नई दिल्ली. भारतय शेयर बाजार से साल 2025 में विदेशी निवेशकों ने अब तक 1.01 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं. अच्छी-खासी निकासी के बावजूद भी सेंसेक्स इस साल अब तक 5 फीसदी मजबूत हुआ है. भारतीय बाजार एफपीआई द्वारा बड़े पैमाने पर निकासी के बावजूद भी अगर डटकर खड़ा है क्योंकि घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs) बाजार में जमकर पैसा डाल रहे हैं. डीआईआई ने इस साल अब तक भारतीय शेयर बाजार में 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है. यह 2007 के बाद अब तक का दूसरा सबसे बड़ा सालाना निवेश है. खास बात यह है कि इस साल के शुरुआती छह महीने में हुआ यह निवेश अब तक के सभी हाफ ईयर में सबसे ज्यादा रहा है.
साल की शुरुआत में DIIs के निवेश की रफ्तार थोड़ी सुस्त रही थी. मार्च और अप्रैल के महीनों में निवेश प्रवाह धीमा पड़ा था. लेकिन मई में इसमें जोरदार वापसी देखने को मिली. इस महीने में DIIs ने कुल 66,000 करोड़ रुपये का निवेश किया. इसके बाद जून में भी अब तक करीब 29,000 करोड़ रुपये की खरीदारी घरेलू संस्थागत निवेशक कर चुके हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि मई-जून के दौरान ब्लॉक डील्स में आई तेजी के चलते निवेश प्रवाह में बड़ा उछाल आया. इससे बाजार में तरलता बढ़ी और समग्र बाजार धारणा में भी सुधार हुआ.
2024 में बना था रिकॉर्ड
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर पिछले वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2024 में DIIs ने रिकॉर्ड 5.23 लाख करोड़ रुपये का निवेश भारतीय शेयर बाजारों में किया था, जो अब तक का सबसे बड़ा एक वर्षीय निवेश है. इसके मुकाबले 2023 में यह आंकड़ा 1.82 लाख करोड़ रुपये और 2022 में 2.76 लाख करोड़ रुपये रहा था. यह साफ है कि बीते कुछ वर्षों में घरेलू संस्थागत निवेशकों की भूमिका बाजार में स्थिरता बनाए रखने में लगातार बढ़ती गई है.
जब-जब कमजोर हुआ बाजार, डीआईआई बने खेवनहार
बाजार में जब-जब अनिश्चितता का माहौल बनता है, तब-तब DIIs एक स्थिर निवेशक शक्ति के रूप में उभरते हैं और गिरावट के समय सप्लाई को सक्रिय रूप से सोखने का काम करते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि मई में आई DIIs की आक्रामक खरीदारी भारत की कॉरपोरेट आय को लेकर उनके लगातार मजबूत विश्वास को दर्शाती है.
म्यूचुअल फंड्स की अहम भूमिका
DIIs में सबसे ज्यादा योगदान इस साल भी म्यूचुअल फंड्स ने दिया है. उन्होंने अब तक 1.98 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी भारतीय इक्विटी में की है. विशेषज्ञों के मुताबिक, सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) से अब हर महीने 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का प्रवाह हो रहा है. इससे यह भी साबित होता है कि रिटेल निवेशकों का भारत की दीर्घकालिक विकास क्षमता पर भरोसा लगातार बढ़ रहा है.
दूसरी ओर, बैंकों ने इस साल अब तक शुद्ध बिकवाली की है. उन्होंने करीब 9,450 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. वहीं बीमा कंपनियों ने 42,220 करोड़ रुपये और पेंशन फंड्स ने 17,543 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है.
आगे भी तेजी का अनुमान
SMC ग्लोबल सिक्योरिटीज के सीईओ अजय गर्ग के मुताबिक, हालिया 50 बेसिस प्वाइंट रेपो रेट कटौती और CRR में कटौती के जरिये मिली तरलता से बाजार में तेजी आने की उम्मीद है. इन उपायों के चलते उधारी, खपत और निवेश को गति मिलेगी. इसके अलावा संभावित अमेरिका-भारत व्यापार समझौते से भी बाजार धारणा को बल मिलेगा.
च्वाइस वेल्थ के वाइस प्रेसिडेंट निकुंज सर्राफ के अनुसार, घरेलू संस्थागत निवेशकों के निवेश में मजबूती बनाए रखने के पीछे तीन मुख्य कारक रहेंगे — भरोसेमंद रिटेल SIP फ्लो, रिजर्व बैंक का सहयोगात्मक नीतिगत रुख और आगामी तिमाही में संभावित आशाजनक कॉरपोरेट नतीजे. इन कारकों के चलते सेक्टरों में नए सिरे से निवेश देखने को मिल सकता है.