दरअसल 28 नवंबर 1987 की रात करीब 11:30 बजे हुआ यह क्रैश कोई दुर्घटना नहीं थी, बल्कि एक खतरनाक साजिश थी. जिसका मकसद 1988 के सियोल ओलंपिक को बर्बाद करना था. इस साजिश के पीछे उत्तर कोरिया के तत्कालीन नेता किम जोंग-इल का हाथ था. किम जोंग-इल ने इस साजिश को अंजाम देने के लिए 70 साल के किम सियोंग-इल और 25 साल की युवा एजेंट किम ह्योन-ही को चुना था. दोनों जासूस नकली जापानी पासपोर्ट पर पिता-पुत्री की तरह इस फ्लाइट में सफर कर रहे थे, जिसमें इनका नाम शिनिची हचिया और मायुमी हचिया दर्ज था. साजिश को अंजाम देने के लिए दोनों जासूसों ने दो बम बनाए थे. पहला टाइमर बम था, जिसे रेडियो के भीतर छिपाया गया था. वहीं दूसरा बम शराब की बोतल में लिक्विड एक्सप्लोसिब के तौर पर था. रेडियो टाइमर बम को किम सियोंग इल ने अपने पास रखा.
वहीं लिक्विड एक्सप्लोसिव से भरी शराब की बोतल किम ह्योन-ही ने अपने पास छिपा ली. साजिश के तहत, दोनों बम के साथ कोरियन एयर की फ्लाइट 858 में दाखिल होने में सफल हो गए. प्लेन में दोनों 7-C और 7-B पर बैठ गए. मौका मिलते ही दोनों ने इस सीट के ऊपर बने ओवरहेड बिन में दोनों बम छिपा दिया. अबू धाबी में लैंडिंग के बाद दोनों जासूस प्लेन से डिबोर्ड हो गए, जिससे वह खुद की जान बचा सकें. साजिश के तहत, टाइम बम में नौ घंटे बाद का टाइम सेट किया गया था. यह प्लेन म्यांमार के तटीय इलाके से बैंकॉक की तरफ बढ़ ही रहा था, तभी आसमान में एक जोरदार धमाका हुआ. इस धमाके में प्लेन और उसमें मौजूद सभी 115 लोगों के चीथेड़े उड़ गए. प्लेन का मलवा और पैसेंजर्स- क्रू के शरीर के लोथड़े अंडमान सागर में कई किलोमीटर तक तैरते हुए दिखाई दिए.
बगदाद से यह प्लेन 115 पैसेंजर्स और क्रू मेंबर्स के साथ सियोल के लिए टेकऑफ हुआ था.
जहरीली सिगरेट वाला आखिरी दांव
उधर, दोनों एजेंट अबू धबी से भागकर बहरीन पहुंच गए. दोनों वहां से रोम होते हुए वापस उत्तर कोरिया जाने की फिरांक में थे. लेकिन किस्मत ने दोनों का साथ बहरीन में छोड़ दिया. 1 दिसंबर को बहरीन एयरपोर्ट पर जांच के दौरान उनके नकली पासपोर्ट पकड़े गए और दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया. अब तक दोनों को समझ में आ चुका था कि कोरियन एयर की फ्लाइट 858 ब्लास्ट में उनका हाथ है, इसका खुलासा होने में ज्यादा देर नहीं बची है. लिहाजा, दोनों ने जहरीली सिगरेट वाला आखिरी दांव चल दिया. 70 साल के जासूस किम सियोंग-इल ने साइनाडड से भरी जहरीली सिगरेट मुंह में लगाई और तुरंत मर गया. वहीं, किम ह्योन-ही की सिगरेट मुंह तक पहुंचती, इससे पहले एक बहरीनी अधिकारी ने उसे छीन लिया. इसके बाद, किम ह्योन-ही को दक्षिण कोरिया भेज दिया गया.
पूछताछ में किम ने किए कई बड़े खुलासे
दक्षिण कोरिया में पूछताछ के दौरान किम ह्योन-ही सब कुछ कबूल कर लिया. उसने सुरक्षा एजेंसियों को बताया कि उसका बचपन से ही ब्रेनवॉश किया गया था. उसने बताया कि कैसे उत्तर कोरिया में उसे जासूस बनाया गया. जापानी भाषा और कल्चर सिखाने के लिए उत्तर कोरिया ने एक जापानी महिला को अगवा किया था, जो उसे ट्रेनिंग देती थी. किम ह्योन-ही ने खुलासा किया कि ये हमला सियोल ओलंपिक में शामिल होने जा रहे खिलाडि़यों को डराने के लिए था, ताकि दुनिया सियोल न आए. इस साजिश को अंजाम देने के लिए किम जोंग-इल ने खुद ये ऑर्डर दिया था. 1989 में कोर्ट ने किम ह्योन-ही को हत्या का दोषी ठहराया और मौत की सजा सुनाई. लेकिन 1990 में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति रो ताए-वू ने उसे माफ कर दिया. राष्ट्रपति ने कहा कि असली गुनहगार उत्तर कोरिया का शासन है और किम खुद उसकी शिकार है.

रेडियो में टाइम बम और शराब की बोतल में लिक्विड एक्स्प्लोसिव प्लांट किया गया था.
जैसे ही मैं फ्लाइट में चढ़ी, मेरे मन में यही चल रहा था कि यह दुश्मन देश है. उसने बताया. लेकिन जब बम रखने का समय आया, तो मैं घबरा गई. डर लग रहा था, बेचैनी थी और पकड़े जाने का डर भी था. उस पल मेरे दिमाग में यह ख्याल भी आया कि इस प्लेन में बैठे सभी लोग मारे जाएंगे. लेकिन ऐसा सोचकर मैं खुद डर गई. मुझे ऐसे जज्बात रखने की इजाजत नहीं थी. मुझे इंसान की तरह नहीं, बल्कि एक रोबोट की तरह सिर्फ आदेश मानने की ट्रेनिंग दी गई थी. मैंने खुद को समझाने की कोशिश की कि देश के एकीकरण के नाम पर इन लोगों की कुर्बानी जरूरी है. इसी सोच से मैं अपने मन के डर और सवालों को दबाने लगी. उत्तर कोरिया में ऐसे सवाल या शक करने की कोई जगह नहीं होती. अगर किसी के मन में ऐसे विचार आ जाएं, तो माना जाता है कि उसकी विचारधारा बिगड़ गई है. ऐसी हालत में उसे या तो फांसी दे दी जाती है या फिर जेल कैंप भेज दिया जाता है. – किम ह्योन-ही, नार्थ कोरियन जासूस
पीड़ित परिवारों को दान की अपनी पूरी कमाई
माफी के बाद किम ने साउथ कोरियन खुफिया एजेंसी के साथ काम किया. उसने अपनी आत्मकथा लिखी ‘द टीयर्स ऑफ माय सोल’. किताब से हुई पूरी कमाई उसने पीड़ित परिवारों को दान कर दी. उत्तर कोरिया के बदले के डर से आज भी किम ह्योन-ही दक्षिण कोरिया में सरकारी सुरक्षा में छिपकर रहती है.
नॉर्थ कोरियन जासूस किम ह्योन-ही ने अपनी आत्मकथा में किए कई बड़े खुलासे
- किम ह्योन-ही बच्चपन से ही ऐसे सोसाइटी में बड़ी हुई जहां पार्टी और किम फैमिली की वरशिप को रिलिजन से भी ऊपर रखा जाता था. स्कूल से घर तक हर जगह उन्हें अमेरिका और साउथ कोरिया से नफरत करना सिखाया जाता था, जिससे उसका मोरल कंपास बचपन से ही पूरी तरह पार्टी प्रोपगैंडा के अनुसार ढल हो गया था.
- टीनएज में उसकी सुंदरता, इंटेलिजेंस और डिसिप्लिन देखकर उसे स्पेशल सीक्रेट एजेंट ट्रेनिंग के लिए चुना गया. ट्रेंनिंग के दौरान उसे बताया गया कि वो एक ग्रेट हिस्टोरिकल मिशन की सोल्जर है. इस मिशन में उसके पर्सनल इमोशंस और उसकी प्राइवेट लाइफ कोई मायने नहीं रखते हैं. इस मिशन में सबसे बड़ा मकसद है.
- स्पाई बनने की ट्रेनिंग में उसे सीक्रेट लोकेशंस पर सालों तक बहुत हार्ड फिजिकल और मेंटल एक्सरसाइज कराई गईं, जिनमें मार्शल आर्ट्स, वेपन्स हैंडलिंग, लॉन्ग रनिंग, स्टंट ड्राइविंग, फॉरेन लैंग्वेजेस और कंटिन्यूअस पॉलिटिकल ब्रेनवॉश शामिल था, ताकि वो बिना सवाल किए ऑर्डर्स फॉलो करने वाली ह्यूमन मशीन बन जाए.
- उसे यह भरोसा दिलाया गया कि साउथ कोरिया एक करप्ट, डिग्रेडेड और इनह्यूमन कैपिटलिस्ट सोसाइटी है. अगर नॉर्थ का ऑर्डर पूरा कर वो वहां डिस्ट्रक्शन क्रिएट करती है तो यह कोई क्राइम नहीं, बल्कि एक होली नेशनलिस्ट ड्यूटी होगी. इस तरह उसके अंदर गिल्ट फील करने की भावनाओं को पहले ही दबा दिया गया था.
- 1987 में उसे लाइफ का सबसे बड़ा मिशन मिला था. यह मिशन था कोरियन एयर फ्लाइट 858 में बॉम्ब प्लांट करने का. मिशन को लेकर कहा गया था कि इस अटैक से साउथ कोरिया अनस्टेबल हो जाएगा और ओलंपिक होस्टिंग उससे छिन सकती है, इसलिए ये एक्शन पूरे कोरियन नेशन के रीयूनिफिकेशन की डायरेक्शन में हिस्टोरिकल स्टेप माना जाएगा.
- फ्लाइट 858 पर बम रखने के बाद वह अपने पार्टनर के साथ फेक पासपोर्ट पर एस्केप करते हुए पकड़े गए थे. दोनों को सुसाइड के लिए साइनाइड कैप्सूल दिए गए थे, लेकिन उसके पार्टनर का कैप्सूल काम कर गया, जबकि उसका फेल हो गया. पहली बार वो खुद को पार्टी कंट्रोल से बाहर, एनिमी हैंड्स में जिंदा पाया.
- साउथ कोरियन इन्वेस्टिगेशन एजेंसीज ने उसके साथ सख्ती से पूछताछ की. पूछताछ में उसके साथ क्रूरता की बजाय इंसानों की तरह पेश आया गया. इस बात का उस पर गहरा साइकोलॉजिकल इफेक्ट हुआ, क्योंकि पूरी लाइफ उसे सिखाया गया था कि साउथ कोरिया इनह्यूमन एनिमी है, जबकि यहां उसे सच दिखाने की कोशिश की गई.
- लंबे इंटेरोगेशन, एविडेंस, फोटोज, वीडियोज और ओपन इन्फॉर्मेशन से उसे पहली बार रियलाइज हुआ कि के ऑपोजिट, साउथ कोरिया प्रॉस्परस, रिलेटिवली फ्री और ह्यूमन सोसाइटी है. इस कंपैरिजन से पार्टी की ‘अनडिफीटेड होली’ इमेज ब्रेक होने लगी और डीप एग्जिस्टेंशियल क्राइसिस स्टार्ट हुआ.
- लंबी पूछताछ, सबूतों, फोटो, वीडियो और खुली जानकारी से उसे पहली बार एहसास हुआ कि नॉर्थ प्रोपगैंडा के विपरीत साउथ कोरिया समृद्ध, अपेक्षाकृत स्वतंत्र और मानवीय लोगों की सोसाइटी है. इस तुलना से उसके भीतर पार्टी की छवि टूटने लगी और गहरे एग्जिस्टेंशियल क्राइसिस की शुरुआत हो हुई.
- जब उसे डिटेल में बताया गया कि फ्लाइट 858 में 115 निर्दोष पैसेंजर, जिनमें वुमेन, बिजनेसमैन, वर्कर्स और स्टूडेंट्स शामिल थे, जिंदा जल कर मर गए. यह जानकर पहली बार उसे अपना काम ‘हीरोइज्म’ का नहीं बल्कि ‘मास मर्डरर’ जैसा लगने लगा. यही पॉइंट उसकी सेल्फ-एक्सेप्टेंस और गिल्ट का डिसाइसिव टर्निंग पॉइंट बना.
- पब्लिक आउटरेज के बावजूद साउथ कोरिया के प्रेसिडेंट ने यह कहते हुए उसे माफ कर दिया कि वह भी कम्युनिस्ट डिक्टेटरशिप की वैसी ही विक्टिम है, जैसे प्लेन के पैसेंजर्स. ये पॉलिटिकल और ह्यूमन डिसीजन किताब में ऐसे टर्न की तरह आता है जहां क्रिमिनल और विक्टिम की लाइन बहुत कॉम्प्लिकेटेड मोरल डिबेट में बदल जाती है.
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