
Jaipur Best Food: जयपुर की गली-गली में कुछ न कुछ फेसम ही है. आज हम आपको राम चाट भंडार के बारे में बताएंगे. इसकी शुरुआत बृजलाल सैनी ने 1950 में की थी वह कामज के सिलसिले में झुंझुनूं के छोटे गांव से जयपुर आए और …और पढ़ें
- श्री राम चाट भंडार की शुरुआत 1950 में हुई थी.
- गुजिया चाट और कांजी वड़ा यहां की विशेष पहचान हैं.
- चौथी पीढ़ी भी इस पारिवारिक विरासत को सीख रही है.
जयपुर. गुलाबी नगरी जयपुर की तंग गलियों में बसे पुराने बाजारों की खुशबू सिर्फ इत्र की नहीं बल्कि वहां की लज़ीज़ चाट की भी होती है. जयपुर के चारदीवारी क्षेत्र की गलियों में कई दशक पुरानी छोटी-छोटी दुकानें आज भी अपने खास जायके को संजोए हुए हैं. ऐसा ही एक ठिकाना है जोहारी बाजार में घी वालों का रास्ता, जहां स्थित है श्री राम चाट भंडार. इस दुकान पर 1950 से टिकिया चाट, पपड़ी चाट, घेवर चाट और गुजिया चाट जैसे स्वादिष्ट व्यंजन मिलते आ रहे हैं. जैसे ही आप इस गली में प्रवेश करते हैं, चटपटे मसालों की खुशबू खुद-ब-खुद आपको दुकान की ओर खींच लाती है.
66 साल की उम्र में भी खुद परोसते हैं, चौथी पीढ़ी भी ले रही सीख
श्री राम चाट भंडार की शुरुआत जहां दादा बिजृलाल सैनी ने की, वहीं इसे उनके बेटे मोतीलाल सैनी ने आगे बढ़ाया. अब 66 वर्षीय भंवरलाल सैनी खुद दुकान पर बैठकर ग्राहकों को स्वाद परोसते हैं. अब उनकी चौथी पीढ़ी भी इस पारिवारिक विरासत को सीख रही है. भंवरलाल सैनी ने बताया कि एक जमाना था जब उनके दादा एक रुपये में 16 कचौरी देते थे क्योंकि एक रुपये में 16 आने होते थे. आज वही कचौरी और चाट 50 रुपये में मिलती है. उन्होंने बताया कि उनके यहां खासतौर पर छोले भटूरे, दही बड़े, पपड़ी चाट, कांजी बड़े, घेवर और गुजिया चाट खूब पसंद किए जाते हैं. वे खुद पिछले 40 वर्षों से ग्राहकों को अपनी मधुरता और स्वाद के साथ सेवा दे रहे हैं, यही वजह है कि दूर-दूर से लोग उनकी दुकान तक आते हैं.
गुजिया चाट और कांजी वड़ा बने जयपुर का खास स्वाद
श्री राम चाट भंडार की हर चाट लाजवाब होती है, लेकिन गुजिया चाट और कांजी वड़ा यहां की विशेष पहचान बन चुके हैं. भंवरलाल सैनी ने बताया कि गुजिया चाट की शुरुआत उनके पिताजी ने करीब 60 साल पहले एक प्रयोग के तौर पर की थी. इसे लोगों ने इतना पसंद किया कि अब यह चाट जयपुर घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए भी खास बन चुकी है. सैनी कहते हैं कि हमारे पूर्वजों के बनाए मसाले और सीक्रेट जायके की वजह से हर चाट का स्वाद आज भी उतना ही खास है जितना 75 साल पहले था. उन्होंने यह भी बताया कि श्री राम चाट भंडार पर स्वाद के साथ पारिवारिक परंपरा भी बनी हुई है और यही कारण है कि यह दुकान सिर्फ एक व्यापार नहीं बल्कि एक जायके की विरासत बन गई है.
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