेलिटी के अलावा एक नई फैसेलिटी नासिक में स्थापित की थी. हालांकि, भारतीय वायुसेना के लिए तैयार किए गए LCA Mk-1A के 3 लड़ाकू विमानों ने एयरो इंडिया में उड़ान भरी थी. HAL का कहना है कि तीन एयरक्राफ्ट तैयार हैं जबकि 2 भी जल्दी तैयार हो जाएंगे.
सिंगल इंजन तेजस 4.5 जेनेरेशन डेल्टा विंग मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है. इसे DRDO की एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी ADA ने डिज़ाइन किया और HAL इसका निर्माण कर रही है. तेजस मार्क-1 के 2 स्क्वॉड्रन सुलूर में स्थापित किया गया, अब तेजस मार्क 1A की बारी है. यह तेजस मार्क 1 से एडवांस है. दुनिया में तेजस सुपरसोनिक कॉम्बैट एयरक्राफ्ट इस सेगमेंट में सबसे छोटा और हल्का है. इसकी अधिकतम रफ्तार 1.8 मैक है. इसकी कॉम्बैट रेंज 1200 किलोमीटर है, चूंकि इसमें हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है, तो इसकी रेंज तकरीबन 3000 किलोमीटर हो जाती है. यह एयरक्राफ्ट 50,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है. तेजस 6,500 किलोग्राम के अलग-अलग वेपन को लेकर टेकऑफ कर सकता है, जिसमें रॉकेट, एयर टू एयर मिसाइल जिसमें 2 R-73, 4 अस्त्र मार्क-1 सहित कई अन्य मिसाइल शामिल हैं. एयर टू ग्राउंड में ब्रह्मोस NG की तैयारी हो रही है, एंटी रेडिएशन, एंटी शिप मिसाइल, प्रिसिशन गाइडेड बम, लेजर गाइडेड बम, क्लस्टर और अनगाइडेड बम शामिल हैं.
ASQR पर खरा उतरना होगा पहले
किसी भी एयरक्राफ्ट को तैयार होने और फिर वायुसेना में शामिल होने में थोड़ा वक्त लगता है. इसकी वजह है भारतीय वायुसेना के दिए गए जरूरतों पर उतरने वाले चेक्स. HAL के मुताबिक 3 मार्क 1A तैयार हैं और उड़ान भर रहे हैं. अब सवाल यह है कि अब तक भारतीय वायुसेना को क्यों नहीं मिले. दरअसल इन्हें पहले खुद को ASQR पर साबित करना होगा, उसके बाद वायुसेना में इनकी एंट्री होगी. ASQR यानी एयर स्टाफ क्वालिटी रिक्वायरमेंट एक बेहद क्रिटिकल दस्तावेज होता है. इसमें एयरक्राफ्ट के टेक्निकल और ऑपरेशनल रिक्वायरमेंट का ब्लूप्रिंट होता है. एक बार नासिक फैसेलिटी से एयरक्राफ्ट बाहर आने के बाद वायुसेना की टेक्निकल टीम इस एयरक्राफ्ट का इंस्पेक्शन और टेस्ट पायलट फ्लाइंग करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि एयरक्राफ्ट वायुसेना की तरफ से दिए गए ASQR पर खरा उतरता है या नहीं. इस इंस्पेक्शन के बाद टीम एक डिटेल रिपोर्ट तैयार करेगी और अगर ASQR में कोई कमी पाई गई तो फिर HAL को उसे दुरुस्त करने को कहेगी. इसके बाद जाकर कहीं भारतीय वायुसेना को मिलेगा पहला तेजस मार्क 1A.
वायुसेना का तेजस प्लान
मौजूदा सुरक्षा के लिहाज से भारतीय वायुसेना 42 फाइटर स्क्वॉड्रन के बजाए सिर्फ 31 से ही काम चला रही है. इस कमी को तेजस के पूरा किया जाना है. पहले 40 तेजस भारतीय वायुसेना के लिए ले चुकी है. HAL से 83 LCA तेजस मार्क-1A की डील भी पूरी हो गई है.जिसका पहला विमान इसी साल भारतीय वायुसेना को मिल जाएगा. उसके बाद अगले छह साल में सभी 83 तेजस फाइटर जेट एयरफोर्स को दे दिए जाएंगे. 83 तेजस मार्क 1A कुल 4 स्क्वॉड्रन बनेंगे. 5 अतिरिक्त स्क्वॉड्रन के लिए 97 तेजस मार्क 1A की खरीद की मंजूरी भी दे दी गई है. तेजस के कुल 11 स्क्वॉड्रन में 2 आ चुके हैं, बाकी 9 आने बाकी हैं। इसके अलावा तेजस मार्क 1A का एडवांस वर्जन यानी तेजस मार्क-2 पर काम जोर-शोर से जारी है. यह मार्क-1A से ज्यादा मॉडिफाइड होगा.
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