
उत्तर प्रदेश में 60,244 पुलिसकर्मियों की नियुक्ति के साथ कई प्रेरक कहानियां सामने आईं, जहां युवाओं ने कठिनाइयों के बावजूद संघर्ष, मेहनत और आत्मबल से सफलता पाई और अब समाज के लिए प्रेरणा बन गए हैं.
- उत्तर प्रदेश में 60,244 पुलिसकर्मियों की नियुक्ति हुई.
- कौशल सिंह ने खेत जोतकर पुलिस में भर्ती पाई.
- विपुल चौधरी ने ट्यूशन पढ़ाकर पुलिस में जगह बनाई.
गाजियाबाद- उत्तर प्रदेश में हाल ही में 60,244 पुलिसकर्मियों की नियुक्ति ने न केवल युवाओं को नई उम्मीद दी है, बल्कि कई संघर्षशील कहानियों को भी सामने लाया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लखनऊ में इन नव-नियुक्त कर्मियों को नियुक्ति पत्र सौंपे. इनमें कई ऐसे युवा हैं जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और अपने सपनों को साकार किया. गाजियाबाद के ट्रेनिंग सेंटर में पहुंचे कुछ युवाओं की कहानियां ऐसी हैं जो हर संघर्षरत युवा के लिए मिसाल हैं.
हाथरस जिले के कौशल सिंह एक किसान परिवार से आते हैं. उनके पिता की तबीयत अक्सर खराब रहती थी, ऐसे में कौशल ने खेत की जिम्मेदारी भी निभाई और भर्ती की तैयारी भी जारी रखी. दिन की शुरुआत हल चलाने और फसल काटने से होती थी, और फिर पढ़ाई. तीन वर्षों की अथक मेहनत के बाद जब चयन हुआ, तो पूरे गांव ने उनका स्वागत किया. लोकल 18 से बातचीत के दौरान कौशल बताते हैं कि लोग कहते थे बिना पैसे के पुलिस में भर्ती नहीं होती, लेकिन मैंने सिर्फ फॉर्म फीस दी और आज मेरी मेहनत रंग लाई है.
जिम्मेदारी और जज्बे की मिसाल
मथुरा के विपुल चौधरी न केवल अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले सदस्य हैं, बल्कि जिम्मेदारियों के बीच उन्होंने अपने सपनों को भी जिंदा रखा. सुबह बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर घर चलाना और फिर पढ़ाई करना उनकी दिनचर्या थी. विपुल कहते हैं कि मां ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया. अब पुलिस में भर्ती होकर मैं न सिर्फ अपने परिवार का सहारा बना, बल्कि समाज की सेवा करने का अवसर भी मिला है.
अलीगढ़ की काजल सिरोही ने साबित कर दिया कि लड़कियां भी खाकी वर्दी का सपना पूरा कर सकती हैं. घर के कामों और पढ़ाई के बीच उन्होंने फिजिकल की कठिन तैयारी की और पूरे अनुशासन के साथ अपने लक्ष्य को हासिल किया. काजल कहती हैं कि गांव में लड़कियों को लेकर सोच आज भी सीमित है, लेकिन मैंने ठान लिया था कि मुझे पुलिस में भर्ती होना है और आज वह सपना सच हुआ.
ये कहानियां सिर्फ सरकारी नौकरी पाने की नहीं हैं, ये कहानियां हैं विश्वास, मेहनत और आत्मबल की. ये युवा अब न केवल अपने परिवार की उम्मीद हैं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं.
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