कोटा का “साई बर्गर” आज संघर्ष, मेहनत और परिवार की एकजुटता की मिसाल बन चुका है. पिता के देहांत के बाद बड़े भाई बंटी ने 2005 में एक छोटा ठेला लगाकर परिवार की जिम्मेदारी उठाई. मां ने हर कदम पर साथ दिया और 10 साल का छोटा भाई रोहित भी स्कूल के बाद ठेले पर हाथ बंटाता था. आज स्टेशन के पास उनका बर्गर पॉइंट एक दिन में 1000 से ज्यादा बर्गर बेचता है. सस्ते दाम, देसी स्वाद और कड़ी मेहनत ने उन्हें कोटा की नई पहचान बना दिया है.
सफलता का यह अध्याय शुरू होता है बड़े भाई बंटी से. पिता के न रहने पर घर की सारी ज़िम्मेदारी उन पर आ गई. मां और छोटे भाई-बहनों का भविष्य संभालने के लिए उन्होंने 2005 में एक छोटा-सा ठेला लगाया. उनके पास न पैसा था, न साधन, लेकिन विश्वास अटूट था कि मेहनत ही भाग्य बदल सकती है. बंटी की मां हर कदम पर साथ रही. सुबह से रात तक सब्जियां काटना, मसाले तैयार करना और ठेले की देखभाल उन्होंने सब संभाला.
परिवार के लिए आसान नहीं था संघर्ष
घर की मुश्किलों के बीच रोहित, जो तब सिर्फ 10 साल का था, भी भाई के साथ ठेले पर काम करने लगा. स्कूल से लौटकर वह बन सेकता, पैकिंग करता और ग्राहकों से ऑर्डर लेता. आज वही रोहित अपने भाई के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साई बर्गर को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है. संघर्ष आसान नहीं था. कभी प्रशासन की कार्रवाई से ठेला हटवा दिया जाता, कभी पुलिस परेशान करती. लेकिन यह परिवार टूटना जानता ही नहीं. हर मुश्किल के बाद वे पहले से ज्यादा मज़बूती से खड़े हुए और ठेला फिर से सजाया.
पूरे शहर में फैलाना चाहते हैं साई बर्गर की फ्रैंचाइजी
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दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से News18 हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट…और पढ़ें


