नई दिल्ली. आज शेयर मार्केट ने लोगों को चौंका दिया. दोपहर बाद जब मार्केट बंद हुआ तो सेंसेक्स 212 अंक गिरकर 81,583.30 अंकों पर आ गया था. निफ्टी का भी यही हाल था. 50 शेयरों वाला निफ्टी 93.10 अंक गिरकर 24,853.40 पहुंच गया. आपको इसमें भले कुछ असामान्य न दिखे लेकिन अब जो हम आपको बताएंगे वह आपको हैरान कर देगा. दरअसल, आज मार्केट में विदेशी संस्थागत निवेशक (FII/FPI) और घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) दोनों ही नेट बायर्स थे. यानी बाजार की दिशा तय करने के वाले 2 सबसे बड़े फैक्टर बाजार के समर्थन में थे.
विदेशी और घरेलू निवेशकों ने मिलकर ₹9,700 करोड़ से ज्यादा की नेट खरीदारी की. DII यानी घरेलू संस्थागत निवेशकों ने ₹8,207 करोड़ और FII यानी विदेशी निवेशकों ने ₹1,483 करोड़ की शुद्ध खरीद की. आमतौर पर माना जाता है कि संस्थागत निवेशक जब बाजार में खरीदारी करते हैं, तो बाजार को सपोर्ट मिलता है. लेकिन मौजूदा हालात में ऐसा नहीं हुआ, जिससे यह सवाल उठता है कि जब DIIs और FIIs दोनों खरीदारी कर रहे हैं, तो फिर बाजार क्यों गिरा? इसके पीछे कुछ संभावित कारण हैं. आइए जानते हैं.
क्या हो सकती है वजह
1. विशेषज्ञों के मुताबिक, इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं. सबसे पहले, रिटेल निवेशकों का पैनिक सेलिंग में आ जाना एक बड़ी वजह हो सकती है. बाजार में अचानक आई गिरावट से घबराकर आम निवेशक बड़ी संख्या में अपने शेयर बेचते हैं, जिससे बिकवाली का दबाव बढ़ जाता है और संस्थागत खरीदारी के बावजूद बाजार टूटने लगता है.
2. दूसरा कारण यह हो सकता है कि FIIs और DIIs की खरीदारी कुछ चुनिंदा सेक्टर्स में सीमित हो, जैसे कि FMCG या फार्मा, जबकि बाकी सेक्टरों—जैसे मिडकैप या स्मॉलकैप—में बिकवाली का दबाव बना हुआ हो. इस तरह की असमान भागीदारी से भी बाजार का मूड नेगेटिव हो सकता है.
3. इसके अलावा डेरिवेटिव मार्केट से जुड़े तकनीकी कारक भी गिरावट को बढ़ावा दे सकते हैं. फ्यूचर्स और ऑप्शंस की पोजिशन में भारी अनवाइंडिंग बाजार में अस्थिरता ला सकती है, भले ही कैश मार्केट में खरीदारी हो रही हो.
4. वैश्विक स्तर पर आर्थिक या राजनीतिक अनिश्चितता भी एक बड़ा फैक्टर हो सकती है. भले ही घरेलू निवेशक खरीदारी कर रहे हों, लेकिन अगर वैश्विक बाजारों में डर का माहौल है, तो उसका असर भारतीय बाजारों पर भी दिखाई देता है.
5. कई बार बाजार बहुत ऊंचे वैल्यूएशन पर ट्रेड कर रहा होता है और किसी भी निगेटिव संकेत से मुनाफावसूली शुरू हो जाती है. ऐसे में संस्थागत निवेशकों की खरीदारी भी गिरावट को रोक नहीं पाती. इसके अलावा, अगर इंडेक्स में शामिल कुछ बड़े स्टॉक्स में गिरावट आती है, तो वो पूरे बाजार को नीचे खींच सकते हैं, भले ही बाकी शेयर स्थिर हों.
और भी फैक्टर्स रखते हैं मायने
कुल मिलाकर, बाजार की दिशा सिर्फ संस्थागत निवेश पर नहीं, बल्कि कई दूसरे फैक्टर्स पर भी निर्भर करती है. यही वजह है कि खरीदारी के बावजूद गिरावट संभव है, और निवेशकों को ऐसे समय में धैर्य के साथ हालात को समझने की जरूरत होती है.
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