
Sholay: ‘शोले’ हिंदी सिनेमा की क्लासिक फिल्म है. रमेश सिप्पी की इस फिल्म के गानों से लेकर डायलॉग्स तक आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं. वहीं इस शानदार फिल्म का नया वर्जन इटली के फिल्म फेस्टिवल में रिलीज किया गया है.. जिसका क्लाइमेक्स दर्शकों को हैरान कर देगा. निर्देशक रमेश सिप्पी के भतीजे शहजाद सिप्पी ने कहा कि उन्होंने फिल्म के नए वर्जन में छह मिनट के सीन और जोड़े हैं जिसमें फिल्म का रियल एंड भी शामिल है जब गब्बर सिंह की मौत हो जाती है.
वहीं साल 1975 में आयी इस फिल्म के ओरिजनल वर्जन में एंड में संजीव कुमार द्वारा निभाया गया ठाकुर का किरदार गब्बर की हत्या करके अपना बदला ले लेता है, लेकिन आपातकाल के दौरान सेंसर बोर्ड ने इस सीन में बदलाव कर दिए थे. तब रिलीज हुई फिल्म में ठाकुर घायल गब्बर को छोड़ देता है और पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती है.
इमरजेंसी के दौरान क्यों बदला गया था शोले का क्लाइमेक्स
वहीं शहजाद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था. उस समय सेंसर बोर्ड ने तीन-चार सीन्स को मंजूरी नहीं दी थी जिसमें गब्बर सिंह की मौत वाला एंड भी शामिल है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘फिल्म में ठाकुर तब एक आम नागरिक था और पुलिस अधिकारी के तौर पर सेवानिवृत्त हो चुका था तो उस वक्त सरकार नहीं चाहती थी कि कोई आम नागरिक कानून अपने हाथ में ले.’’
शोले का नया वर्जन ओरिजनल से 6 मिनट ज्यादा है लंबा
अब 50 साल बाद ओरिजनल सीन और फिल्म से हटाए गए अन्य अनदेखे सीन नए वर्जन में शामिल किए गए हैं, जिसे इटली के बोलोग्ना में सिनेमा रिट्रोवेटो फेस्टीवल में दिखाया जाएगा. फिल्म के नए वर्जन पर काम करने वाले शहजाद ने कहा कि नया वर्जन 15 अगस्त 1975 में सिनेमाघरों में रिलीज फिल्म से छह मिनट ज्यादा लंबा है.
अनकट वर्जन में रिलीज होगी शोले
उन्होंने कहा, ‘‘इस बार कुछ एडीशनल सीन्स होंगे. हम इसे सीक्रेट रखना चाहते हैं… हमने ओरिजनल सीन्स के साथ जहां तक पॉसिबल हो काम करने की कोशिश की है और कुछ भी नहीं काटा है.’ ‘शोले’’ के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इसकी स्क्रीनिंग 27 जून को खुले आसमान के नीचे पियाजा मैगीगोर में होगी. फिल्म में अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी और जया बच्चन ने अभिनय किया था. जय, वीरू, बसंती और ठाकुर जैसे फेमस किरदारों के साथ-साथ हिंदी सिनेमा के आइकॉनिक खलनायकों में से एक गब्बर सिंह और भरपूर संवादों और एक्शन सीन के कारण यह फिल्म भारतीय फिल्म संस्कृति का अभिन्न अंग मानी जाती है.
क्या सिनेमाघरों में रिलीज होगा शोले का नया वर्जन?
फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन और सिप्पी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड ने तीन साल तक इसके नए वर्जन पर काम किया है.शहजाद सिप्पी ने कहा कि इस नए वर्जन को सिनेमाघरों में रिलीज करने के बारे में अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है.
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