
1952 से गाजियाबाद की लोकनाथ मिठाई दुकान चल रही है. यह अपनी कुल्हड़ लस्सी और मिल्क केक के लिए जानी जाती है. देश- विदेश से लोग यहां मिठाई लेने आते हैं. पारंपरिक स्वाद, देसी दूध और ईमानदारी ने इसे खास बनाया है.
- 1952 से गाजियाबाद की लोकनाथ मिठाई दुकान चल रही है.
- यह अपनी कुल्हड़ लस्सी और मिल्क केक के लिए जानी जाती है.
- देश- विदेश से लोग यहां मिठाई लेने आते हैं.
गाजियाबाद: चौपला मंदिर के पास एक संकरी सी गली में मौजूद लोकनाथ मिठाई की दुकान किसी ब्रांडेड शोरूम से कम नहीं है. यहां की कुल्हड़ लस्सी और मिल्क केक, जिसका स्वाद की चर्चा देश और विदेश में भी है. इस दुकान की शुरुआत 1952 में लोकनाथ जी ने की थी. उस समय वे एक छोटे से ठेले पर सिर्फ लस्सी बेचा करते थे. लेकिन मेहनत और स्वाद के दम पर यह दुकान आज गाजियाबाद की पहचान बन गई है. खास बात ये है कि इस दुकान पर अब भी वही पारंपरिक देसी तरीका अपनाया जाता है.
यहां की लस्सी एकदम खास होती है. इसे मिट्टी के कुल्हड़ में परोसा जाता है. ऊपर से मोटी मलाई की परत, पिसे हुए केसर और बादाम की सजावट इसे बिल्कुल शाही बना देती है. गर्मियों में तो यहां सुबह से ही सिर्फ लस्सी के लिए लाइन लग जाती है.
धीमी आंच पर पकाया जाता है ‘मिल्क केक’
लोकनाथ मिठाई का मिल्क केक देसी दूध से बनाया जाता है. इसे धीमी आंच पर घंटों तक पकाया जाता है, जिससे इसका रंग गाढ़ा और स्वाद बेहद खास होता है. ये वही स्वाद है, जो लोग अब बड़े- बड़े नामी ब्रांड्स में भी मिस करते हैं.
दुकान के मैनेजर बताते हैं कि अब यहां से मिठाइयां अमेरिका, कनाडा, यूएई और ऑस्ट्रेलिया तक भेजी जाती हैं. खास मौके जैसे शादियों, तीज-त्योहार या चुनावी सभाओं के लिए यहां से मिठाई का ऑर्डर आता है.
राजनेताओं और फिल्मी हस्तियों की भी पहली पसंद
चुनावी सीजन हो या कोई त्योहार, लोकनाथ हलवाई की दुकान पर VIP मूवमेंट आम बात है. कई बार बड़े नेता और फिल्मी सितारे भी यहां आकर मिठाई और लस्सी का आनंद ले चुके हैं.
तीसरी पीढ़ी चला रही है दुकान
अब यह दुकान लोकनाथ जी की तीसरी पीढ़ी चला रही है. परिवार खुद मिठाई की क्वालिटी पर नजर रखता है और पारंपरिक तरीके से ही मिठाई बनाई जाती है. शायद यही वजह है कि सात दशक बाद भी यहां का स्वाद वैसा ही बना हुआ है जैसा बचपन में था.
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