
Pirukiya Sweet: गोपालगंज के थावे की प्रसिद्ध मिठाई पुरुकिया पटना में भी उपलब्ध है. चिरैयाटांड़ पुल के पास स्थित दुकान पर 24 साल से शुद्ध घी में बनी पुरुकिया मिलती है. 560 रुपये में 1.5 किलो का ऑफर भी दिया जा रह…और पढ़ें

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गोपालगंज का फेमस पुडुकिया या पेडेकिया
- गोपालगंज की प्रसिद्ध पुरुकिया पटना में उपलब्ध
- चिरैयाटांड़ पुल के पास 24 साल से दुकान
- 560 रुपये में 1.5 किलो का ऑफर
पटना. बिहारी स्वाद में खोये और देसी घी का इश्किया मेल है गोपालगंज के थावे वाली पुरुकिया(पुडुकिया/पेड़किया). एक खास बिहारी मिठाई जिसका नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है. कई जगहों पर इसे गुझिया भी कहा जाता है. मूल रूप से गोपालगंज जिला का यह मिठाई पटना में भी उसी अनोखी और पारंपरिक स्वाद में उपलब्ध है. इसके साथ ही, एक शानदार ऑफर भी दिया जा रहा है. जी हां, 01 किलो लेने पर आधा किलो फ्री मिल रही है.
गोपालगंज की है खास मिठाई
पटना के चर्चित साहित्यकार रविशंकर उपाध्याय अपनी किताब “बिहार के व्यंजन” में पुरुकिया के बारे में लिखते हैं कि पेड़किया के स्वाद में खोये और देसी घी का इश्किया मेल है. दरअसल, गोपालगंज जिला मुख्यालय से करीब छह किलोमीटर दूर सिवान जाने वाले मार्ग पर थावे में मां थावे वाली का एक प्राचीन मंदिर है. मां थावे वाली को सिंहासिनी भवानी, थावे भवानी और रहषु भवानी के नाम से भी भक्त पुकारते हैं. मान्यता है कि यहां मां अपने भक्त रहषु के बुलावे पर असम के कामाख्या स्थान से चलकर पहुंची थीं. कहा जाता है कि मां, कमाख्या से चलकर कोलकाता (काली के रूप में दक्षिणेश्वर में प्रतिष्ठित), पटना (यहां मां पटन देवी के नाम से जानी गई), आमी (छपरा जिला में मां दुर्गा का एक प्रसिद्ध स्थान) होते हुए थावे पहुंची थीं और रहषु के मस्तक को विभाजित करते हुए साक्षात दर्शन दिए थे. देश की 52 शक्तिपीठों में से एक इस विख्यात मंदिर के पास ही एक बेहतरीन स्वाद पेड़किया के रूप में मौजूद है. यहां दर्जनों पेड़किया की दुकान आपका स्वागत करेगी.
पिछले 24 सालों से पटना में भोले शंकर के नाम से पुरुकिया की दुकान चलाने वाले अंजय कुमार गुप्ता बताते हैं कि दूध के छाली से सबसे पहले घी तैयार करते हैं. इसके बाद दूध को खूब खौला कर जलाते हैं और खोया बनाते हैं. खोया को फिर घी में फ्राई करते हैं. इसके बाद ड्रायफ्रूट्स मिलाकर उसको तैयार कर लेते हैं. इसके बाद मैदा और देसी घी से मिश्रण बनाते हैं और छोटे छोटे लोई बनाकर उसको बेलकर उसमें खोया भर देते हैं. इसके बाद उसको मोड़ कर गर्म घी की कड़ाई में डाल देते हैं. इसके बाद घी में ही इसको फ्राई करते हैं जबतक लाल ना हो जाए. लाल हो जाने के बाद इसको चासनी में डाल देते हैं. थोड़ी देर के बाद
पुरुकिया खाने लायक तैयार हो जाता है.
एक किलो के दाम में डेढ़ किलो
एक किलो लेने पर आधा किलो फ्री वाले ऑफर पर अंजय कुमार गुप्ता बताते हैं कि यह ऑफर इसीलिए रखा ताकि ग्राहकों को यह महंगा भी नहीं लगे और लोग ऑफर से आकर्षित होकर दुकान पर पहुंचे. इसकी कीमत 560 रुपये प्रति किलो है. 560 रुपये में डेढ़ किलो पुरुकिया मिल जाता है. इससे ग्राहक भी खुश हो जाते हैं और हमें भी कोई नुकसान नहीं होता है. वो आगे बताते हैं कि पटना में भी लोगों का खूब उत्साह देखने को मिलता है. यही कारण है कि रोज 10 किलो अधिक मैदा का पुरुकिया बिक जाता है. इलाके में आने वाले मेहमान हों या फिर कहीं दूर भेजना हो, यहां का गर्मागर्म पुडुकिया ही पहली और आखिरी पसंद है.
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