आज 17 जून को ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध का पांचवें दिन है. भारत से हजारों मील दूर इस टेंशन के बीच भारत के डिफेंस सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में तेज़ी देखी गई. इस कारण निफ्टी डिफेंस इंडेक्स 1.3 फीसदी बढ़कर लगभग 8,982 तक पहुंच गया. मझगांव डॉक, भारत डायनामिक्स समेत इस सेक्टर के कई शेयरों में 5 फीसदी तक की रैली देखने को मिली. दरअसल, निवेशकों को उम्मीद है कि देश में डिफेंस से जुड़ी कंपनियों को नए ऑर्डर मिलने की संभावना बढ़ गई है, जिससे उनके मुनाफे में इज़ाफा हो सकता है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी भारत के डिफेंस सेक्टर में अच्छा-खासा उछाल देखने को मिला था. तो क्या यह डिफेंस सेक्टर के शेयर खरीदने का सही समय है?
पिछले महीने भारत ने पाकिस्तान के आतंकी संगठनों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत टारगेटेड हमले किए थे, जिसके बाद भारतीय रक्षा कंपनियों के शेयरों में तेज़ी देखने को मिली थी. हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम हो गया है, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध अब भी जारी है, जिससे ग्लोबल डिफेंस मार्केट में हलचल बनी हुई है. अब ईरान और इज़राइल के बीच टकराव और बढ़ने से एक बार फिर डिफेंस सेक्टर के शेयरों में उछाल आया है.
किन कंपनियों में करना चाहिए निवेश
मनीकंट्रोल की एक खबर के मुताबिक, रेलिगेयर ब्रोकिंग के रिसर्च हेड अजित मिश्रा का कहना है कि डिफेंस स्टॉक्स में हाल ही में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद जबरदस्त तेजी आई, फिर मुनाफा वसूली हुई, और अब मिडिल ईस्ट के तनाव के कारण फिर से तेजी है. ये दिखाता है कि इसमें शॉर्ट-टर्म मूवमेंट के साथ-साथ लॉन्ग टर्म की संभावनाएं भी बनी हुई हैं. भारत की जीडीपी का सिर्फ 1.9 फीसदी ही रक्षा क्षेत्र में खर्च होता है, जिससे आने वाले समय में इसमें बढ़ोतरी की काफी संभावना है.
मिश्रा ने ये भी कहा कि इतने तेज़ी से बढ़ने के बाद अब कीमतें थोड़ी ज्यादा हो गई हैं, जिससे निकट भविष्य में शेयरों में उतार-चढ़ाव हो सकता है. इसलिए निवेशकों को उन कंपनियों में निवेश करना चाहिए जिनके पास अच्छी ऑर्डर बुक, अच्छी फाइनेंशियल स्थिति और ठोस काम करने की क्षमता हो. लंबी अवधि के नजरिए से भारत का रक्षा क्षेत्र मजबूत दिखाई देता है, खासकर इस अनिश्चित ग्लोबल माहौल में.
मझगांव, डेटा पैटर्न्स में तेजी
कई प्रमुख डिफेंस कंपनियों के शेयरों में भी बढ़त देखी गई. मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स के शेयर करीब 5 फीसदी बढ़कर 3,322 रुपये तक पहुंच गए. डेटा पैटर्न्स 2.5 फीसदी चढ़कर 3,035 रुपये पर पहुंच गया. गार्डन रीच शिपबिल्डर्स, भारत डायनामिक्स और कोचीन शिपयार्ड के शेयरों में भी 2 फीसदी से अधिक की तेजी आई. डीसीएक्स इंडिया, पारस डिफेंस और बीईएमएल ने 1 फीसदी से अधिक की बढ़त दर्ज की. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, सोलर इंडस्ट्रीज, सायंट डीएलएम, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और एस्ट्रा माइक्रोवेव जैसे स्टॉक्स भी हल्की बढ़त में रहे. हालांकि ज़ेन टेक्नोलॉजीज जैसे कुछ शेयरों में मामूली गिरावट भी दर्ज की गई.
इज़राइल vs ईरान: दोनों तरफ भारी नुकसान
इज़राइल और ईरान के बीच मिसाइल हमलों में दोनों तरफ जानमाल का भारी नुकसान हो रहा है. इस बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के लोगों को तेहरान छोड़ने की सलाह दी है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर कहा कि ईरान को पहले ही उस समझौते पर हस्ताक्षर कर देना चाहिए था, जिसके लिए उन्होंने कहा था. ट्रंप ने साफ कहा कि ईरान को किसी भी हालत में परमाणु हथियार नहीं मिलना चाहिए.
इस स्थिति से मिडिल ईस्ट में तनाव और बढ़ने की आशंका है, खासकर जब अमेरिकी राष्ट्रपति संभावित सैन्य कार्रवाई की ओर इशारा कर रहे हों. हालांकि फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि ट्रंप G7 समिट से जल्द वापस लौटे, ताकि युद्धविराम की बात की जा सके, लेकिन ट्रंप ने इसे नकार दिया.
डिफेंस स्टॉक्स में कितनी संभावनाएं?
इन सबके बीच एक्सपर्ट्स का मानना है कि डिफेंस स्टॉक्स में संभावनाएं बनी रहेंगी. इंफोमेरिक्स वैल्यूएशन एंड रेटिंग्स के अर्थशास्त्री संखनाथ बंदोपाध्याय का कहना है कि भारत सरकार आने वाले वर्षों में रक्षा बजट को जीडीपी के मौजूदा 2 फीसदी से बढ़ाकर 3-4 फीसदी तक कर सकती है और 25,000 करोड़ रुपये के डिफेंस एक्सपोर्ट का लक्ष्य रखा गया है. उनका कहना है कि निर्यात केंद्रित डिफेंस कंपनियों में लॉन्ग टर्म ग्रोथ की अच्छी संभावना है, लेकिन निवेश से पहले उनकी वित्तीय स्थिति और भविष्य की योजनाएं अच्छे से जांच लेनी चाहिए.
GoalFi के फाउंडर रॉबिन आर्य का मानना है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद शेयरों की कीमतें तो काफी बढ़ गई हैं, लेकिन फिर भी निवेशक चुनिंदा डिफेंस स्टॉक्स पर ध्यान दे सकते हैं. मई में निफ्टी डिफेंस इंडेक्स में 18 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई, जिससे निवेशकों को करीब 1.8 लाख करोड़ रुपये का फायदा हुआ. ये तेजी 16 लाख करोड़ रुपये की घरेलू डिफेंस खरीद योजनाओं और 3 लाख करोड़ रुपये के निर्यात लक्ष्य के बल पर है. लॉन्ग टर्म में बेहतर एक्सिक्यूशन और ग्लोबल डिमांड के चलते कुछ डिफेंस कंपनियों में निवेश उचित माना जा सकता है.
(Disclaimer: यह खबर एक्सपर्ट्स के विचारों और एनालिसिस के आधार पर प्रकाशित की गई है. इस जानकारी के आधार पर कोई भी फैसला लेने से पहले अपने सर्टिफाइड इनवेस्टमेंट एडवायजर से परामर्श लें. आपके किसी भी तरह के लाभ या हानि के लिए News18 जिम्मेदार नहीं होगा.)