Last Updated:
26 December History: कैलेंडर में कुछ तारीखें ऐसी होती हैं, जो त्योहार या खुशी नहीं, बल्कि मातम और दहशत लेकर आती हैं. 26 दिसंबर इतिहास में एक ऐसी ही ‘काली तारीख’ के रूप में दर्ज है. यह वह दिन है जब प्रकृति ने इंसान को उसकी बेबसी का एहसास कराया था. अलग-अलग सालों में इसी तारीख को कुदरत ने ऐसा कहर बरपाया कि दुनिया दहल उठी. कभी धरती फटी तो कभी समुद्र ने अपनी हदों को तोड़कर शहरों को श्मशान बना दिया. 2003 में ईरान और 2004 में हिंद महासागर में आई तबाही ने लाखों हंसते-खेलते परिवारों को हमेशा के लिए खत्म कर दिया. (Photos : Reuters/PTI Archives)
26 दिसंबर 2004 की सुबह दुनिया के लिए एक सामान्य सुबह नहीं थी. हिंद महासागर में इतिहास की सबसे खतरनाक सुनामी ने दस्तक दी थी. इंडोनेशिया के सुमात्रा तट पर समुद्र के नीचे 9.1 तीव्रता का जोरदार भूकंप आया. यह झटका इतना तेज था कि इसने समुद्र के पानी को पहाड़ जैसा ऊंचा उठा दिया.

देखते ही देखते समुद्र से उठी तबाही की लहरों ने 14 देशों को अपनी चपेट में ले लिया. लहरों की ऊंचाई 30 मीटर यानी करीब 100 फीट तक पहुंच गई थी. यह पानी की दीवार बनकर शहरों पर टूट पड़ी. इस जल प्रलय में 2,27,000 से अधिक लोगों की जान चली गई. अकेले इंडोनेशिया में 1.28 लाख लोग मारे गए.

सुनामी की रफ्तार इतनी तेज थी कि पहली बड़ी लहर भूकंप के महज 15 से 20 मिनट के अंदर इंडोनेशिया के बांदा आचेह शहर तक पहुंच गई थी. वहां 3 लाख की आबादी को संभलने का मौका तक नहीं मिला.
Add News18 as
Preferred Source on Google

इस सुनामी का असर भारत में भी विनाशकारी रहा. दक्षिण में सुमात्रा से लेकर उत्तर में कोको द्वीप समूह तक 1,300 किलोमीटर का क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ. भारत के दक्षिणी तटों पर सुबह के वक्त जो मछुआरे समुद्र में गए थे, वे कभी नहीं लौटे. उनके शव बाद में समुद्र से बहकर वापस आए. कार निकोबार में स्थित भारतीय वायुसेना का बेस इस आपदा में पूरी तरह नष्ट हो गया. भारत, श्रीलंका, थाईलैंड और मालदीव समेत कई देशों में हजारों लोग काल के गाल में समा गए. करीब 17 लाख से ज्यादा लोग बेघर (विस्थापित) हो गए.

सुनामी से ठीक एक साल पहले, 26 दिसंबर 2003 को भी प्रकृति ने अपना क्रूर चेहरा दिखाया था. उस दिन दक्षिण-पूर्वी ईरान का ऐतिहासिक शहर ‘बाम’ (Bam) मलबे के ढेर में तब्दील हो गया था. स्थानीय समयानुसार सुबह के 5 बजकर 26 मिनट पर, जब ज्यादातर लोग गहरी नींद में थे, 6.3 की तीव्रता वाले भूकंप ने धरती को हिला दिया. भूकंप का केंद्र दक्षिण-पूर्वी केरमान प्रांत का बाम शहर था.

ईरानी अधिकारियों के मुताबिक, इस त्रासदी में 20,000 से ज्यादा लोग मारे गए. 50,000 लोग घायल हुए. यह भूकंप पिछले 2,000 सालों में उस इलाके का सबसे बड़ा भूकंप माना गया.

भूकंप की तीव्रता ने बाम शहर का नक्शा ही मिटा दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शहर के 70 फीसदी घर ताश के पत्तों की तरह बिखर गए. प्राचीन इमारतें और मिट्टी के बने घर लोगों की कब्र बन गए. जो शहर अपनी ऐतिहासिक धरोहर के लिए जाना जाता था, वह कुछ ही सेकंड में धूल और मलबे का ढेर बन गया.
Discover more from HINDI NEWS BLOG
Subscribe to get the latest posts sent to your email.


