
बताया जा रहा है कि खामेनेई का रिकॉर्डेड बयान सरकारी टेलीविजन पर प्रसारित किया गया। पिछली बार की तरह वह इस बार भी एक अज्ञात स्थान से बोल रहे थे, जहां उनके पीछे एक भूरे रंग का पर्दा, एक ईरानी झंडा और उनके पूर्ववर्ती रूहोल्लाह खोमैनी की तस्वीर थी। उन्होंने आगे कहा, “यह कोई छोटी घटना नहीं है कि इस्लामी गणराज्य की क्षेत्र में अमेरिका के महत्वपूर्ण केंद्रों तक पहुंच है और वह जब चाहे उन पर कार्रवाई कर सकता है। यह एक बड़ी घटना है और यदि भविष्य में हमला हुआ, तो यह घटना फिर से हो सकती है।” हम आपको यह भी बता दें कि खामेनेई का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि ईरान फिर से अपने परमाणु संवर्धन कार्यक्रम को शुरू करता है तो अमेरिका फिर से हमला करेगा।
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इस बीच, ईरानी अधिकारियों ने देशभर में आंतरिक सुरक्षा पर कड़ा नियंत्रण करना शुरू कर दिया है, जिसमें बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियाँ, फांसी की सज़ाएँ और सैन्य तैनाती शामिल हैं। यह सब खासतौर पर अशांत कुर्द क्षेत्र में चल रहा है। बताया जा रहा है कि ईरानी सुरक्षा बलों ने व्यापक गिरफ्तारियों का अभियान शुरू कर दिया है। सड़कों पर सुरक्षा बलों की ज्यादा उपस्थिति नजर आ रही है और जगह-जगह चेकप्वाइंट्स बनाए गए हैं। रिवोल्यूशनरी गार्ड और बसीज अर्धसैनिक बलों को अलर्ट पर रखा गया है और आंतरिक सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। मीडिया रिपोर्टों में ईरानी अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि अधिकारी इज़राइली एजेंटों, जातीय अलगाववादियों और निर्वासित विपक्षी संगठन “पीपुल्स मुजाहिदीन ऑर्गनाइजेशन” से खतरे को लेकर चिंतित हैं, जिसने पहले भी ईरान के भीतर हमले किए हैं। इस बीच, ईरानी मानवाधिकार समूह HRNA ने बताया कि युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक 700 से ज्यादा लोगों को राजनीतिक या सुरक्षा आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। इनमें से कई लोगों पर इज़राइल के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया है। ईरानी सरकारी मीडिया ने बताया कि तुर्की सीमा के पास उर्मिया में तीन लोगों को जासूसी के आरोप में फांसी दी गई।
एक अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तानी, इराकी और अज़रबैजानी सीमाओं पर ज्यादा सैनिकों को तैनात किया गया है, ताकि “आतंकवादियों” की घुसपैठ को रोका जा सके। हम आपको बता दें कि ईरान के ज़्यादातर सुन्नी मुस्लिम कुर्द और बलूच अल्पसंख्यक लंबे समय से इस्लामी गणराज्य के शासन का विरोध करते रहे हैं और तेहरान की फारसी-भाषी शिया सरकार के खिलाफ असंतोष जताते रहे हैं।
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