जयपुर. राजधानी जयपुर अपने वर्षों पुराने खास जायके के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. यहां के लोगों ने छोटी-छोटी गलियों से ऐसे जायके और मिठाइयां तैयार की हैं, जिनकी आज दुनियाभर में डिमांड है. ऐसी ही एक फेमस मिठाई है महावीर रबड़ी, जिसकी कहानी और स्वाद बेहद लाजवाब है. वैसे तो जयपुर में महावीर रबड़ी के नाम से कई दुकानें मिल जाएंगी, लेकिन असली और पुराना स्वाद चांदपोल बाजार के मिश्रा राजा जी का रास्ते में स्थित 8 बाई 12 की दुकान पर मिलता है, जहां से इस महावीर रबड़ी की शुरुआत हुई थी. लोकल 18 की टीम महावीर रबड़ी भंडार पहुंचकर यहां के ऑनर राजकुमार जैन से बात की.
उन्होंने बताया कि महावीर रबड़ी आज जयपुर की फेमस डिशेज में शामिल है. लोग दूर-दूर से इसका स्वाद लेने आते हैं. जैन ने बताया कि इस रबड़ी को बनाने की शुरुआत 100 साल पहले पहलवान भक्त परमानंद जैन ने की थी. परमानंद पहलवानी के साथ-साथ खाने-पीने के भी शौकीन थे. वे जयपुर के अखाड़े में पहलवानी करते थे और अपने पिता के साथ दूध और दही के कारोबार में हाथ बंटाते थे. दूध की घर में कोई कमी नहीं थी, तो परमानंद जैन ने दूध के साथ कुछ एक्सपेरिमेंट करते हुए सबसे पहले रबड़ी बनाई. बाद में इसका स्वाद लोगों को भी खूब पसंद आया और इस तरह इस रबड़ी के जायके की शुरुआत हुई.
शुद्ध दूध से बनती है लच्छेदार रबड़ी
उन्होंने बताया कि परमानंद जैन के बाद उनके पिताजी कपूर चंद जैन ने इस जायके को आगे बढ़ाया. वे भी पहलवान थे और बाद में उन्होंने दुकान की शुरुआत की. आज चौथी पीढ़ी इस जायके के स्वाद को बरकरार रखे हुए है. महावीर रबड़ी आज एक ब्रांड है, जिसकी डिमांड जयपुर ही नहीं, विदेशों तक है. जयपुर के चांदपोल बाजार के मिश्रा राजा जी के रास्ते में प्रवेश करते ही मीठे दूध की खुशबू महावीर रबड़ी तक लोगों को खींच लाती है. लोकल 18 ने महावीर रबड़ी के ऑनर राजकुमार जैन से लच्छेदार रबड़ी के बनने के बारे में बात की. उन्होंने बताया कि महावीर रबड़ी की सबसे खास बात यह है कि इसमें इस्तेमाल होने वाला दूध 100% शुद्ध और ताजा होता है, इसलिए इसका स्वाद सबसे अलग होता है. आज भी रबड़ी तैयार करने के लिए गांवों से गाय और भैंस का ताजा दूध मंगाया जाता है.
12 किलो दूध से तैयार होती है 3 किलो रबड़ी
राजकुमार जैन ने बताया कि रबड़ी के स्वाद में सबसे महत्वपूर्ण दूध की क्वालिटी और क्वांटिटी का रोल है. रबड़ी को तैयार करने के लिए दूध को सही टाइमिंग के साथ लगातार धीमी आंच पर उबाला जाता है. जिसमें चीनी और ड्राईफ्रूट्स का इस्तेमाल होता है. 12 किलो दूध से 3 किलो रबड़ी तैयार होती है. दूध के कड़क उबाल से रबड़ी का रंग हल्के पीले रूप में बदल जाता है. उन्होंने बताया कि रबड़ी के स्वादिष्ट बनने में बस टाइमिंग का ही रोल है. रबड़ी के उबलते समय कढ़ाई में दूध गर्म करते वक्त मलाई की परतें अलग-अलग होती हैं, जिससे रबड़ी लच्छेदार बन जाती है.
600 रूपए किलो बिकती है केसर रबड़ी
महावीर रबड़ी का स्वाद वर्षों से लोग लेते आ रहे हैं. जब रबड़ी बनने की शुरुआत हुई तो धीरे-धीरे इसके स्वाद की चर्चा लोगों तक पहुंची और दुकान पर रबड़ी की भारी डिमांड होने लगी. राजकुमार जैन बताते हैं कि पिताजी कपूर चंद जैन ने पहलवानी छोड़कर दिन-रात रबड़ी की डिमांड पूरी करने में लग गए. धीरे-धीरे रबड़ी का स्वाद जयपुर राजपरिवार में सिटी पैलेस की शाही दावतों तक पहुंचा. VIP लोगों के अलावा महावीर रबड़ी का स्वाद पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत भी लिया करते थे. नेता-मंत्री से लेकर बॉलीवुड सेलिब्रिटीज भी रबड़ी का स्वाद चख चुके हैं. दारा सिंह, धर्मेंद्र, प्रेम चोपड़ा, लता मंगेशकर, अनुराधा पौडवाल तक रबड़ी का स्वाद चख चुके हैं.
राजकुमार जैन बताते हैं कि स्थानीय लोगों के साथ जयपुर घूमने आने वाले पर्यटक सबसे ज्यादा रबड़ी का स्वाद लेते हैं. महावीर रबड़ी की कीमत की बात करें तो यहां केसर रबड़ी 600 रुपये किलो है, जिसका भाव दूध की कीमत पर निर्भर करता है. इसलिए, रबड़ी का भाव बदलते रहता है.