अश्लीलता रोकने के लिए आधार वेरिफिकेशन का सुझाव
कंटेंट को कंट्रोल करने के लिए स्वायत्त संस्था की जरूरत
कोर्ट ने रेगुलेशन के लिए एक स्वतंत्र संस्था की वकालत की है. सीजेआई ने कहा कि सेल्फ स्टाइल संस्थाएं काफी नहीं हैं. स्थिति को संभालने के लिए बाहरी प्रभाव से मुक्त संस्था चाहिए. कोर्ट ने सवाल किया कि अगर सब कुछ की अनुमति दे दी जाए तो क्या होगा. समाज में संतुलन बनाना बहुत जरूरी है.
हालांकि कोर्ट ने यह भी साफ किया कि वह किसी का मुंह बंद नहीं करना चाहता. मौलिक अधिकारों का संतुलन बना रहना चाहिए. जजों ने कहा कि हम रेगुलेशन का सुझाव देने वाले आखिरी लोग होंगे. लेकिन जब इंडस्ट्री खुद कुछ नहीं कर रही तो दिक्कतें आ रही हैं. कोर्ट ने पूछा कि आखिर ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों हो रही हैं.
दिव्यांगों का मजाक उड़ाने पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान समय रैना और रणवीर अल्लाहबादिया का मामला भी उठा. रणवीर ने एक शो में कथित तौर पर अश्लील टिप्पणी की थी. वहीं समय रैना पर दिव्यांगों का मजाक उड़ाने का आरोप है. क्योंर एसएमए इंडिया फाउंडेशन ने रैना के खिलाफ याचिका दी है. आरोप है कि उन्होंने स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के इलाज पर असंवेदनशील बात कही. कोर्ट ने इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर की.
सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल किया. उन्होंने पूछा कि दिव्यांगों के अपमान पर सख्त कानून क्यों नहीं है. यह कानून एससी-एसटी एक्ट की तर्ज पर होना चाहिए. मेहता ने भी माना कि मजाक गरिमा की कीमत पर नहीं हो सकता.
देश विरोधी कंटेंट पर भी सुप्रीम कोर्ट की नजर
जस्टिस बागची ने देश विरोधी कंटेंट का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने पूछा कि क्या सेल्फ रेगुलेशन ऐसे कंटेंट को रोक पाएगा. कई बार कंटेंट समाज के ढांचे को बिगाड़ने वाला होता है. जब तक सरकार जवाब देती है तब तक देर हो जाती है. वीडियो वायरल हो जाते हैं और करोड़ों लोग देख लेते हैं. वकील प्रशांत भूषण ने इस पर तर्क दिया. उन्होंने कहा कि ‘एंटी नेशनल’ शब्द बहुत अस्पष्ट है. क्या सीमा विवाद के इतिहास पर लिखना भी देश विरोधी होगा.
इस पर जस्टिस बागची ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि हम रेगुलेटेड अधिकार की बात कर रहे हैं. कोई सरकारी अधिकारी यह तय नहीं कर सकता. लेकिन अगर कंटेंट देश की एकता और अखंडता को चोट पहुंचाता है तो सोचना होगा.
यूजर जेनरेटेड कंटेंट पर सरकार की चिंता
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने यूजर जेनरेटेड कंटेंट का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि फ्री स्पीच की आड़ में कोई कुछ भी नहीं कर सकता. सीजेआई ने इस बात पर सहमति जताई. उन्होंने कहा कि यह अजीब है कि कोई अपना चैनल बना ले. और फिर बिना किसी जवाबदेही के कुछ भी करता रहे. फ्री स्पीच की सुरक्षा जरूरी है लेकिन सीमाएं भी हैं. अगर किसी शो में एडल्ट कंटेंट है तो एडवांस चेतावनी होनी चाहिए. साथ ही पेरेंटल कंट्रोल भी जरूरी है. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने भी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मंत्रालय इस पर मीटिंग करने वाला है. अगर किसी कानून में बदलाव की जरूरत होगी तो किया जाएगा.
सरकार और स्टेकहोल्डर्स के बीच होगी चर्चा
कोर्ट ने सुझाव दिया कि जल्दबाजी में कुछ नहीं होना चाहिए. एक विचार-विमर्श की प्रक्रिया होनी चाहिए. प्रस्ताव को पब्लिक डोमेन में रखा जाना चाहिए. वेंकटरमणी ने कहा कि हम सबसे बात करेंगे. किसी को भी ऐसे ही चर्चा में नहीं आने दिया जाएगा. मेहता ने कहा कि सरकार इस पर विचार कर रही है. वे एक हफ्ते बाद जानकारी देंगे. कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रभाव कभी-कभी फायदों से ज्यादा हो जाते हैं. इसलिए एक जिम्मेदार समाज का निर्माण जरूरी है. जब समाज जिम्मेदार होगा तो समस्याएं खुद सुलझ जाएंगी.
कॉमेडियन को दी फंड जुटाने की सलाह
दिव्यांगों के मामले में कोर्ट ने कॉमेडियन को एक सलाह दी है. कोर्ट ने कहा कि वे दिव्यांगों के इलाज के लिए फंड जुटाएं. इसके लिए उन्हें कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए. समय रैना के वकील ने कहा कि उन्होंने पैसे दान किए हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि उन्हें पैसे नहीं चाहिए. हमें उनके आत्मसम्मान का आदर करना चाहिए. कोर्ट ने सुझाव दिया कि एक डेडिकेटेड फंड बनाया जाए. कॉमेडियन महीने में दो बार इवेंट करें. इससे जमा पैसा इलाज में मदद करेगा.
कोर्ट ने कहा कि हमें उम्मीद है कि ये लोग ईमानदारी दिखाएंगे. वे दिव्यांगों को अपने प्लेटफॉर्म पर बुलाएं. उनकी उपलब्धियों को दुनिया को दिखाएं. इससे एक अच्छा संदेश जाएगा. मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी.


