
इसे बनाते हुए रांची की उषा बताती हैं, खासतौर पर बरसात में यह अधिक मिलता है. बरसात के मौसम में आपको जंगलों में यह खूब देखने को मिलेगा और इसकी कीमत भी ज्यादा नहीं होती. मार्केट में ₹40 किलो तक इसका रेट होता है. इसे बनाने में 15 से 20 मिनट का समय लगता है. इसके लिए सबसे पहले साग लेन है और अच्छे से धो लेना है, क्योंकि साथ में मिट्टी बहुत लगी रहती है, इसलिए ठीक से साफ कर लें.
ऊषा ने आगे बताया कि, जब साग अच्छे से धुल जाए तो आपको ज्यादा कुछ नहीं, बस तीन-चार चीजें ही काटकर रखनी है. इसमें लहसुन, अदरक, मिर्च, प्याज, थोड़ी हल्दी, जीरा पाउडर, स्वाद अनुसार नमक, बस इससे अधिक और कुछ नहीं चाहिए. सबसे पहले कढ़ाई में थोड़ा सरसों तेल डाल दें और उसमें अदरक, लहसुन और प्याज डालकर ब्राउन होने तक भूनें.
इसके बाद जब ये अच्छे से भुन जाए तो आप साग डाल दें और फिर उसके ऊपर नमक डाल दें. हल्दी और धनिया पाउडर भी डाल दें और अच्छे से मिलाकर धीमी आंच में 15 मिनट के लिए छोड़ दें. बीच में एक-दो बार इसे चलाते रहें. बस 15 मिनट में ही आप देखेंगे स्वादिष्ट साग बनकर रेडी हो गया. खाने में खट्टा-मीठा, एकदम गोलगप्पे जैसा टेस्टी लगता है.
रांची के जाने-माने आयुर्वेदिक डॉक्टर वी. के. पांडे बताते हैं, यह स्वाद के साथ सेहत का भी खजाना है. इसमें आयरन, पोटैशियम, जिंक, मैग्नीशियम, विटामिन ए, बी, सी, ई जैसे जरूरी पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं. ऐसे में खून की कमी जैसी समस्या खत्म होती है. इससे आंखों की रोशनी तेज होती है, शरीर को ताकतवर बनाता है और शरीर को प्राकृतिक रूप से साफ करता है.
रांची के हरमू की ही आदिवासी, देवी बताती हैं, हम लोगों के घर जब बेटी-दामाद आते हैं तो इस तरह के साग के कई सारे पकवान बनाते हैं. यह खाने में बहुत टेस्टी लगता है और उनकी मेहमानदारी में सस्ते में एक अच्छा आइटम भी जुड़ जाता है.
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