
क्या आपने कभी सोचा है कि कोई व्यक्ति जो वॉल स्ट्रीट जैसी जगह पर 6 फिगर की सैलरी वाली नौकरी करता हो, वह सब कुछ छोड़कर घर से ऑनलाइन ट्यूटर बन जाए? और वह भी 86,000 रुपये प्रति घंटा की कमाई के साथ? स्टीवन मैनकिंग (Steven Menking) ने ऐसा ही किया. एक समय के सफल इक्विटी ट्रेडर ने 2014 में अपना करियर पूरी तरह बदल दिया, कारण था अपने रोज के लाइफस्टाइल से थक जाना.
पढ़ाने में मिला सुकून और पहचान
स्टीवन ने जब वॉल स्ट्रीट की नौकरी छोड़ी, तब उन्होंने ट्यूटरिंग को सिर्फ एक ‘ब्रिज’ की तरह सोचा था. लेकिन समय के साथ, उन्होंने इसे एक हाई-वैल्यू फ्रीलांस बिजनेस में बदल दिया. अब वे हर हफ्ते लगभग 20 से 25 घंटे पढ़ाते हैं, और उनका रेट है 1,000 डॉलर यानी 86,800 रुपये प्रति घंटा है. वो न सिर्फ स्टूडेंट्स, बल्कि यंग प्रोफेशनल्स को भी कोच करते हैं. करियर प्लानिंग से लेकर लाइफ डिसीजन तक सब जगह उनकी सलाह की कीमत है. अपने इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि शुरुआत में उन्होंने 50 डॉलर से 100 डॉलर प्रति घंटे चार्ज किया. फिर उन्होंने स्मार्ट पार्टनरशिप्स और डायनेमिक प्लेटफॉर्म्स जैसे Wyzant और NYC की एजेंसियों से जुड़कर अपने रेट्स को बढ़ाया.
टाइटल नहीं, जुनून मायने रखता है
CNBC Make It से बातचीत करते हुए स्टीवन कहते हैं कि इस बदलाव में सबसे बड़ा चैलेंज पैसे का नहीं, बल्कि सोच को बदलने का था. उन्होंने कहा, “मैं हमेशा सोचता था कि अगर मैं फाइनेंस का आदमी हूं, तो अगली नौकरी भी फाइनेंस में ही होनी चाहिए.”
उन्होंने बताया कि समाज, दोस्त और परिवार क्या सोचेंगे, इस डर से बाहर निकलना असली आज़ादी थी.
स्टीवन कहते हैं कि जब आप कुछ नया शुरू करते हैं, तो आपको न सिर्फ स्किल्स बदलनी होती हैं, बल्कि अपनी सोच भी पूरी तरह से रीसेट करनी होती है.
क्या लोग क्या कहेंगे? छोड़िए!
स्टीवन का साफ संदेश है कि लोगों को खुश करने के लिए करियर न चुनिए. बल्कि खुद से पूछिए, आपको असल में क्या करना पसंद है? किस काम से आप दिन भर के बाद भी खुद को ज़िंदा महसूस करते हैं? उनका मानना है कि सच्चा फुलफिलमेंट वहीं से आता है, जहां पैसा, पहचान और पैशन एक साथ मिलते हैं.
नई राहें, नई ऊंचाइयां
स्टीवन मैनकिंग की कहानी एक बड़ी सीख देती है कि आज के जमाने में करियर का मतलब सिर्फ एक जॉब टाइटल नहीं, बल्कि खुद की पहचान बनाना है. उन्होंने जो रास्ता चुना, वह शायद पारंपरिक नहीं था, लेकिन अब वह न सिर्फ आर्थिक रूप से सफल हैं, बल्कि अंदर से भी संतुष्ट हैं. तो अगर आप भी कहीं फंसे हुए महसूस करते हैं, तो याद रखिए, कभी-कभी “शुरू से शुरू करना ही असली प्रगति” होती है.
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