चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बुधवार को अफ्रीकी विदेश मंत्रियों से मुलाकात की, इससे पहले चीन ने 52 अफ्रीकी देशों का एक भव्य सम्मेलन आयोजित किया था. ये वही अफ्रीकी देश हैं, जिनकी जड़ें महात्मा गांधी से जुड़ी हुई हैं. ये मुल्क भारत को अपना भाई मानते हैं. भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इनकी आवाज उठाता रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्यों ये देश चीन के इतने करीब जा रहे हैं? चीन को अफ्रीका में इतनी दिलचस्पी क्यों है?
वांग यी ने चीन के हूनान प्रांत की राजधानी छांगशा में इन नेताओं से मुलाकात की. सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया. लेकिन असली मकसद केन्या, सेनेगल, तंजानिया , नामीबिया, अफ्रीका के नेताओं के बयानों से साफ हो जाता है. केन्या के विदेश मंत्री ने कहा, चीन इन्वेस्ट करना चाहता है, हम उसके लिए रास्ता बनाएंगे. सेनेगल की विदेश मंत्री बोलीं, चीन के एक्सपोर्ट में पर्याप्त वृद्धि हुई है, अब हम आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. अफ्रीकी देशों को नए चीन की स्थापना और विकास के अनुभव से बहुत लाभ हुआ है. तंजानिया के विदेश मंत्री ने तो चीन की मनचाही मुराद पूरी कर दी. उन्होंने कहा, तंजानिया एक-चीन सिद्धांत का पालन करता रहेगा. वांग यी ने कहा, चीन अफ्रीकी देशों के साथ बराबरी वाला ट्रेड करने को तैयार है. हम टैरिफ वॉर नहीं चाहते.
चीन की रणनीति- पैसा, पावर और प्लेटफॉर्म
1. शून्य टैरिफ का वादा
चीन ने 53 अफ्रीकी देशों को 0% टैरिफ देने का वादा किया है. यह इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका ने इन देशों पर 31% से 50% तक टैरिफ लगाया है. चीन अभी वहां 2.1 ट्रिलियन का ट्रेड कर रहा था, जिसमें हर साल 6% की वृद्धि हो रही है. चीन इसे बढ़ाकर 20 फीसदी पर ले जाना चाहता है.
2. कर्जदार बना रहा 2000 से 2022 तक चीन ने अफ्रीकी देशों में लगभग 170 बिलियन डॉलर से अधिक का लोन दिया. इसे आगे भी बढ़ाए रखने का वादा कर रहा है.
3. फायदा क्या
अफ्रीकी देशों में कोबाल्ट, प्लैटिनम, कोलटन जैसे अनमोल खनिजों का भंडार है. चीन इन तक पहुंच बनाना चाहता है. अफ्रीकी देशों के संयुक्त वोट जैसे UNO में चीन के ‘वन चाइना’ एजेंडा को समर्थन देने के मामले में फायदेमंद होंगे. चीन ने अफ्रीका में सेना और पुलिस को 1000 से ज्यादा अफ्रीकी अधिकारियों का प्रशिक्षण देने की घोषणा की हैं, वहां बेस कैंप भी बना रहा है.
भारत पर क्या असर पड़ेगा? चीन अफ्रीका में बड़े पैमाने पर इन्फ्रा-प्रोजेक्ट्स और कच्चे माल पर कब्जा जमा रहा है. इसका मतलब भारत को मुकाबला करना पड़ेगा, क्योंकि अभी तक वे सिर्फ भारत पर भरोसा करते थे. भारत ने अफ्रीका की काफी मदद की. कोरोना के वक्त फ्री वैक्सीन तक बांटी गई. अफ्रीकी देश तकनीकी, डिजिटल, स्वास्थ्य के लिए हमेशा भारत पर निर्भर रहे हैं, लेकिन चीन की यह दखल उन्हें अपनी ओर मोड़ सकती है.