
पटना सिर्फ बिहार की राजधानी ही नहीं, बल्कि मिठाइयों के शौकीनों के लिए भी एक खास जगह है. यहां की गलियों में घूमते हुए आपको तरह-तरह की पारंपरिक मिठाइयों का स्वाद मिलेगा, जो न सिर्फ स्वाद में लाजवाब हैं बल्कि बरसों पुरानी परंपरा और शुद्धता से भी जुड़ी हैं.

सबसे पहले बात करते हैं पटना सिटी के गुरुद्वारा तख्त श्रीहरमंदिर साहिब के पास की मशहूर कचौड़ी गली की, जहां खुरचन नाम की खास मिठाई मिलती है. यह मिठाई दूध को धीरे-धीरे सुखाकर परतों में बनाई जाती है और मुंह में रखते ही घुल जाती है. पटनावासी इस मिठाई के दीवाने हैं और दूर-दूर से लोग इसका स्वाद लेने आते हैं.

पटना के कंकड़बाग इलाके में स्थित गौरी शंकर स्वीट्स, कांटी फैक्ट्री रोड पर घी वाली पिरुकिया मिलती है. इसे मैदा, खोया, शुद्ध देसी घी और चाशनी से तैयार किया जाता है. यह मिठाई खासतौर पर त्योहारों में खूब बिकती है.

अब बात करते हैं सिलाव के खाजा की, जो 52 परतों में बनाया जाता है. इसमें आटा, मैदा, घी, चीनी और इलायची का इस्तेमाल होता है. पटना म्यूजियम के सामने करीब 50 से अधिक दुकानें हैं, जहां खाजा बनाने वाले कारीगर इसे खास तरीके से तैयार करते हैं.

पटना के गांधी मैदान के पास उद्योग भवन से बाकरगंज की तरफ जाने वाली गली में कलामंच के पास मिलने वाला काला जामुन (बम) भी बहुत फेमस है. इसे दही के साथ खाया जाता है और लोग इसे खास पसंद करते हैं.

गुड़ वाली जलेबी की बात करें तो यह पुराने पटना और राजापुल के आस-पास की दुकानों पर मिलती है. इसकी मिठास और खुशबू दोनों ही अलग होती है.

रसगुल्ला तो पटना की हर मिठाई दुकान पर मिल जाता है, लेकिन असली स्वाद उस रसगुल्ले का होता है जो गंगा के उस पार दियारा क्षेत्र से आता है. वहां के छेने से बने रसगुल्ले एक अलग ही मिठास लिए होते हैं.

अंत में बात अनरसा की, जो मावा के साथ या बिना मावा के भी तैयार किया जाता है. यह मिठाई पूजा-पाठ और खास मौकों पर भगवान को भोग लगाने के लिए भी प्रयोग में लाई जाती है.
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