
फाणु खासतौर पर गढ़वाल क्षेत्र (Uttarakhand Food) की पारंपरिक डिश है, लेकिन इसकी महक अब कुमाऊं और अन्य हिस्सों में भी पहुंच चुकी है. यह डिश अक्सर स्थानीय लोग बनाते हैं. फाणु की खास बात यह है कि यह एक से अधिक दालों से बनाई जाती है और उसमें बहुत कम तेल, घी और मसाले लगते हैं, फिर भी स्वाद (Garhwali Cuisine) ऐसा कि उंगलियां चाटते रह जाओ.
फाणु मुख्य रूप से गहत (कुल्थ) की दाल से बनाया जाता है, लेकिन इसमें अरहर, मसूर या चना दाल का भी इस्तेमाल हो सकता है. इसे पहले भिगोया जाता है, फिर प्रेशर कुकर में पकाया जाता है और बाद में ताजे पहाड़ी मसालों के साथ तड़का लगाकर तैयार किया जाता है. इसका स्वाद कुछ-कुछ कढ़ी जैसा होता है, लेकिन उसमें दाल की गहराई और लहसुन-अदरक की गरमाहट इसे अलग बनाती है. आइए, सरला डिमरी से जानते हैं इसके बनाने का तरीका.
फाणु बनाने के ये चीज़े बेहद ज़रूरी
अब स्वाद बढ़ाने के लिए 5–6 लहसुन की कलियां लें और उन्हें कूट लें. साथ ही एक इंच अदरक को कद्दूकस कर लें.मसालों में आधा टीस्पून हल्दी पाउडर, आधा टीस्पून लाल मिर्च पाउडर और एक टीस्पून धनिया पाउडर ज़रूरी है. स्वादानुसार नमक डालें और पकाने के लिए जरूरत अनुसार पानी रखें. अंत में, पकने के बाद ऊपर से हरी धनिया से सजावट करें, जिससे स्वाद और रंगत दोनों में निखार आए.
1. दाल को रातभर भिगो लें और सुबह कुकर में डालकर 3-4 सीटी तक पकाएं, ध्यान दें कि दाल बहुत ज़्यादा गली न हो.
2. एक कढ़ाही में तेल या घी गर्म करें.उसमें हींग और जीरा डालें. फिर लहसुन और अदरक डालकर सुनहरा होने तक भूनें.
3. अब इसमें हल्दी, मिर्च और धनिया पाउडर डालें और मसाले को अच्छी तरह भूनें.
4. पकी हुई दाल इसमें डालें और आवश्यकतानुसार पानी मिलाएं.
5. 10-15 मिनट तक धीमी आंच पर पकने दें ताकि सभी स्वाद आपस में मिल जाएं. अंत में हरी धनिया डालें और गरमा-गरम परोसें.
साथ ही इसमें प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है. फाणु एक ऐसी डिश है जो पहाड़ों की मिट्टी, वहां के लोगों की सादगी और प्रकृति की ऊर्जा को अपने भीतर समेटे हुए है. अगर आप कभी उत्तराखंड आएं, तो सिर्फ घूमने न जाएं, फाणु जैसे व्यंजनों को चखकर पहाड़ की आत्मा को भी महसूस करें.
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