
मैथ्स में कमजोर, इंग्लिश के मास्टर जैक मा
जैक की पढ़ाई की राह भी आसान नहीं थी. वो मैथ में बहुत कमजोर थे और कई बार स्कूल में फेल हुए. कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम में भी दो बार फेल हुए. तीसरी बार में उनका एडमिशन हांगझोउ टीचर्स इंस्टीट्यूट में हुआ, जहां से उन्होंने 1988 में इंग्लिश में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद भी उनकी स्ट्रगल खत्म नहीं हुई. उन्होंने हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल में 10 बार अप्लाई किया, लेकिन हर बार रिजेक्ट हो गए. उन्होंने मजाक में कहा था, “शायद एक दिन मैं वहीं पढ़ाने जाऊंगा.”
ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने जॉब सर्च करना शुरू किया, लेकिन हर जगह से उन्हें रिजेक्शन मिला. उन्होंने 30 से ज्यादा कंपनियों में अप्लाई किया, लेकिन सभी ने उन्हें मना कर दिया. चीन में जब KFC शुरू हुआ तो वैकेंसी निकाली गई. उसमें 24 लोगों ने अप्लाई किया, एक जैक मा भी थे. यह जानकार आपको हैरानी होगी कि 23 को रख लिया गया, लेकिन सिर्फ जैक मा को रिजेक्ट कर दिया. पुलिस और होटल जॉब के लिए भी उन्होंने अप्लाई किया, पर वहां भी “तुम ठीक नहीं हो” कहकर मना कर दिया गया. अंत में उन्हें हांगझोउ टीचर्स कॉलेज में इंग्लिश टीचर की जॉब मिली, जहां उन्हें हर महीने सिर्फ 12 डॉलर मिलते थे.
अमेरिका की बिजनेस ट्रिप ने बदला सबकुछ
जैक मा की रणनीति: सबसे पहले कस्टमर, फिर कर्मचारी, अंत में निवेशक
…लेकिन जैक मा ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने एक सिंपल स्ट्रैटेजी अपनाई- सबसे पहले कस्टमर, फिर एम्प्लॉयीज, और फिर इन्वेस्टर्स. उन्होंने ताओबाओ, अलीपे और टी-मॉल जैसे प्लेटफॉर्म्स लॉन्च किए, जिससे चाइना में ऑनलाइन शॉपिंग और डिजिटल पेमेंट की तस्वीर ही बदल गई. फिर 2000 में जापान की सॉफ्टबैंक के मासायोशी सॉन ने अलीबाबा में 20 मिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया, जिसने कंपनी की किस्मत पलट दी. यहां से काफी कुछ बदला और कंपनी चलने लगी.
2005 में याहू ने 1 बिलियन डॉलर लगाकर अलीबाबा में हिस्सेदारी खरीदी. जैक मा के हाथ लगातार सफलता लगती चली गई. एक के बाद एक मुकाम जुड़ते चले गए. फिर 2014 में अलीबाबा का आईपीओ न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में आया. वह उस समय का सबसे बड़ा आईपीओ था. इसने 21.8 बिलियन डॉलर जुटाए. आज अलीबाबा की वैल्यू 500 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा है और यह दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में शामिल है.
क्या है जैक मा की सफलता का राज
जैक मा की सक्सेस का राज उनकी पॉजिटिव थिंकिंग, कड़ी मेहनत और कभी न हार मानने वाले ऐटिट्यूड में छिपा है. उन्होंने कभी फेलियर को अपनी कमजोरी नहीं माना, बल्कि उससे सीखा. वे मानते हैं कि अच्छा लीडर वही होता है जो अपनी कमज़ोरियों को माने और उनसे बेहतर लोगों को साथ ले. उनका कहना है, “आज मेहनत करो, कल मुश्किल होगा, परसों धूप निकलेगी.”
जैक मा की नेटवर्थ
2025 तक उनकी नेटवर्थ 27.2 बिलियन डॉलर है. उनकी 70-80 फीसदी इनकम अलीबाबा ग्रुप से आती है, जिसमें उनकी 4 फीसदी हिस्सेदारी है. अलीबाबा ई-कॉमर्स, क्लाउड कंप्यूटिंग और डिजिटल पेमेंट्स जैसे सेक्टर्स में लीडर है. 15-20 फीसदी इनकम एंट ग्रुप (Ant Group) से आती है, जिसमें उनकी 9.9 फीसदी हिस्सेदारी है. बाकी इनकम यूनफेंग कैपिटल और दूसरे इन्वेस्टमेंट्स से है. 2020 में उनकी नेटवर्थ 61.7 बिलियन डॉलर थी, लेकिन चीन की गवर्नमेंट की पॉलिसीज़ की वजह से इसमें गिरावट आई.
जैक मा की लाइफ हमें सिखाती है कि सक्सेस के लिए न तो बड़े कॉलेज की डिग्री चाहिए, न पैसे और न ही रिश्तेदारों के कॉन्टैक्ट्स. जो चाहिए वो है- लगातार कोशिश, पॉजिटिव सोच और कभी हार न मानने का जज़्बा. जैक मा कहते हैं, “सपने वो नहीं होते जो नींद में आते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोने ही न दें.”
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