
Famous Peda Bhandar News: पटना के बख्तियारपुर में ‘पुरानी झोपड़ी पेड़ा भंडार’ का पेड़ा 31 साल से मशहूर है. 1994 में शुरू हुई इस दुकान का पेड़ा दिल्ली से सऊदी अरब तक जाता है. पेड़े की कीमत 400 रु/किलो है.
- पटना की दुकान का पेड़ा 31 साल से मशहूर है.
- पेड़ा दिल्ली, बेंगलुरू, कोलकाता और विदेशों में भी जाता है.
- दुकान पर पेड़ा 400 रुपए किलो मिलता है.
जहानाबाद: मिठाई का नाम सुनते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है. खासकर जब बात मिठाइयों में पेड़े की हो. वैसे तो देवघर का पेड़ा देशभर में मशहूर है, लेकिन बिहार और यूपी के कई शहरों में भी इसका अपना नाम है. बिहार के पटना जिले की एक दुकान का पेड़ा पिछले 31 साल से स्वाद के मामले में बेजोड़ है. यह पेड़ा बख्तियारपुर पटना फोर लेन की पहचान बन चुका है. इसका स्वाद मुंह में जाते ही टेस्ट का विस्फोट कर देता है.
पेड़े को मंदिर में प्रसाद चढ़ाने या किसी अधिकारी की टेबल तक मिठास पहुंचाने के लिए सबसे पहले चुना जाता है. ऐसे में पटना के बख्तियारपुर शहर की ‘पुरानी झोपड़ी पेड़ा भंडार और चाय दुकान’ काफी मशहूर है. यहां न सिर्फ पेड़ा, बल्कि गुलाब जामुन, स्पंज, चाय और लिट्टी चोखा भी प्रसिद्ध है. पहले यह दुकान NH-30 पर थी, लेकिन पटना-बख्तियारपुर फोर लेन बनने के बाद टेका बिगहा बख्तियारपुर में स्थानांतरित हो गई.
इस दुकान के मालिक ललन कुमार हैं. 1994 में एक छोटी सी झोपड़ी से शुरू हुई इस दुकान में अब रोजाना लगभग 1000 ग्राहक आते हैं. यहां का पेड़ा दिल्ली, बेंगलुरू, कोलकाता से लेकर सऊदी अरब तक जाता है. नेताओं, अभिनेताओं से लेकर मंत्रियों तक के बीच यह पेड़ा काफी लोकप्रिय है. दुकान पर खोवा, शुद्ध घी का काला जामुन, रसगुल्ला, लाई, शुद्ध घी का समोसा और लिट्टी चोखा भी मिलता है.
दुकान मालिक ललन कुमार के बेटे ने बताया कि 1994 से यह दुकान चल रही है. इसकी शुरुआत झोपड़ी से हुई थी और अब यह बख्तियारपुर पटना फोर लेन की मशहूर दुकान है. यहां शुद्धता और प्यार से ग्राहकों को मिठाई परोसी जाती है. एक पेड़ा 20 रुपए का और एक किलोग्राम पेड़ा 400 रुपए का मिलता है. शुरुआत में पेड़े की कीमत 3 रुपए थी, जो अब बढ़कर 20 रुपए हो गई है. गुलाब जामुन भी यहां का मशहूर है और 25 रुपए में एक पीस मिलता है.
दुकान में चाय की चुस्की लेते और लिट्टी चोखा, स्पंज और पेड़ा का स्वाद चखते ग्राहकों ने Local 18 को बताया कि यहां का स्वाद ऐसा है कि ग्राहक खुद खींचे चले आते हैं. यहां पेड़े के अलावा काला गुलाब जामुन, चाय और लिट्टी चोखा भी काफी पसंद किया जाता है. यहां सुबह-सुबह चाय के लिए इतनी भीड़ होती है कि मेला जैसा माहौल बन जाता है. यहां दूर-दूर से लोग पेड़े का का स्वाद लेने आते हैं.
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