नई दिल्ली. मुंबई की तंग गलियों में दूध और स्टेशनरी का सामान बेचने वाले एक किशोर की कहानी आज दुनिया भर में प्रेरणा का स्रोत है. यह कहानी है रिजवान साजन की. यह भारतीय मूल के यूएई के सबसे अमीर बिजनेसमैन हैं, जिनकी नेट वर्थ करीब 18,000 करोड़ रुपये है. उन्होंने ने अपने दम पर डेन्यूब ग्रुप की स्थापना की, जो आज निर्माण सामग्री, रियल एस्टेट, और होम डेकोर के क्षेत्र में एक वैश्विक नाम है.
रिजवान साजन का जन्म मुंबई के घटकोपर में एक निम्न-मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ. उनके पिता नथानी स्टील प्राइवेट लिमिटेड में सुपरवाइजर थे और महीने में सिर्फ 7,000 रुपये कमाते थे, जिससे चार बच्चों का पालन-पोषण मुश्किल था. रिजवान, अपने तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े, रोज 7-8 किलोमीटर पैदल चलकर विद्या विहार स्कूल जाते थे. 16 साल की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ गया और परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई.
नहीं मानी हार
रिजवान ने हार नहीं मानी. उन्होंने गलियों में छोटी-मोटी चीजें बेचना शुरू किया. मसलन, किताबें, स्टेशनरी और यहां तक कि शाम को घर-घर दूध पहुंचाया. रिजवान ने गल्फ न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में खुद कहा था कि उस वक्त स्कूल की फीस और घर का खर्च चलाना बेहद मुश्किल था. उनकी मेहनत और चाचा की मदद ने उन्हें 1981 में 18 साल की उम्र में कुवैत में नौकरी का मौका दिलाया, जहां उन्होंने 18,000 रुपये की मासिक सैलरी पर सेल्स ट्रेनी के रूप में शुरुआत की.
खाड़ी युद्ध और नई शुरुआत
कुवैत में आठ साल तक मेहनत करने के बाद रिजवान सेल्स मैनेजर बन गए, लेकिन 1990 में सद्दाम हुसैन के कुवैत पर हमले ने उनकी जिंदगी को फिर से पटरी से उतार दिया. खाड़ी युद्ध के कारण उनकी सारी बचत खत्म हो गई और वह खाली हाथ मुंबई लौट आए. लेकिन रिजवान का जज्बा कम नहीं हुआ. उन्होंने दुबई में एक ब्रोकरेज कंपनी में नौकरी शुरू की, जो बिल्डिंग मटेरियल के बिजनेस में थी. इस दौरान उन्होंने बाजार को समझा और 1993 में अपनी कंपनी डेन्यूब ग्रुप की नींव रखी.
एक साम्राज्य का उदय
डेन्यूब ग्रुप की शुरुआत छोटे स्तर पर निर्माण सामग्री की आपूर्ति से हुई. रिजवान की दूरदर्शिता और बिजनेस कौशल ने कंपनी को जल्द ही यूएई के निर्माण उद्योग का प्रमुख सप्लायर बना दिया. आज डेन्यूब ग्रुप का टर्नओवर 1.3 अरब डॉलर (लगभग 10,800 करोड़ रुपये) से अधिक है. यह रियल एस्टेट, होम डेकोर, किचन सॉल्यूशंस, और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में सक्रिय है. कंपनी के प्रोजेक्ट्स दुबई के आलीशान टावरों से लेकर मिडिल ईस्ट के बड़े निर्माण कार्यों तक फैले हैं.
प्रेरणा का स्रोत
55 वर्षीय रिजवान साजन की कहानी सिर्फ सफलता की नहीं, बल्कि बार-बार गिरकर उठने की है. मुंबई की झुग्गियों से दुबई के अरबपतियों की सूची में शामिल होने तक, उन्होंने कभी अपने मूल्यों से समझौता नहीं किया. नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिजवान की मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें यूएई के सबसे अमीर भारतीय बिजनेसमैन बनाया. उनकी कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं.