
जब वाहन को चिह्नित किया जाएगा तो पेट्रोल पंप के कर्मचारियों को वाहन में फ्यूल न भरने के लिए सचेत किया जाएगा. इनफोर्समेंट टीम इसे तुरंत जब्त कर सकती है. जब्त होने से बचने के लिए वाहन मालिकों को एक अंडरटेकिंग देनी होगी कि इसका इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. ना ही इसे किसी सार्वजनिक स्थान पार्क किया जाएगा और इसे दिल्ली की सीमा से हटा दिया जाएगा. सभी जब्त वाहनों को रजिस्टर्ड वाहन स्क्रैपिंग सेंटर में भेजा जाएगा. ऐसे मामलों में जहां मालिक अपने वाहन को दिल्ली से बाहर ट्रांसफर करना चाहते हैं उन्हें वाहन की एक्सपायरी डेट के एक साल के भीतर नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) हासिल करना होगा.
इस योजना को एक नवंबर से दिल्ली के पांच नजदीकी जिलों तक फैलाया जाएगा, जहां वाहनों की संख्या बहुत ज्यादा है. एनसीआर के ये जिले हैं गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर (नोएडा और ग्रेटर नोएडा) और सोनीपत. इन जिलों में एएनपीआर (National Personnel Records Center) की स्थापना 31 अक्टूबर तक पूरी हो जाएगी. अन्य एनसीआर क्षेत्रों के पास सिस्टम स्थापित करने के लिए 31 मार्च, 2026 तक का समय है. इसके बाद 1 अप्रैल, 2026 से ईंधन प्रतिबंध लागू हो जाएगा.
क्या हैं एंड-ऑफ-लाइफ व्हीकल?
एंड-ऑफ-लाइफ व्हीकल (ईएलवी) ऐसे वाहन हैं जो अब सड़क पर चलने लायक या उपयोग करने लायक नहीं रह गए हैं और उनका उपयोगी जीवन समाप्त हो चुका है. ऐसा आमतौर पर उम्र, टूट-फूट या मरम्मत से परे क्षति के कारण होता है. ईएलवी वाहन प्रदूषण में सबसे ज्यादा योगदान देते हैं. ईएलवी में खतरनाक पदार्थों की उपस्थिति के कारण पर्यावरणीय खतरा उत्पन्न होता है. जो निम्नलिखित हैं- ईंधन और तेल, बैटरियां, ब्रेक तरल पदार्थ, कूलेंट, भारी धातुएं और प्लास्टिक.
ईएलवी के लिए क्या नियम हैं
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने 6 जनवरी को पर्यावरण संरक्षण (जीवन-काल समाप्त होने वाले वाहन) नियम, 2025 को अधिसूचित किया है ताकि ईएलवी वाहनों का पर्यावरण के अनुकूल प्रबंधन किया जा सके. ये नियम ईपीआर (Extended producer responsibility) के सिद्धांत पर आधारित हैं. जहां वाहनों के उत्पादकों को जीवन-काल समाप्त होने वाले वाहनों को नष्ट करने के लिए अनिवार्य ईपीआर लक्ष्य दिए जाते हैं. ये नियम कृषि ट्रैक्टर, कृषि ट्रेलर, कंबाइन हार्वेस्टर और पावर टिलर को छोड़कर सभी प्रकार के परिवहन और गैर-परिवहन वाहनों को कवर करते हैं.
देश भर में 84 स्क्रैपिंग सेंटर
परिवहन वाहनों के मामले में 15 साल पहले और गैर-परिवहन वाहनों के मामले में 20 साल पहले बाजार में उतारे गए वाहनों के लिए उत्पादकों को वर्ष 2025-26 से जीवन-अंत की स्थिति में वाहनों को नष्ट करने के लिए वार्षिक लक्ष्य प्रदान किए गए हैं. रजिस्टर्ड वाहन स्क्रैपिंग सेंटर (आरवीएसएफ) को स्क्रैपिंग के लिए अनुपयुक्त वाहनों या जीवन-अंत वाहनों को लाने, उनके डिपाल्यूटिंग, डिस्मेंटल करना, पुर्जों को अलग करना और स्क्रैपिंग गतिविधियों को पूरा करने का अधिकार दिया गया है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने पुराने, अनुपयुक्त और प्रदूषणकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने हेतु वाहन स्क्रैपिंग नीति तैयार की है. जनवरी 2025 तक देश में 84 आरवीएसएफ काम कर रहे थे.
क्या ये नियम पूरे देश में लागू हैं
नहीं पूरे देश में पुराने वाहनों (जिनकी समय सीमा पूरी हो चुकी है) के लिए एक समान नियम नहीं हैं. दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को चलाने पर प्रतिबंध है, जबकि अन्य राज्यों में अलग-अलग नियम हो सकते हैं. कुछ राज्य 15 साल से अधिक पुराने वाहनों के पुनः पंजीकरण की अनुमति देते हैं, जबकि कुछ राज्य स्क्रैपिंग (कबाड़) को प्रोत्साहित करते हैं. कुछ राज्यों में 15 साल से अधिक पुराने वाहनों को नए राज्य में फिर से रजिस्ट्रेशन के लिए स्थानांतरित किया जा सकता है, लेकिन यह एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है.
निजी वाहन: 20 साल पूरे होने के बाद फिटनेस टेस्ट कराना अनिवार्य है. यदि वाहन फिटनेस टेस्ट में विफल रहता है, तो उसे स्क्रैप कर दिया जाएगा.
फिटनेस टेस्ट: वाहन को मान्यता प्राप्त ऑटोमैटिक टेस्टिंग स्टेशनों पर फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा.
प्रोत्साहन: 1. पुराने वाहन को स्क्रैप करने पर नए वाहन की खरीद पर छूट (लगभग 5%) मिल सकती है.
2. नए वाहन की रजिस्ट्रेशन फीस में छूट.
3. राज्य सरकारों को निजी वाहनों के लिए रोड टैक्स में 25% तक और वाणिज्यिक वाहनों के लिए 15% तक की रियायत देने की सलाह दी गई है.
4. स्क्रैप यार्ड से प्राप्त स्क्रैप वैल्यू भी मिलती है.
प्रक्रिया: वाहन को रजिस्टर्ड वाहन स्क्रैपिंग सुविधा (RVSF) पर ले जाया जाता है, जहां उसका सत्यापन और स्क्रैपिंग की जाती है. जिसके बाद एक स्क्रैपिंग प्रमाण पत्र जारी किया जाता है.
NOC लेकर दूसरे राज्य में ट्रांसफर: दिल्ली-एनसीआर में अपने जीवनकाल को पूरा कर चुके वाहनों को यदि वे अन्य राज्यों में वैध हैं जहां ऐसे कठोर नियम नहीं हैं. उन्हें NOC प्राप्त करके दूसरे राज्य में ट्रांसफर किया जा सकता है.
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