
प्रसिद्ध रामकथाकार मोरारी बापू एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार मामला धार्मिक परंपराओं से जुड़ा है। दरअसल, मोरारी बापू काशी पहुंचे है, जहां उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किए और राम कथा का आयोजन भी किया। लेकिन, ये सब उस समय हुआ जब वे सूतक
हालांकि, सूतक में काशी विश्वनाथ के दर्शन करने का विरोध होने के बाद मोरारी बापू ने संतों और विद्वत समाज से माफी मांगी थी। रविवार को रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में व्यासपीठ से मोरारी बापू ने सभी से क्षमा मांगी। उन्होंने कहा- हम यहां आए। शिवजी के दर्शन करने गए। जल चढ़ाया और कथा गाने लगे। यह बात कई पूज्य चरणों और कई महापुरुषों को ठीक नहीं लगी। किसी को ठेस लगी हो तो मैं आप सबके प्रति क्षमा प्रार्थी हूं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि मेरे पास भी शास्त्र है, दिखा सकता हूं।
अविमुक्तेश्वरानंद बोले- मोरारी बापू दिखाएं अपना शास्त्र अब शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सोमवार को वीडियो बयान जारी कर कहा- काशी में अशास्त्रीय काम हो रहा है। इस पर लोग सवाल कर रहे हैं। हमें पता चला है कि मोरारी बापू काशी में अपनी पत्नी के निधन के तीन दिन बाद कथा कहने आए हैं। उन्होंने बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन और अभिषेक भी किया है। यह सबसे बड़ा सवाल है कि सूतक में यह कैसे हो सकता है। हम मोरारी बापू से कहना चाहते हैं कि उनके पास जो शास्त्र है, वह लाएं और बताएं कि कहां लिखा है कि सूतक में कथा और दर्शन पूजन किया जाता है।
संबंधों से बड़ा शास्त्र होता है, जो नहीं मानेगा उसका विरोध होगा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा- हमारे यहां संबंधों से बड़ा शास्त्र होता है। उसका निर्वाहन अगर कोई नहीं करेगा तो उसका विरोध हमें करना पड़ेगा। अगर वह अपने किए गए अपराध का पश्चाताप नहीं करता है तो यमराज उन्हें दंड देंगे। उन्होंने कहा कि सनातन का यही दृष्टिकोण है कि सूतक में जो काम नहीं करना चाहिए, वह इस समय मोरारी बापू कर रहे हैं। मैं एक बार पुनः मोरारी बापू से यह पूछना चाहता हूं कि वह किसलिए और किस अधिकार से कथा कह रहे हैं। जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया तो मोरारी बापू ने कहा कि हमारी परंपरा काफी पुरानी है। हम वैष्णो साधु हैं और हम पर यह सूतक लागू नहीं होता है। समाधि करने से ही हमारा सब पूरा हो जाता है।
मोरारी बापू शब्दों के पंडित हैं तो शब्दों का उपयोग करना चाहिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मोरारी बापू के माफी वाले वीडियो पर भी आपत्ति जताई है। शंकाराचार्य ने कहा- मोरारी बापू शब्दों के पंडित हैं तो उन्हें शब्दों का उपयोग करना चाहिए। लेकिन, वह दुरुपयोग कर रहे हैं। जो शास्त्र को मानता है, उसे ठेस लगी है। अगर उनके जैसा प्रसिद्ध व्यक्ति मनमाना करेगा तो पूरा समाज मनमाना तरीके से काम करने लगेगा। अगर सारा समाज मनमाना हो जाएगा तो विधि-विधान और बनी हुई प्रक्रिया बेकार हो जाएगी।
मोरारी बापू के आचरण को रावणी प्रवृत्ति बताया स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा- किसी व्यक्ति को अपने मन का नहीं करना चाहिए। यह रावण की प्रवृत्ति थी, वह अपने मन से सब कुछ करता था। उन्होंने कहा कि रावण था जो अपने ही मंत्रों से राज्य करने लगा था। रावण अपने भुजों के बल पर विश्व को अपने वश में कर लिया। उन्होंने कहा कि उनका कोई अधिकार नहीं है कि वह अपना मंत्र बनाकर और उसी के अनुसार काम करने लगे। यह रावणी प्रवृत्ति है। उन्होंने कहा कि मोरारी बापू का यह मनमानापन किसी भी प्रकार से स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
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