नई दिल्ली. डेरिवेटिव ट्रेडिंग की दुनिया में एक बड़ा बदलाव हुआ है. 16 जून 2025 को सेबी (SEBI) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) को उनके नए फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) एक्सपायरी डे के लिए मंजूरी दे दी है. अब NSE पर नए डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स की एक्सपायरी मंगलवार को होगी, जबकि BSE पर ये गुरुवार को समाप्त होंगे. मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज (MSE) को भी मंगलवार का दिन अलॉट किया गया है, हालांकि वहां डेरिवेटिव ट्रेडिंग अभी शुरू नहीं हुई है.
इस बदलाव के तहत 31 अगस्त 2025 तक के मौजूदा डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स अपनी पुरानी एक्सपायरी डेट पर ही रहेंगे. लेकिन 1 सितंबर 2025 के बाद से जारी होने वाले नए कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए NSE पर मंगलवार और BSE पर गुरुवार को एक्सपायरी डेट मानी जाएगी. लॉन्ग-टर्म इंडेक्स ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स की डेट्स भी नए शेड्यूल के हिसाब से रियलाइन की जाएंगी.
क्यों किया गया बदलाव?
यह फैसला सेबी की सेकेंडरी मार्केट एडवाइजरी कमेटी (SMAC) की सिफारिशों और 27 मार्च 2025 को जारी किए गए ड्राफ्ट सर्कुलर के आधार पर लिया गया है. सेबी चेयरमैन तुहिन कांता पांडे ने 22 मई को इस बदलाव का संकेत दिया था. मार्केट में इस फैसले को लेकर अलग-अलग रणनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. NSE की ओर से एक्सपायरी को मंगलवार शिफ्ट करने की कोशिश काफी समय से चल रही थी. मार्च 2025 में एक्सचेंज ने पहले सोमवार की मांग की थी, लेकिन अब उसे मंगलवार मिल गया है. एक स्टॉक ब्रोकिंग इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने कहा, “NSE को जो चाहिए था, वही मिला — एक एक्स्ट्रा दिन का फायदा.”
इसका असर ट्रेडर्स पर
मंगलवार की एक्सपायरी ऑप्शन खरीदारों के लिए मंगलवार की एक्सपायरी थोड़ा अनुकूल नहीं मानी जाती क्योंकि वीकेंड पर “टाइम डीके” यानी ऑप्शन की वैल्यू गिरने का जोखिम बढ़ जाता है. इसलिए अधिकतर ट्रेडर्स शुक्रवार से पहले अपनी पोजिशन काट लेते हैं, जिससे सप्ताह की शुरुआत में ट्रेडिंग वॉल्यूम तेज हो सकता है.
गुरुवार की एक्सपायरी (BSE)
BSE के गुरुवार वाले मॉडल को पोजिशनल ट्रेडर्स के लिए बेहतर माना जा रहा है. इंडिया चार्ट्स के फाउंडर रोहित श्रीवास्तव के मुताबिक, “गुरुवार को एक्सपायरी होने से ट्रेडर्स बिना वीकेंड के रिस्क के पोजिशन कुछ दिनों तक होल्ड कर सकते हैं.”
NSE और BSE की रणनीति
NSE दुनिया का सबसे बड़ा डेरिवेटिव एक्सचेंज NSE इस बदलाव के ज़रिए BSE से खोई हुई मार्केट हिस्सेदारी वापस पाना चाहता है. सेबी की गाइडलाइंस के चलते डेरिवेटिव ट्रेडिंग पर कंट्रोल बढ़ रहा है, और मंगलवार को एक्सपायरी शिफ्ट करने से NSE को ट्रेडिंग शेड्यूल ऑप्टिमाइज़ करने में मदद मिलेगी.
BSE
FY25 में BSE ने Sensex डेरिवेटिव्स के ज़रिए तेज़ ग्रोथ दर्ज की है. मार्च तिमाही में डेली प्रीमियम टर्नओवर ₹11,782 करोड़ तक पहुंच गया. एक्सचेंज की स्ट्रैटजी गुरुवार की एक्सपायरी से पोजिशनल ट्रेडर्स को आकर्षित करने की है.
MSE हालांकि मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ने अब तक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स शुरू नहीं किए हैं, लेकिन उसे मंगलवार की एक्सपायरी की मंजूरी मिल गई है. इससे उसे भविष्य में NSE के मुकाबले सीधे मुकाबले का मौका मिलेगा.