

पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि जाति जनगणना को लेकर कुछ शिकायतें मिली हैं। सर्वेक्षण हुए 10 साल हो गए हैं और यह पुराना है। इस संदर्भ में पार्टी नेताओं ने सुझाव दिया है कि थोड़े समय में फिर से जनगणना कराई जाए। हम रिपोर्ट को खारिज नहीं करेंगे। रिपोर्ट को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है।
कंथराज आयोग की रिपोर्ट पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के फैसले से अपनी निराशा के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “हम पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा तय किए गए अनुसार कार्रवाई करेंगे। यह हमारा फैसला नहीं है।” इससे पहले 10 जून को कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा था कि आंकड़ों की पवित्रता पर विभिन्न समुदायों के संदेह को दूर करने के लिए जाति जनगणना फिर से की जाएगी।
उन्होंने मीडिया से कहा, “पहले की जाति जनगणना के आंकड़ों की सटीकता और कुछ समुदायों के कम प्रतिनिधित्व की चिंताओं को दूर करने का फैसला किया गया है। एक बार फिर घर-घर जाकर और ऑनलाइन सर्वेक्षण के जरिए डेटा एकत्र किया जाएगा। पूरी प्रक्रिया बेहद पारदर्शी तरीके से की जाएगी।” शिवकुमार ने कहा, “एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, एआईसीसी महासचिव के सी वेणुगोपाल और रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सीएम और मुझसे पार्टी संगठन, राज्य की राजनीति और भगदड़ की घटना सहित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।”
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