
PM Modi Gift Kashmiri Silk Carpet to Cyprus President: पीएम नरेंद्र मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति को कश्मीरी सिल्क कारपेट देकर तुर्की को कूटनीतिक संदेश दिया है. तुर्की कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता …और पढ़ें

हाइलाइट्स
- पीएम मोदी ने साइप्रस को कश्मीरी कारपेट दिया.
- तुर्की के विरोधी साइप्रस को कश्मीरी कारपेट देना कूटनीतिक संकेत है.
- तुर्की कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता है.
नई दिल्ली. पीएम नरेंद्र मोदी आज साइप्रस का दौरा पूरा करने के बाद जी7 का हिस्सा बनने के लिए कनाडा रवाना हो गए हैं. इसी बीच तुर्की के दुश्मन नंबर-1 को पीएम ने एक ऐसा गिफ्ट दिया, जो चर्चा का विषय बन गया है. पीएम मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति को गिफ्त के तौर पर कश्मीरी सिल्क कारपेट दिया. जिसके बेहद गहरे मायने हैं. इसकी तपिश ना सिर्फ तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन महसूस कर रहे होंगे बल्कि पाकिस्तान के पीएम शहबाज तो इसमें झुलस ही जाएंगे. कश्मीर के मुद्दे पर तुर्की अक्सर पाकिस्तान के साथ खड़ा नजर आता है. तुर्की के दुश्मन साइप्रस को कश्मीरी कारपेट देकर पीएम मोदी का संदेश साफ है. कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. इसमें किसी भी देश के लिए कोई शक की कोई गुंजाइश नहीं बचती है.
यह सिर्फ एक औपचारिक उपहार नहीं बल्कि एक बारीक कूटनीतिक संकेत माना जा रहा है. खासकर उस पृष्ठभूमि में जहां तुर्की लगातार कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है. तुर्की के विरोधी साइप्रस को कश्मीरी प्रतीक देना इशारों ही इशारों में एक बड़ी बात कहता है. कश्मीर की ये सिल्क कालीनें भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं. ये केवल हस्तशिल्प नहीं बल्कि आत्मनिर्भर भारत और कश्मीरी कला की पहचान हैं. ऐसे में जब प्रधानमंत्री किसी विदेशी नेता को यह तोहफा देते हैं तो इसका अर्थ केवल सौंदर्य या परंपरा से नहीं बल्कि नेशनल डिप्लोमेसी से भी जुड़ता है. पीएम ने साफ कर दिया कि कश्मीर भारत का है, पाकिस्तान को आज नहीं तो कल अपने कब्जे वाला कश्मीर खाली करना ही होगा.
अब अगर इस गिफ्ट को तुर्की की भूमिका के परिप्रेक्ष्य में देखें तो संकेत और भी स्पष्ट हो जाते हैं. तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाकर भारत विरोधी रुख अपनाया है. यूएन जैसी संस्थाओं में भी तुर्की, पाकिस्तान के साथ कदम मिलाकर चलता रहा है. दूसरी ओर साइप्रस वर्षों से तुर्की के खिलाफ खड़ा है. चाहे वो नौसेना विवाद हो या उत्तरी साइप्रस का अतिक्रमण. ऐसे में पीएम मोदी का साइप्रस को कश्मीरी गलीचा देना, एक ‘सॉफ्ट मैसेज’ नहीं बल्कि स्मार्ट डिप्लोमेसी है.
यह भारत की रणनीतिक सोच का हिस्सा है जिसमें सहयोगियों को चिन्हित कर सांस्कृतिक संबंधों के जरिए एक मजबूत फ्रंट तैयार किया जा रहा है. इसके जरिए भारत यह भी दर्शा रहा है कि वह कश्मीर की सांस्कृतिक पहचान का वैश्विक मंच पर प्रतिनिधित्व करने में झिझक नहीं रखता बल्कि गर्व करता है. यह कूटनीति का वह रूप है जिसमें कोई बयान नहीं दिया जाता. फिर भी संदेश स्पष्ट हो जाता है. भारत न केवल अपने सांस्कृतिक मूल्यों को आगे बढ़ा रहा है बल्कि तुर्की जैसे विरोधियों को अपने ही अंदाज में जवाब भी दे रहा है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और… और पढ़ें
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