
- Hindi News
- National
- Shiv Sena MNS Alliance Update; Raj Thackeray | Uddhav Thackeray Sanjay Raut
- कॉपी लिंक

मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संजय राउत ने शिवसेना-मनसे के गठबंधन पर अपनी बात रखी।
शिवसेना UBT और मनसे गठबंधन की चर्चा पर राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) एक कदम आगे या पीछे भी बढ़ाने को तैयार है और इसमें कोई राजनीतिक अहंकार नहीं है।
संजय ने कहा मराठी मानुस (मराठी भाषी लोगों) के फायदे के लिए और मुंबई पर अपना दावा फिर से सुनिश्चित करने के लिए जो भी संभव होगा, शिवसेना वह सब करेगी।
दरअसल, अलग-थलग पड़े चचेरे भाई उद्धव और राज के बयानों ने सुलह की अटकलों को हवा दी है। जिससे यह लगने लगा है कि वे मामूली मुद्दों को नजरअंदाज करके, दो दशक बाद हाथ मिला सकते हैं।
राज ठाकरे ने 2006 में शिवसेना से अलग होकर मनसे बनाई थी। महाराष्ट्र में इस साल सितंबर तक निकाय चुनावों होने की संभावना है। 2024 विधानसभा चुनावों में शिवसेना (यूबीटी) और मनसे के खराब प्रदर्शन के चलते दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की चर्चा तेज है।

तस्वीर 24 फरवरी 2025 की है, जब राज और उद्धव एक शादी में साथ नजर आए थे।
मनसे चीफ राज ठाकरे ने कहा था कि मराठी मानुष के हित में एकजुट होना मुश्किल नहीं है। वहीं उद्धव ने भी कहा था कि वह छोटी-मोटी लड़ाइयों को किनारे रखने तैयार हैं, बशर्ते महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को शामिल न किया जाए।
शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने भी सोमवार को कहा था कि उनकी पार्टी किसी भी ऐसे संगठन के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार है जो मुंबई, महाराष्ट्र और मराठी भाषी लोगों के लिए साफ दिल और दिमाग से काम करना चाहता है।
मनसे नेता बोले- उद्धव ने एक कदम बढ़ाया तो राज 100 कदम बढ़ाएंगे
मनसे प्रवक्ता और मुंबई यूनिट के अध्यक्ष संदीप देशपांडे ने गठबंधन को लेकर कहा कि शिवसेना (यूबीटी) को पहले राज ठाकरे को औपचारिक प्रस्ताव भेजना चाहिए या कम से कम फोन करके गठबंधन की संभावना पर चर्चा करनी चाहिए।
मनसे ठाणे शहर के अध्यक्ष अविनाश जाधव ने कहा, ‘गठबंधन कैमरों के सामने नहीं होते। शिवसेना (यूबीटी) को गठबंधन पर विचार के लिए मनसे को औपचारिक प्रस्ताव भेजना चाहिए। अगर उद्धव ठाकरे एक कदम आगे बढ़ाते हैं, तो राज 100 कदम आगे बढ़ाएंगे।’

2003 में महाबलेश्वर में पार्टी का अधिवेशन हुआ। यहां बाला साहेब ठाकरे ने राज से कहा कि उद्धव को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष अनाउंस करो।
जानिए राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच फूट कैसे पड़ी
1989 से राजनीति में सक्रिय हैं राज ठाकरे : 1989 में राज ठाकरे 21 साल की उम्र में शिवसेना की स्टूडेंट विंग, भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष थे। राज इतने सक्रिय थे कि 1989 से लेकर 1995 तक 6 साल के भीतर उन्होंने महाराष्ट्र के कोने-कोने के अनगिनत दौरे कर डाले। 1993 तक उन्होंने लाखों की तादाद में युवा अपने और शिवसेना के साथ जोड़ लिए। इसका नतीजा ये हुआ कि पूरे राज्य में शिवसेना का तगड़ा जमीनी नेटवर्क खड़ा हो गया।
2005 में शिवसेना पर उद्धव हावी होने लगे : 2002 तक राज ठाकरे और उद्धव शिवसेना को संभाल रहे थे। 2003 में महाबलेश्वर में पार्टी का अधिवेशन हुआ। बालासाहेब ठाकरे ने राज से कहा- ‘उद्धव को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाओ। राज ने पूछा, ‘मेरा और मेरे लोगों का क्या होगा।’ 2005 तक उद्धव पार्टी पर हावी होने लगे थे। पार्टी के हर फैसले में उनका असर दिखने लगा था। ये बात राज ठाकरे को अच्छी नहीं लगी।
राज ठाकरे ने पार्टी छोड़ी, MNS का ऐलान किया : 27 नवंबर 2005 को राज ठाकरे के घर के बाहर हजारों समर्थकों की भीड़ इकट्ठा हुई। यहां राज ने समर्थकों से कहा, ‘मेरा झगड़ा मेरे विट्ठल (भगवान विठोबा) के साथ नहीं है, बल्कि उसके आसपास के पुजारियों के साथ है। कुछ लोग हैं, जो राजनीति की ABC को नहीं समझते हैं। इसलिए मैं शिवसेना के नेता के पद से इस्तीफा दे रहा हूं। बालासाहेब ठाकरे मेरे भगवान थे, हैं और रहेंगे।’
9 मार्च 2006 को शिवाजी पार्क में राज ठाकरे ने अपनी पार्टी ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ यानी मनसे का ऐलान कर दिया। राज ने मनसे को ‘मराठी मानुस की पार्टी’ बताया और कहा- यही पार्टी महाराष्ट्र पर राज करेगी।
———————————————–
ठाकरे परिवार से जुड़ी ये खबर पढ़ें…
मुस्लिमों को ‘हरा जहर’ कहते थे बाल ठाकरे:बेटे को पार्टी सौंपी तो भतीजे ने बगावत की, शिंदे ने कैसे छीनी शिवसेना

शिवसेना पार्टी शुरू हुए अभी साल भर बीता था। इसके टॉप लीडर थे बालासाहेब ठाकरे। बलवंत मंत्री को पार्टी का दूसरा बड़ा नेता माना जाने लगा था। शिवसेना के तमाम बड़े मंचों पर बाल ठाकरे के साथ बलवंत मंत्री जरूर दिखते थे। हालांकि, दोनों नेताओं में कुछ मतभेद होने लगे थे। पूरी खबर पढ़ें..
Discover more from हिंदी न्यूज़ ब्लॉग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.