नैनीताल: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों की बात करें और वहां के पारंपरिक खानपान की चर्चा न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. यहां की रसोई में एक खास दाल है, जो न केवल स्वाद में लाजवाब है बल्कि हर घर की परंपरा और संस्कृति से भी गहराई से जुड़ी है. हम बात कर रहे हैं ‘भट की चुड़कानी’ की, यह एक ऐसी दाल जो पहाड़ के हर कोने में खाई जाती है और हर पीढ़ी की पसंद बनी हुई है. ‘भट’ उत्तराखंड में उगाई जाने वाली एक स्थानीय काली सोयाबीन को कहते हैं. इसका स्वाद सामान्य सोयाबीन से बिल्कुल अलग और खास होता है.
क्या है बनाने की विधि
भट की चुड़कानी को तैयार करने की विधि भी उतनी ही खास है जितना इसका स्वाद. सबसे पहले भट को हल्की आंच पर भूनकर पकाया जाता है, जिससे उसका स्वाद और भी निखरता है. इसके बाद इसमें सरसों का तेल, जाख्या (एक पहाड़ी मसाला), लहसुन, अदरक और हिंग से तड़का लगाया जाता है. जिसके बाद इसमें हल्दी, गरम मसाला, धनिया, और नमक डाला जाता है और पानी मिलकर ढक कर पकने के लिए छोड़ दिया जाता है.
लगभग 15 मिनट में यह पक कर तैयार हो जाती है. जिसे भात (पका चावल) के साथ परोसा जाता है. कुछ घरों में इसे और खास बनाने के लिए ताजे दही या छाछ का भी इस्तेमाल किया जाता है, जिससे इसका स्वाद हल्का खट्टा हो जाता है और यह पचाने में और भी आसान होती है.
लाजवाब स्वाद के साथ हेल्दी भी
नैनीताल निवासी कला पाण्डे बताती हैं कि भट की चुड़कानी न केवल स्वाद के लिए, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेहद फायदेमंद मानी जाती है. इसमें प्रोटीन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. साथ ही इसे लोहे की कड़ाई में पकाया जाता है, जिससे इसमें आयरन की भी प्रचुर मात्रा मिलती है. यही वजह है कि यह दाल शारीरिक ऊर्जा बनाए रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक मानी जाती है.
वो स्वाद, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है
आज के दौर में जब फास्ट फूड और पैकेज्ड खाने ने हमारी थालियों में जगह बना ली है, भट की चुड़कानी जैसे पारंपरिक व्यंजन हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखते हैं. पहाड़ों में आज भी त्योहार हो या रोज़मर्रा का भोजन, चुड़कानी की महक रसोई में बसी रहती है. भट की चुड़कानी सिर्फ एक दाल नहीं, बल्कि पहाड़ी जीवन की आत्मा है, वो स्वाद, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है, और हर चम्मच में घर-परिवार, मौसम और पहाड़ों की याद दिलाता है.